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एमबीबीएस की ज्यादा फीस से भावी डॉक्टरों की राह मुश्किल, पढ़िए पूरी खबर

प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस चार लाख रुपये सालाना है जबकि निकटवर्ती राज्य इससे कई गुना कम फीस ले रहे हैं।

By Edited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 08:02 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 05:55 PM (IST)
एमबीबीएस की ज्यादा फीस से भावी डॉक्टरों की राह मुश्किल, पढ़िए पूरी खबर
एमबीबीएस की ज्यादा फीस से भावी डॉक्टरों की राह मुश्किल, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। एक तरफ प्रदेश सरकार चिकित्सकों की कमी पूरी करने में जुटी है तो दूसरी तरफ एमबीबीएस की ज्यादा फीस भावी डॉक्टरों की राह मुश्किल कर रही है। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस चार लाख रुपये सालाना है, जबकि निकटवर्ती राज्य इससे कई गुना कम फीस ले रहे हैं। इन राज्यों के ज्यादातर मेडिकल कॉलोजों में फीस 30 से 50 हजार रुपये सालाना है। ऐसे में दून व हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में अध्ययनरत एमबीबीएस के छात्रों ने भी फीस कम करने और बाड व्यवस्था फिर से बहाल करने के लिए आंदोलन छेड़ दिया है। छात्र फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचा रहे हैं।आंदोलन के संबंध में उनके कई पोस्ट और वीडियो वायरल हो रहे हैं।

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उत्तराखंड में तीन सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। वर्ष 2018 तक तीनों कॉलेजों में बाड व्यवस्था की थी जिसके  तहत छात्र रियायती दर पर पढ़ाई कर सकते थे। गत वर्ष दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से बाड खत्म कर दिया गया। छात्रों का कहना है कि बाड व्यवस्था के तहत फीस 50 हजार रुपये सालाना थी। इससे मध्यम और गरीब वर्ग के छात्रों को सहूलियत होती थी। बाड व्यवस्था खत्म होने से अब उन्हें तकरीबन 4.25 लाख रुपये सालाना देने पड़ रहे हैं। ऐसे में राज्य के मेधावी और सामान्य घरों के बच्चों के लिए डॉक्टरी की पढ़ाई मुश्किल हो गई है। छात्रों का कहना है कि अगर बाड की व्यवस्था फिर से शुरू हो जाए तो उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। छात्रों का दावा है कि उत्तराखंड में एमबीबीएस की फीस देश में सबसे ज्यादा है।

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अन्य राज्यों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अधिकतम फीस 1.25 लाख तक है। इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी विरोध जता चुके हैं। इस पर दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में बाड की व्यवस्था अभी लागू है। वहां छात्र दोनों ही विकल्प चुन सकते हैं। दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में बाड की व्यवस्था पिछले साल खत्म कर दी गई थी। छात्रों की मांग से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।

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