रिस्पना को लेकर सरकार की मंशा पर मैड ने उठाए सवाल
रिस्पना नदी के पुनर्जीवन को लेकर सरकार की मंशा पर मैड संस्था ने सवाल उठाए हैं। संस्था का आरोप है कि सरकार ने रिस्पना के पुनर्जीवन को जो योजनाएं बनाई थीं, वह धरातल पर नहीं उतरी।
जागरण संवाददाता, देहरादून: रिस्पना नदी के पुनर्जीवन को लेकर सरकार की मंशा पर मैड संस्था ने सवाल उठाए हैं। संस्था का कहना है कि इसक ो लेकर आज तक सरकार ने जो भी दावे किए हैं, वह धरातल पर नहीं उतरे हैं। जुलाई में सरकार ने जो पौधे रिस्पना के उद्गम स्थल पर लगाए थे, रख-रखाव न होने के कारण अधिकतर सूख चुके हैं। संस्था के विनोद बगियाल ने कहा कि रविवार को सौ स्वयंसेवी सरकार को जगाने के लिए दीपनगर क्षेत्र में नदी किनारे सफाई अभियान चलाएंगे।
प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए विनोद ने कहा कि संस्था विगत सात वर्षो से रिस्पना और बिंदाल नदियों के पुनर्जीवन के लिए जन अभियान चला रही है। संस्था के प्रयासों से ही राष्ट्रीय जल विज्ञान रुड़की ने इन दोनों नदियों पर शोध कर रिस्पना के पुनर्जीवन पर अपनी मुहर लगाई थी। इसी के साथ वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने इन दोनों नदियों को गंगा बेसिन का भाग चिह्नित किया था। कहा कि नई सरकार ने भी शुरुआत में रिस्पना के पुनर्जीवन को काफी दिलचस्पी ली और इसके लिए कई कार्ययोजनाएं बनाई। इसके तहत रिस्पना के उद्गम स्थल से लेकर कई जगह पर लाखों पौधे लगाए। लेकिन, धीरे-धीरे सरकार का यह अभियान थम गया। जो पौधे लगाए गए थे, उनमें से अधिकतर रख-रखाव के अभाव में सूख चुके हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार मन से काम नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की आंखें खोलने के लिए मैड संस्था रविवार को रिस्पना के सबसे गंदे क्षेत्रों में सफाई अभियान चलाएगी। उन्होंने लोगों से उनके इस अभियान को सफल बनाने की अपील की है। प्रेसवार्ता के दौरान गायत्री, चेतना भट्ट, मोहित अरोड़ा आदि मौजूद थे।