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देहरादूनः गौरवशाली इतिहास, संपन्न वर्तमान और संभावनाएं अपार

देहरादून और इसके पास स्थित हरिद्वार, ऋषिकेश को मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित किया जा चुका है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 07:03 PM (IST)
देहरादूनः गौरवशाली इतिहास, संपन्न वर्तमान और संभावनाएं अपार

343 साल की विकास यात्रा में देहरादून शहर ने अतीत से लेकर वर्तमान तक के कालखंड में फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। 1675 में श्री गुरु राम राय के कदम दून की सरजमीं पर पड़ने के साथ ही शहर ने आकार लेना शुरू किया। गुरु के डेरे (दरबार) के चलते नाम मिला डेरा-दून, जो कालांतर में देहरादून हो गया। बाद में अंग्रेजों ने अपनी सेना की टुकड़ी का पड़ाव दून को ही बनाया। 

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खुशनुमा आबोहवा वाले दून में धीरे-धीरे बसागत तेज होने के साथ ही सड़क, पानी, बिजली समेत मूलभूत सुविधाओं का विस्तार इसी के अनुरूप हुआ। सीनियर सिटीजन के इस पसंदीदा शहर के लिए यह गौरव की बात है कि भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए), वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ), सर्वे ऑफ इंडिया, ओएनजीसी जैसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय महत्व के संस्थानों ने अपने मुख्यालयों के लिए दून को चुना। 

उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद दून को उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी बनाया गया। इसके बाद शहर ने मेट्रो सिटी बनने की ओर कदम बढ़ाए हैं, लेकिन प्रगति की इस राह में चुनौतियां भी अनेक हैं। इन चुनौतियों से पार पाने के मद्देनजर भविष्य की राह तय करने में दैनिक जागरण की मुहिम 'माय सिटी माय प्राइड' के जरिये भागीदार बनिये। 

18 वर्षों में पकड़ी रफ्तार 

नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद दून को राज्य की अस्थायी राजधानी बनाया गया। इसके बाद शहर के ढांचागत विकास ने रफ्तार पकड़ी। शुरुआती एक दशक में ही शहरीकरण में यह शहर मेट्रो सिटीज से कदमताल करने लगा। सड़क सुविधाओं में भी विस्तार होने लगा। आज दून में तीन फ्लाईओवर (आइएसबीटी, बल्लीवाला, बल्लूपुर) अस्तित्व में आ चुके हैं। जबकि हरिद्वार बाईपास रोड पर दो रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) व सहारनपुर रोड पर डाटकाली मंदिर के पास डबल लेन टनल का निर्माण अंतिम चरण में है। 

 

हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग और बाईपास रोड (आइएसबीटी से अजबपुर कलां रेलवे क्रॉसिंग) का चौड़ीकरण का काम मुश्किल दौर से बाहर आ चुका है। शहर में कई नहरों को भूमिगत कर वहां कैनाल रोड अस्तित्व में आ चुकी है। शिमला बाईपास रोड को भी अपेक्षित रूप से चौड़ा कर दिया गया है।

दून के ढांचागत विकास को गति देने के लिए सीधे तौर पर मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए), नगर निगम, लोनिवि के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग खंड जैसी एजेंसी काम कर रही हैं। बावजूद इसके शहर की आंतरिक सड़कों यानी संपर्क मार्गों की दशा सुधारना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

प्रचुर मात्रा में है यहां जल फिर भी कमी 

देहरादून में वर्तमान में मांग से अधिक पेयजल उपलब्ध है। यह बात और है कि वितरण प्रणाली की खामी के चलते रोजाना करीब छह करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो जाता है और तीन करोड़ लीटर पानी कम पड़ जाता है। यही नहीं, शहर के घनी आबादी वाले मुहल्लों में दशकों पुरानी जर्जर पेयजल लाइनों को बदलने की चुनौती मुंहबाए खड़ी है। 

फिर भी विद्युत कटौती 

ऊर्जा प्रदेश होने के नाते दून में बिजली की मांग 3.0-3.5 मिलियन यूनिट के सापेक्ष इतनी ही बिजली उपलब्ध कराने का दावा है। परिणामस्वरूप यह शहर विद्युत कटौती से मुक्त है, लेकिन लाइनों के रखरखाव और हल्की सी तेज हवा में घंटों ब्रेक डाउन अब आम बात हो चली है।

