Move to Jagran APP

पोषक तत्वों की कमी संपन्न को भी बना सकती हैं कुपोषित

यदि खाने में सभी आवश्यक पोषक तत्व नहीं लिए जाएं तो एक संपन्न परिवार का व्यक्ति भी कुपोषण की शिकार हो सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 03:01 PM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 03:01 PM (IST)
पोषक तत्वों की कमी संपन्न को भी बना सकती हैं कुपोषित
पोषक तत्वों की कमी संपन्न को भी बना सकती हैं कुपोषित

देहरादून, सुकांत ममगाईं। आम सोच है कि कुपोषण का शिकार सिर्फ गरीब लोग ही होते हैं। पर, सच्चाई यह है कि कुपोषण सिर्फ कम खाना खाने से नहीं होता। यदि खाने में सभी आवश्यक पोषक तत्व नहीं लिए जाएं तो एक संपन्न परिवार का व्यक्ति भी कुपोषण की शिकार हो सकता है। आज की पीढ़ी फास्ट फूड व जंक फूड खाना ज्यादा पसंद करती हैं। परिणामस्वरूप उनके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते।

loksabha election banner

किसी भी देश का भविष्य उसके नौनिहाल होते हैं और यदि स्कूल जाने वाले ये बच्चे ही यदि उपरोक्त स्थिति से गुजर रहे हों तो आने वाले भविष्य का व्यस्क रोगमुक्त कैसे हो सकता है? बचपन मे ही कुपोषण के शिकार बच्चे पूरे समाज को अस्वस्थ और शारीरिक संघर्ष के लिए बाध्य युवा के रूप में परिलक्षित कर देते हैं जो देश के लिए घातक होता है। आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा कुपोषण अधिक बड़ी समस्या है। लेकिन शहरी और पढ़े लिखे तबके वाले परिवारों में भी यह समस्या आम है।

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. नवीन जोशी के अनुसार बदलते परिवेश ने हमारी जीवनशैली को तो प्रभावित किया है लेकिन बचपन भी इससे अछूता नही है। इसके कारणों पर गौर किया जाए तो खानपान की बदलती आदतें बच्चों के पोषण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। यदि आंकड़ों पर गौर करें तो पूरी दूनिया में 5फीसदी बच्चों की मौत का कारण कुपोषण है। कुपोषण का सीधा संबंध शरीर को आवश्यक कैलोरी एवं अन्य आवश्यक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन,विटामिन एवं मिनरल की कमी होना है। विडंबना यह है कि भारत जैसे देश मे गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले माता-पिता अपने बच्चों को संतुलित आहार नही दे पा रहे हैं वहीं दूसरी ओर अमीर और शहरी बच्चे भी खानपान की गलत आदतों की वजह से कुपोषण के शिकार ही जा रहे हैं।

शरीर में रक्त की कमी हो जाती है

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएस रावत का कहना है कि पौष्टिक आहार ना मिलने के कारण शरीर में रक्त की कमी हो जाती है तो उम्र के हिसाब से बच्चों का कद और वजन नहीं बढ़ पाता है। इन कारणों से 10 वर्ष की उम्र के बाद बच्चों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। आमतौर पर ऐसे बच्चे बहुत दुबले-पतले होते हैं और नजर भी कमजोर होती है।

कुपोषण के दुष्परिणाम

  • बच्चों का बार-बार बीमार होना।
  • कमजोर शरीर व मानसिक विकास न होना।
  • आयु के अनुसार कद न बढ़ना व कम वजन।  
  • सीखने की कमजोर क्षमता।

ऐसे बचें कुपोषण से

  • मौसमी फल व सब्जियों का नियमित सेवन करें।
  • रोटी, चावल, आलू, पास्ता व अनाज आदि सभी चीजें खाएं क्योंकि सभी में शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्व होते हैं।
  • दूध व अन्य डेयरी उत्पाद का सेवन अवश्य करें।
  • इसके अतिरिक्त मीट, मछली, अंडा व ड्राई फ्रूट्स का नियमित सेवन करें।

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में 16 हजार बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में दिया जा रहा पोषाहार

नेशनल हेल्थ सर्वे

स्टैंडर्ड ग्रोथ 2015-16 (क्रत्न)

  • 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनका कद उम्र के लिहाज कम है-32.5 शहरी व 34 ग्रामीण
  • 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनका वजन लंबाई के अनुरूप नहीं है-18.6 शहरी व 19.9 ग्रामीण
  • 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जो अंडरवेट हैं-25.6 शहरी व 27.1 ग्रामीण
  • एनीमिया से पीड़ि‍त 15-49 वर्ष तक के पुरुष-15 फीसदी शहरी व 15.9 फीसदी ग्रामीण
  • एनीमिया से पीड़ि‍त 6-59 माह के बच्चे-61.3 फीसदी शहरी व 59.1 फीसदी ग्रामीण 

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में 6.84 लाख स्कूली बच्चों को सेहत की भरपूर खुराक, पढ़ि‍ए पूरी खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.