एमडीडीए रोडवेज से खरीदेगा जमीन, देगा आइएसबीटी; पढ़िए पूरी खबर
रोडवेज की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए एमडीडीए देहरादून शहर में स्थित रोडवेज की तीन जमीनों को सर्किल रेट के दोगुने भुगतान पर खरीदेगा। इसके बदले सेटलमेंट स्कीम के आधार पर आइएसबीटी का स्वामित्व रोडवेज को सौंपा जाएगा।
देहरादून, जेएनएन। रोडवेज की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए एमडीडीए देहरादून शहर में स्थित रोडवेज की तीन जमीनों को सर्किल रेट के दोगुने भुगतान पर खरीदेगा। इसके बदले सेटलमेंट स्कीम के आधार पर आइएसबीटी का स्वामित्व रोडवेज को सौंपा जाएगा। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने एमडीडीए उपाध्यक्ष को 15 दिन के भीतर फैसला लेने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा फौरी आर्थिक मदद के लिए वित्त विभाग रोडवेज को कंटीजेंसी के माध्यम से सात करोड़ रुपए, जबकि मुख्यमंत्री राहत कोष से रोडवेज को ढाई करोड़ रुपए दिए जाएंगे। यह धनराशि जल्द जारी करने के आदेश अपर मुख्य सचिव ने दिए हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आदेश पर रोडवेज की खराब आर्थिक स्थिति और विभिन्न समस्याओं की समीक्षा को लेकर गत 22 अक्टूबर को अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में सचिवालय में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। बैठक में वित्त, परिवहन, रोडवेज और एमडीडीए के अधिकारी भी मौजूद थे। मंगलवार को शासन ने इस बैठक का कार्यवृत्त जारी किया।
इसमें एमडीडीए उपाध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान द्वारा बताया गया कि एमडीडीए रोडवेज की दो-तीन स्थानों की जमीन व्यावसायिक गतिविधियों के लिए सर्किल रेट के दोगुने मूल्य पर खरीदेगा। इसके बदले रोडवेज की डिमांड के अनुसार उसे आइएसबीटी का स्वामित्व दिया जाएगा। अपर मुख्य सचिव ने परिवहन, आवास विभाग और एमडीडीए को बिना देर किए 15 दिन में इस पर फैसला लेने के आदेश दिए हैं।
यह भी पढ़ें: मंत्री अरविंद पांडेय से मिले कनिष्ठ अभियंता और डाटा एंट्री ऑपरेटर्स, लगाई ये गुहार
रोडवेज में चार माह से वेतन का भुगतान ना होने और अन्य मदों में सरकार पर बकाया राशि को लेकर अपर मुख्य सचिव ने साढ़े नौ करोड़ की फौरी सहायता प्रदान करने के आदेश भी दिए हैं। वहीं, अपर मुख्य सचिव ने बताया कि आगामी सप्ताह के अंत में मुख्यमंत्री खुद इस सम्बंध में समीक्षा बैठक लेंगें। उन्होंने अधिकारियों को इससे पहले सभी जरूरी कार्य पूरा करने और प्लान बनाने के आदेश दिए हैं।
यह भी पढ़ें: जिलाधिकारी नैनीताल के आदेशों पर तुरंत रोक लगाने की मांग, जानिए क्या है पूरा मामला