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दून अस्पताल में मरीजों की जाच पर भी आंच

दून अस्‍पताल में वर्तमान समय में बिजली के कट ज्यादा लग रहे हैं। जेनरेटर की व्यवस्था है, पर इसके स्टार्ट होने तक भी यूपीएस बैकअप नहीं मिल पा रहा।

By Edited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 05:19 PM (IST)
दून अस्पताल में मरीजों की जाच पर भी आंच
दून अस्पताल में मरीजों की जाच पर भी आंच

देहरादून, [जेएनएन]: दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल को अव्यवस्थाओं का मर्ज लग गया है। यहां अब मरीजों की जांच पर भी आंच आ रही है। कारण भी कुछ बड़ा नहीं, बल्कि यूपीएस में खराबी है। वर्तमान समय में बिजली के कट ज्यादा लग रहे हैं। जेनरेटर की व्यवस्था है, लेकिन इसके स्टार्ट होने तक भी यूपीएस बैकअप नहीं मिल पा रहा। जिसकी वजह से मशीनें बंद हो जा रही हैं।

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प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल में शहर ही नहीं, बल्कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्र व उप्र-हिमाचल के सीमावर्ती इलाकों से लोग इलाज के लिए आते हैं। जिन्हें डॉक्टर तमाम तरह की जाच लिखते हैं। पैथोलॉजी की ही बात करें तो हर दिन करीब 400 मरीज जांच कराते हैं।

राज्य के बीपीएल मरीजों के लिए जाच मुफ्त है, जबकि एमएसबीवाई केतहत भी तमाम तरह की जाच निश्शुल्क की जाती हैं। हद ये कि इस जांच में भी अब व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। दरअसल, अस्पताल की बायोकैमिस्ट्री लैब में तीन ऑटोमेटिक एनालाइजर मशीन लगी हैं। जिन पर लिवर, किडनी, हृदय रोग समेत कई अन्य तरह की भी जांच की जाती हैं। इन मशीनों के पावर बैकअप के लिए यूपीएस लगाया गया है, जिनकी बैटरी बहुत पुरानी हो चुकी हैं।

हद ये कि बिजली जाने और जेनरेटर स्टार्ट होने के बीच भी इनसे बैकअप नहीं मिल पा रहा है, जिससे मशीनें बंद हो जा रही हैं। इसके कारण हजारों रुपये के रीजेंट और कई बार सैंपल तक खराब हो जाते हैं। ऐसा नहीं है कि अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है। लैब के कर्मचारी करीब 15 दिन पहले इस बात की जानकारी अधिकारियों को दे चुके हैं, लेकिन स्थिति तब भी जस की तस है। अस्पताल के कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एनएस खत्री के अनुसार इलेक्ट्रीशियन को समस्या दिखाई गई है।

एकाध दिन में समस्या दूर कर ली जाएगी। बाहर की जांच लिख रहे डॉक्टर अस्पताल में तमाम नियम-कायदे भी ताक पर रख दिए गए हैं। चिकित्सक मरीजों को बाहर की दवा तो लिख ही रहे हैं, अब जांच भी बाहर की लिखने लगे हैं। आएदिन खराब होती मशीनों और तमाम अन्य अड़चनों के कारण निजी लैब के एजेंटों ने ओपीडी तक अपना मकड़जाल फैला दिया है।

हद ये कि अस्पताल में जांच न होने की बात कहकर यह मरीजों को गुमराह कर रहे हैं। उन्हें बाहर से कम दाम पर जांच कराने का लालच देते हैं। कमीशन के फेर में कई डॉक्टर भी बाहर से जांच लिख रहे हैं।

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