उत्तराखंड के इन कॉलेजों को नहीं मिला मान्यता, माननीय भी पिछड़े
उत्तराखंड में माननीय के कॉलेज भी मान्यता की दौड़ में पिछड़ गए हैं। यहां तक कि आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के कॉलेज को भी मान्यता नहीं मिल पाई है।
देहरादून, [जेएनएन]: प्रदेश के निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों में इस साल माननीय भी मान्यता की दौड़ में पिछड़ गए हैं। केंद्रीय भारतीय औषधि परिषद (सीसीआइएम) ने जिन कॉलेजों के प्रस्ताव नामंजूर किए हैं, उनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं। यहां तक कि आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के कॉलेज को भी मान्यता नहीं मिल पाई है। इसके अलावा एक कॉलेज पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और दूसरा कैंट विधायक हरबंस कपूर का है। उक्त तीनों कॉलेजों का संचालन इन राजनेताओं के बेटा-बेटी कर रहे हैं। प्रदेश के कुल पांच कॉलेजों को इस सत्र मान्यता नहीं मिल पाई है। जिस कारण बीएएमएस की 300 सीट का नुकसान हुआ है।
प्रदेश में बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस के दाखिले के लिए द्वितीय राउंड की काउंसलिंग चल रही है। प्रदेशभर में सरकारी व गैर सरकारी 16 आयुर्वेदिक कॉलेज हैं। जबकि, दो होम्योपैथिक व एक यूनानी कॉलेज है। आयुर्वेद विवि द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया था कि बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस की कुल 1240 सीटों पर दाखिले किए जाएंगे।जिनमें स्टेट कोटा की 675 व ऑल इंडिया की 565 सीट हैं। लेकिन, प्रथम राउंड तक केवल सात ही कॉलेज की मान्यता पर स्थिति स्पष्ट हुई।
अब आयुष मंत्रालय ने उन कॉलेजों की सूची अपलोड की है, जिनके इस सत्र आवेदन खारिज हुए हैं। इनमें बीहाईव आयुर्वेदिक कॉलेज देहरादून, क्वाड्रा इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद रुड़की, दून इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद शंकरपुर, बिशंभर सहाय आयुर्वेदिक कॉलेज रुड़की और हिमालयी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज श्यामपुर शामिल हैं। इनमें बीएएमएस की 60-60 सीट हैं। जिनमें स्टेट कोटा व ऑल इंडिया कोटा की 30-30 सीट हैं।
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