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New sports policy 2020: खेल नीति को लेकर हुई बैठक में न बुलाए जाने से कई संघ नाराज, जानिए क्या कहा

नई खेल नीति को कर हुई बैठक में न बुलाए जाने पर खेल संघोंं ने कहा कि वे वर्षों से राज्य में खेल को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं लेकिन उन्हें नई खेले नीति की जानकारी नहीं दी गई।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 01:32 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 01:32 PM (IST)
New sports policy 2020: खेल नीति को लेकर हुई बैठक में न बुलाए जाने से कई संघ नाराज, जानिए क्या कहा
New sports policy 2020: खेल नीति को लेकर हुई बैठक में न बुलाए जाने से कई संघ नाराज, जानिए क्या कहा

देहरादून, निशांत चौधरी। प्रदेश सरकार खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए नई खेल नीति 2020 तैयार कर रही है। इसके लिए ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और कई दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं। हाल ही में सचिवालय सभागार में खेल जगत से जुड़े विशेषज्ञों के साथ खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने बैठक कर नई खेल नीति पर सुझाव मांगे थे। बैठक में शामिल ओलपिंक संघ के सदस्यों ने अपने-अपने सुझाव दिए और नई खेल नीति के ड्राफ्ट पर संतोष जताया, लेकिन कुछ खेल संघों ने कहा कि उन्हें बैठक में नहीं बुलाया गया था। उनका कहना है कि जो खेल संघ वर्षों से प्रदेश में खेल को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं उन्हें नई खेले नीति की जानकारी ही नहीं दी गई। उनका कहना है वर्ष 2014 में भी एक खेल नीति बनी थी, लेकिन वह प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई। इसका कोई लाभ खिलाड़ियों को नहीं मिल पाया।

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खिलाड़ी बोले, कैसे सुरक्षित होगा भविष्य

खेल नीति में खिलाडिय़ों के भविष्य सुरक्षित करने के लिए ठोस प्रविधान किए जा रहे हैं लेकिन, खिलाड़ी अब सरकार ने अपने भविष्य के लिए सवाल करने लगे हैं। राष्ट्रीय खेल दिवस पर खेल मंत्री अरविंद पांडेय  वेबिनार के माध्यम से खिलाडिय़ों को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर एथलेटिक्स खिलाड़ी सूरज पंवार ने सवाल किया कि खिलाड़ी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतते हैं, लेकिन उसके बाद भी उनको नौकरी के लिए धक्के खाने पड़ते हैं। आखिर हमारा भविष्य कब सुरक्षित होगा। खेल मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि नई खेल नीति में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों के लिए सरकारी नौकरी का प्रविधान किया जा रहा है। इन सवालों से साफ हो गया कि कड़ी मेहनत कर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को भी जब अपना भविष्य असुरक्षित लगता है। ऐसे में वह कैसे जूनियर खिलाडिय़ों को खेलों में भविष्य बनाने को प्रेरित करेंगे।

मेहनत करेंगे तो खुद आएंगे पुरस्कार

राष्ट्रीय खेल दिवस पर उत्तराखंड का सीना तब गर्व से चौड़ा हो गया। जब उत्तराखंड के दो होनहारों को द्रोणाचार्य व अर्जुन पुरस्कार मिले। निशानेबाजी कोच जसपाल राणा को द्रोणाचार्य और भारतीय बास्केटबाल टीम के कप्तान विशेष भृगुवंशी को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार मिलने पर विशेष ने युवाओं से कहा कि खिलाड़ी पुरस्कार के पीछे नहीं भागें, बल्कि खेल पर पकड़ बनाएं। जब खेल मजबूत होगा तो पुरस्कार खुद चलकर उनके पास आएगा। अगर कोई खिलाड़ियों सिर्फ पुरस्कार लेने के उद्देश्य से खेलता है तो ऐसा कर वह अपने साथ भी नाइंसाफी कर रहा है। उन्होंने खिलाड़ियों को फिटनेस पर विशेष ध्यान देने को कहा जिससे वह बेहतर प्रदर्शन कर सकें। उन्होंने कहा कि युवा जिस खेल में भविष्य तलाश रहे हैं उस खेल के प्रति ईमानदारी बरतें और उसमें पूरा दमखम लगाएं तभी सार्थक परिणाम सामने आएंगे। इसलिए खेल वो चुने जिसमें उनकी रूचि हो।

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नियमों के साथ हो खेल गतिविधियां

केंद्र सरकार ने अनलॉक चार की गाइडलाइन जारी कर दी गई। जिसमें 21 सितंबर से खेल गतिविधियों को शुरू करने की अनुमति दी है। करीब छह महीने बाद खेल गतिविधियां संचालित होगी। प्रदेश में 14 मार्च से खेल मैदान बंद हैं। जिसके बाद से खिलाड़ियों को मैदान में अभ्यास करने का अवसर नहीं मिला। उन्हें घर पर रहकर अपनी फिटनेस पर ध्यान दिया है। लेकिन अब खेल गतिविधियां शुरू होने जा रही है जिससे खिलाड़ी उत्साहित हैं। अब उन्हें अपने खेल पर फोकस करने का अवसर मिलेगा जिसकी वह काफी समय से प्रतीक्षा कर रहे थे। इस सब के बीच खिलाडिय़ों को मैदान में स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन का पालन करना भी जरूरी है। ताकि वह खुद भी सुरक्षित रह सकें और अपने खेल पर भी ध्यान दे पाएं। वहीं, प्रशिक्षकों को अभ्यास के दौरान यह देखना होगा कि किसी भी स्थिति में नियमों का उल्लघंन न हो पाए।

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