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कम किराये वाली ट्रेनें चल रही खाली, दोगुने किराए पर कैसे चलेगी रोडवेज

उत्तराखंड में 18 डिब्बों की और कम किराये वाली ट्रेनें पटरी पर खाली दौड़ रहीं और उत्तराखंड सरकार ने बसों को दोगुना किराये पर दौड़ने की मंजूरी दे डाली।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 12:26 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 12:26 PM (IST)
कम किराये वाली ट्रेनें चल रही खाली, दोगुने किराए पर कैसे चलेगी रोडवेज
कम किराये वाली ट्रेनें चल रही खाली, दोगुने किराए पर कैसे चलेगी रोडवेज

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। 18 डिब्बों की और कम किराये वाली ट्रेनें पटरी पर खाली दौड़ रहीं और उत्तराखंड सरकार ने बसों को दोगुना किराये पर दौड़ने की मंजूरी दे डाली। स्थिति ये है कि दिल्ली से आने वाली जनशताब्दी ट्रेन में महज पौने दो सौ यात्री आ रहे, जबकि काठगोदाम से आने वाली ट्रेन में औसतन सौ यात्री रोजाना आ रहे। ऐसे में न तो रोडवेज संचालन को तैयार है, न ही निजी बस ऑपरेटर। सरकार के दोगुना किराये के फैसले पर दून में सिटी बस संचालकों ने शुक्रवार से संचालन शुरू तो जरूर किया, लेकिन ड्राइवर, कंडक्टर और हेल्पर के बिना इन बसों में कोई यात्री नजर नहीं आया।

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देहरादून-नई दिल्ली जनशताब्दी ट्रेन का साधारण किराया 150 रुपये है, जबकि एसी चेयरकार का किराया 490 रुपये। इसी तरह दून-काठगोदाम जनशताब्दी ट्रेन में साधारण किराया 165 रुपये, जबकि एसी चेयरकार में 555 रुपये है। रोडवेज में दून से दिल्ली का साधारण बस का किराया 335, जबकि एसी बस का 610 रुपये है। काठगोदाम-हल्द्वानी का किराया साधारण बस में 350 रुपये और एसी बस में 640 रुपये है। ट्रेनों की अपेक्षा बसों का किराया पहले ही दोगुना है। 

बीती एक जून से ट्रेनों का संचालन होने के बाद यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। एक जून को दिल्ली के लिए देहरादून से 415 यात्री ट्रेन में गए थे जबकि आने वालों की संख्या 423 थी। धीरे-धीरे यह आंकड़ा 18 जून को घटकर आने वालों का 177 व जाने वालों का 215 रह गया। काठगोदाम से आने वाले यात्रियों की संख्या तो सौ भी नहीं पहुंच रही। ऐसे में रोडवेज अफसरों ने ट्रेन के यात्रियों का ब्योरा जुटाया है। उनका मानना है कि जब ट्रेन में यात्री नहीं आ रहे तो दोगुने किराये पर बसों में कैसे आएंगे।

निजी ऑपरेटर नहीं हैं तैयार

दोगुना किराये पर बस संचालन से निजी ऑपरेटरों ने इनकार कर दिया है। देहरादून स्टेज कैरियर ऑपरेटर्स वेलफेयर एसो. के अध्यक्ष राम कुमार सैनी ने बताया कि बसों में दोगुना किराये पर कोई यात्री सफर नहीं करेगा। दोगुना किराया देने के बजाए लोग निजी बाइक या कार से चलना ही मुफीद समझेंगे। सरकार को किराया दोगुना करने के बजाए टैक्स, बीमे आदि में राहत करनी चाहिए थी।

रोडवेज संचालन पर 23 को फैसला

रोडवेज बसों के संचालन पर फैसला 23 जून को हो सकता है। दरअसल, 23 जून को रोडवेज की बोर्ड बैठक है। जिसमें बसों के संचालन का मुद्दा अहम है। मुख्यालय के अनुसार अभी अंतरराज्यीय संचालन तो संभव नहीं है। न यूपी, दिल्ली से मंजूरी है, न ही हरियाणा, राजस्थान और पंजाब से इस संबंध में मंजूरी मिली है। रोडवेज के लिए दिल्ली मार्ग सबसे मुनाफे का है मगर अभी वहां भी बस संचालन संभव नहीं। रोडवेज के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान द्वारा बताया गया कि अभी रोडवेज ने किराये को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने बताया कि बसों के संचालन व किराये को लेकर बोर्ड बैठक में चर्चा की जाएगी।

पूरा दिन खाली चलीं सिटी बसें

दोगुना किराये के आदेश के बाद शुक्रवार को शहर के दो रूट प्रेमनगर-परेड ग्राउंड व डाट मंदिर-नालापानी पर बसों का संचालन तो शुरू हुआ, लेकिन पूरा दिन बसें खाली दौड़ती नजर आई। पहले दिन 15 बसों का ही संचालन हुआ, लेकिन दोपहर बाद इन्हें खड़ा कर दिया गया। सिटी बस महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने बताया कि सोमवार से कोशिश की जाएगी कि हर रूट पर बसों का संचालन किया जाए। बस संचालकों को उम्मीद है कि धीरे-धीरे यात्री मिलने शुरू हो जाएंगे।

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उत्तर प्रदेश रोडवेज को रोज चार करोड़ रुपये का घाटा

रोडवेज के अधिकारियों की मानें तो उप्र रोडवेज को रोजाना चार करोड़ का घाटा हो रहा, जबकि उन्होंने किराया भी नहीं बढ़ाया है। उनका रोजाना का खर्च नौ करोड़ रुपये आ रहा, जबकि कमाई पांच करोड़ की ही हो रही है। ऐसे में अगर उत्तराखंड में बसों का संचालन शुरू करने को लेकर रोडवेज कदम पीछे खींच रहा है। 

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