अवैध निर्माण को शह देने वाले अभियंताओं पर एमडीडीए चुप, वर्तमान में देहरादून में 28 हजार से अधिक मामले गतिमान
एमडीडीए पर सुनियोजित निर्माण की जिम्मेदारी है उसी के अभियंताओं की शह पर अवैध निर्माण फूल-फल रहे हैं। यह स्थिति तब है जब शहरी विकास एवं आवास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल अवैध निर्माण को लेकर सख्ती बरतने के लिए निरंतर निर्देश दे रहे हैं।
सुमन सेमवाल , देहरादून : जिस मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) पर सुनियोजित निर्माण की जिम्मेदारी है, उसी के अभियंताओं की शह पर अवैध निर्माण फूल-फल रहे हैं। यही वजह है कि दून में वर्तमान में अवैध निर्माण के 28 हजार से अधिक मामले गतिमान हैं। अवैध निर्माण पर रोक के नाम पर अधिकारी अभियंताओं के कार्यक्षेत्र तो बदलते रहते हैं, लेकिन अवैध निर्माण को शह देने वाले अभियंताओं और कार्मिकों पर कार्रवाई नहीं की जाती।
यह स्थिति तब है, जब शहरी विकास एवं आवास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल अवैध निर्माण को लेकर सख्ती बरतने के लिए निरंतर निर्देश दे रहे हैं। अवैध निर्माण को शह देने वाले कार्मिकों पर कार्रवाई को लेकर उन्होंने शुक्रवार को भी बैठक ली थी। इस बैठक में गौर करने वाली बात यह भी रही कि अवैध निर्माण की पूरी स्थिति से उन्हें अवगत ही नहीं कराया गया।
जिन 600 अवैध निर्माण की जानकारी अधिकारियों ने दी है, वह सिंगल यूनिट के नक्शे पर बनाए गए फ्लैट से संबंधित हैं। जबकि, हकीकत इससे कहीं अधिक चिंता में डालने वाली है। अब देखने वाली बात यह भी होगी कि अवैध निर्माण को लेकर मंत्री के तल्ख तेवर के बाद अधिकारी क्या कार्रवाई करते हैं। इस दफा भी मामला कुछ अभियंताओं के कार्यक्षेत्र बदलने तक ही सीमित रहता है या अवैध निर्माण को शह देने वालों पर कार्रवाई भी की जाती है।
गली-मोहल्लों की संकरी सड़कों पर मुहं चिढ़ा रहे चार-पांच मंजिला निर्माण
एमडीडीए के पास इस तरह की शिकायतों की भरमार है, जिनमें स्थानीय लोग कह रहे हैं कि संकरी सड़कों वाले गली-मोहल्लों में चार-पांच मंजिला निर्माण खड़े किए जा रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में ब्रिगेडियर एएन आचार्य (सेनि.) ने शिकायत की है कि केवल विहार में 100 वर्ग गज की भूमि पर पांच मंजिला भवन खड़ा कर दिया गया है। यह शिकायत एमडीडीए सचिव से की गई है।
ब्रिगेडियर आचार्य का आरोप है कि कई दफा सचिव को अवगत कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। तमाम प्रकरण ऐसे भी हैं, जिनमें प्रापर्टी डीलर ने सिंगल यूनिट के नाम पर फ्लैट खड़े कर दिए। गंभीर यह कि एमडीडीए में शिकायत के बाद भी अधिकारी कार्रवाई को तैयार नहीं हैं।
एक तरफ प्लाटिंग ध्वस्त कर रहे, दूसरी तरफ बचा भी रहे