अपार्टमेंट कल्चर ने पकड़ा जोर 

शहर पर जनदबाव बढ़ा तो शहरीकरण के चलते खेत-खलिहान, बाग-बगीचे और नहरों की स्थिति सिमटती गई। नतीजतन, बंगलेनुमा भवन अब दूर की कौड़ी हो चले हैं। सिमटती भूमि के बीच अपार्टमेंट कल्चर ने जोर पकड़ा और आज दून में 250 से अधिक ग्रुप हाउसिंग अस्तित्व में आ चुके हैं। इसके साथ ही दून में मेट्रो सिटी की तर्ज पर मल्टीप्लेक्स और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की चकाचौंध साफ देखी जा सकती है। 

चुनौतियों ने भी उठाया सिर 

शहरीकरण और ढांचागत विकास में आए बूम से दून को आर्थिक संबल जरूर मिला, मगर कई चुनौतियां भी सिर उठाने लगी हैं। वर्ष 2001 से 2011 के बीच दून और इससे सटे क्षेत्रों में 40 फीसद तक आबादी बढ़ गई है। वाहनों की संख्या में 300 फीसद का इजाफा हो गया और कमर्शियल क्षेत्र 100 फीसद से अधिक बढ़ गया। 

वहीं, सड़क और पेयजल जैसी सुविधाओं में 50 फीसद तक ही बढ़ोत्तरी हो पाई है। ऐसे में ढ़ांचागत विकास को अभी लंबा सफर तय करना है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि ढ़ांचागत विकास के क्षेत्र में वर्तमान में कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम किया जा रहा है।

भविष्य की योजनाएं

मेट्रो रेल परियोजना 

देहरादून समेत, इससे जुड़े हरिद्वार, ऋषिकेश को मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। इसके तहत दून शहर के भीतर लगभग 24 किमी लंबे दो कॉरीडोर करीब 3,372 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित हैं। वहीं, देहरादून आइएसबीटी से नेपाली फार्म (करीब 5026 करोड़ रुपये) और हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच दो और कॉरीडोर (करीब 4740 करोड़ रुपये) बनाए जाने हैं। 

एयर टैक्सी का भी संचालन 

एमडीडीए ने शहर के विभिन्न रूट को जोड़ने और जाम से मुक्ति दिलाने के लिए एयर टैक्सी (पॉड टैक्सी) की योजना बनाई है, जिस पर तेजी से काम किया जा रहा है। 

ऑन स्ट्रीट पार्किंग 

राजपुर रोड पर घंटाघर से सिल्वर सिटी तक दोनों तरफ सड़क किनारे अत्याधुनिक पार्किंग (ऑन स्ट्रीट पार्किंग) की सुविधा पर एमडीडीए काम कर रहा है। 

रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण 

ऐतिहासिक देहरादून रेलवे स्टेशन को एमडीडीए और रेलवे मिलकर आधुनिक स्वरूप देने में जुटे हैं। इससे इस पूरे क्षेत्र में जाम की समस्या से निजात मिल पाएगी। 

स्मार्ट सिटी में कोर क्षेत्र का विकास 

शहर के कोर क्षेत्र (875 एकड़) को स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत विकसित किया जाएगा। इसके लिए देहरादून स्मार्ट सिटी कंपनी का गठन भी कर लिया गया है और धरातल पर तेजी से काम किया जा रहा है, ताकि यातायात व्यवस्था से लेकर अन्य सुविधाओं को स्मार्ट बनाया जा सके। 

बचेगा भूजल, लाइनें होंगी सुदृढ़

दून में 90 फीसद तक जलापूर्ति भूजल से की जा रही है। अच्छी बात यह है कि ऐसे में भूजल का दोहन नियंत्रित करने के लिए सिंचाई विभाग नीति बना रहा है। साथ ही जिन जर्जर पेयजल लाइनों से रोजाना छह करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो जाता है, उन्हें बदलने का काम चल रहा है और कई लाइनें बदली भी जा चुकी हैं।

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