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एमडीडीए हुआ सख्त, 2.39 करोड़ के बकाये पर 162 लोगों को नोटिस

एमडीडीए ने नक्शा पास कराने के बाद भी उसका शुल्क न जमा करने वाले 162 लोगों को नोटिस जारी किए हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 05:22 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 05:22 PM (IST)
एमडीडीए हुआ सख्त, 2.39 करोड़ के बकाये पर 162 लोगों को नोटिस
एमडीडीए हुआ सख्त, 2.39 करोड़ के बकाये पर 162 लोगों को नोटिस

देहरादून, जेएनएन। नक्शा पास कराने के बाद भी उसका शुल्क न जमा करने वाले लोगों पर एमडीडीए ने अब सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। एमडीडीए ने ऐसे लोगों की सूची तैयार कर 162 लोगों को नोटिस जारी किए हैं। इनमें नक्शा दाखिल करने वाले आर्किटेक्ट को भी शामिल किया गया है। 

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एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव के मुताबिक वर्तमान में नक्शा पास कराने वाले लोगों के दो करोड़ 39 लाख 68 हजार 355 रुपये बकाया चल रहे हैं। इनमें से बड़ी संख्या में राशि लंबे समय से बकाया चल रही है। प्राधिकरण में नक्शे आर्किटेक्ट के लॉगइन से ऑनलाइन दाखिल किए जाते हैं। आर्किटेक्ट की जिम्मेदारी नक्शा पास कराने से लेकर उसे जारी कराने तक की होती है। इसको लेकर आर्किटेक्ट विभिन्न स्तर पर प्रयासरत भी रहते हैं। हालांकि, जब बात नक्शा पास कराने पर शुल्क जमा न कराने वाले लोगों की होती है तो वह कन्नी काट लेते हैं। ऐसे में इस दफा आर्किटेक्ट की जिम्मेदारी भी तय की गई है। जब वह लोगों का नक्शा पास कराने की जिम्मेदारी लेते हैं तो उन्हें शुल्क जमा कराने के प्रति भी जवाबदेह बनना पड़ेगा। रही बात शुल्क अदा न करने वाले लोगों की तो जल्द उनका नक्शा निरस्त किया जाएगा। 

निरस्त नक्शे आएंगे कंपाउंडिंग के दायरे में 

एमडीडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि जिन लोगों का नक्शा शुल्क न जमा कराने पर निरस्त किया जाएगा, उन पर आगे की कार्रवाई कंपाउंडिंग के तहत की जाएगी। ऐसे निर्माण को अवैध मानकर शुल्क के साथ की कंपाउंडिंग फीस भी जमा कराई जाएगी। अन्यथा निर्माण को सील भी किया जा सकता है।       

नए बिल्डिंग बायलॉज पर उठाए सवाल 

मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने बिल्डिंग बायलॉज (भवन उपविधि) के संशोधित नियमों के अनुरूप काम करना शुरू कर दिया है, मगर इसके साथ आपत्तियां भी आने लगी हैं। उत्तराखंड इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन ने संशोधित नियमों पर सवाल खड़े करते हुए एमडीडीए में ज्ञापन सौंपा है। 

एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस राणा ने कहा कि कमर्शियल श्रेणी में 200 से 2000 वर्गमीटर के भूखंड पर भवनों की नौ मीटर ऊंचाई स्वीकृत की गई है। इसके साथ ही भूतल पर भूखंड में 45 फीसद तक निर्माण की अनुमति दी गई है। साथ ही कहा गया है कि निर्माण करने वालों को 200 फीसद एफएआर (फ्लोर एरिया रेश्यो) मिलेगा। हालांकि, जब नौ मीटर तक ही ऊंचाई बढ़ानी है तो अधिकतम 125 फीसद तक ही एफएआर का लाभ मिल सकता है। क्योंकि ऊपरी तलों पर इसके अधिक निर्माण संभव नहीं। 

इसी तरह 100 से 200 वर्गमीटर के भूखंड पर छह मीटर ऊंचाई के भवन की मंजूरी दी गई है, जबकि भूतल पर 65 फीसद निर्माण के साथ ऊपरी तलों पर 150 फीसद एफएआर की छूट दी गई है। यह नियम भी इसलिए उचित नहीं कि छह मीटर की ऊंचाई पर 120 फीसद तक एफएआर प्राप्त किया जा सकता है। एसोसिएशन ने यह भी सवाल खड़े किए गए कि स्थानीय वास्तुकला के हिसाब से निर्माण करने पर सेटबैक, पार्किंग, भवन की ऊंचाई पर स्थिति साफ नहीं की गई है। 

इन नियमों में भी संशोधन की मांग 

-चिकित्सा प्रतिष्ठानों में लैबोरेटरी/क्लिनिक/डायग्नोस्टिक सेंटर आदि के लिए एक जैसे 10 गुणा 10 मीटर का प्रावधान किया गया है, जबकि कार्य प्रकृति के हिसाब से कुछ प्रतिष्ठानों में अधिक क्षेत्रफल की जरूरत पड़ती है। 

-बेसमेंट पार्किंग की स्थिति में अलग-अलग पर 4.5-4.5 मीटर की जगह तीन-तीन मीटर और एकल मार्ग वाले मामले में 7.5 मीटर की जगह पहले की तरह छह मीटर चौड़ाई की जाए। 

-बेसमेंट पार्किंग में रैंप के ढाल के नियमों को तर्कसंगत बनाया जाए। 

एमडीडीए के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि आर्किटेक्ट एसोसिएशन के ज्ञापन का परीक्षण कराया जाएगा और जो बातें तर्कसंगत लगेंगी, उनमें संशोधन का प्रस्ताव तैयार करेंगे। हालांकि, एफएआर का लाभ न मिल पाने का जहां तक सवाल है तो पूरे अध्ययन के बाद नियमों में संशोधन किया गया है। गुडग़ांव जैसे शहर में हमसे बेहद कम एफएआर का लाभ दिया जा रहा है। या तो ग्राउंड कवरेज का ही लाभ प्राप्त कर लिया जाए या एफएआर का। सुनियोजित विकास को ध्यान में रखकर संशोधन किए गए हैं। 

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