शहरी विकास एवं आवास मंत्री ने अवैध प्लाटिंग के बढ़ते मामलों पर भी चिंता जताई थी। उन्होंने एमडीडीए के साथ रेरा को भी सख्त कार्रवाई के लिए कहा था। रेरा अभी इस दिशा में कुछ करता नहीं दिख रहा। एमडीडीए भी जो कार्रवाई कर रहा है, उसमें समानता नहीं है। अवैध प्लाटिंग के कुछ मामलों में एमडीडीए ध्वस्तीकरण कर रहा है, जबकि एक-डेढ़ साल से गतिमान कुछ मामलों में आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही।
ऐसे ही एक मामले में मांडूवाला में अवैध प्लाटिंग को 19 मई को ध्वस्त किया जाना था, लेकिन ऐन वक्त पर सचिव स्तर से कार्रवाई पर रोक लगा दी गई। इस मामले में एक आडियो कार्रवाई के आदेश से तीन दिन पहले वायरल हुआ था। जिसमें एक व्यक्ति एमडीडीए को पैसे देने और कार्रवाई न होने की बात कह रहा था।
आडियो की बात के अनुरूप एमडीडीए ने कार्रवाई से हाथ भी खींच लिए। मियांवाला क्षेत्र में दिल्ली फार्म में अवैध प्लाटिंग के मामले में भी एमडीडीए ने तमाम शिकायतों के बाद कुछ नहीं किया। अब यह मामला हाई कोर्ट में है और अधिकारियों पर कंटेंप्ट आफ कोर्ट (न्यायालय की अवमानना) की तलवार भी लटकती दिख रही है।
एमडीडीए उपाध्यक्ष को गुमराह कर रहे अधिकारी
विभागीय मंत्री के निर्देशों के क्रम में एमडीडीए उपाध्यक्ष बीके संत अवैध निर्माण पर निरंतर कार्रवाई करा रहे हैं। वहीं, तमाम मामलों में उनके कहने के बाद भी अभियंता व अन्य अधिकारी कार्रवाई से हाथ खींच रहे हैं। इतना ही नहीं, जिस निर्माण पर कार्रवाई के निर्देश दिए जा रहे हैं, उनमें कार्मिक उपाध्यक्ष को गुमराह कर बता रहे हैं कि कार्रवाई कर दी गई है। हालांकि, धरातलीय हकीकत इससे जुदा पाई जा रही है।
मुख्य सड़कों और पर्यटन स्थलों पर भी अवैध निर्माण
शहर की तमाम मुख्य सड़कों पर भी अवैध निर्माण खड़े हो रहे हैं और एमडीडीए का फील्ड स्टाफ उन्हें अनदेखा कर देता है। इसके अलावा सहस्रधारा जैसे पर्यटन स्थल में भी धड़ल्ले से अवैध निर्माण खड़े हो रहे हैं। यही स्थिति मसूरी रोड की भी है। जिन विवादित भूखंडों पर जिलाधिकारी ने रजिस्ट्री पर रोक लगा रखी है, वहां भी निर्माण कर दिए गए हैं।
मैंने एमडीडीए को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अवैध निर्माण पर सख्त कार्रवाई की जाए। फिर चाहे अवैध रूप से भवन निर्माण हो या अवैध प्लाटिंग, प्रकरण संज्ञान में आने के बाद त्वरित कार्रवाई जरूरी है। इसके साथ ही अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार अभियंताओं पर कार्रवाई के लिए भी कहा गया है। क्योंकि, तमाम तरह का नेटवर्क होने के बाद भी अवैध निर्माण कैसे हो जा रहे हैं। जल्द इसकी रिपोर्ट भी तलब की जाएगी।
-प्रेमचंद अग्रवाल, शहरी विकास एवं आवास मंत्री
अवैध निर्माण के जो मामले संज्ञान में आ रहे हैं, उन पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके बाद भी जिन प्रकरण में कार्रवाई नहीं की जा रही है, उनका अपडेट लिया जा रहा है। यदि कोई कार्मिक अवैध निर्माण को संरक्षण देता पाया जाता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसको लेकर संज्ञान में आए अवैध निर्माण के प्रकरणों पर कार्रवाई की स्थिति की समीक्षा भी की जा रही है।
-बीके संत, उपाध्यक्ष, एमडीडीए