आय नहीं बढ़ाने पर उत्तराखंड की निकायों को अनुदान से धोना पड़ेगा हाथ
शहरी निकायों को जोर का झटका लग सकता है। इन निकायों ने अब कर आमदनी में दस फीसद इजाफा नहीं किया तो उन्हें बढ़े हुए अनुदान से हाथ धोना पड़ेगा।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। सिर्फ केंद्र और राज्य से मिलने वाले अनुदान के भरोसे बैठे रहने वाले शहरी निकायों को जोर का झटका लग सकता है। इन निकायों ने अब कर आमदनी में दस फीसद इजाफा नहीं किया तो उन्हें बढ़े हुए अनुदान से हाथ धोना पड़ेगा। राज्य सरकार ने निकायों को ये हिदायत जारी की है। साथ ही निकायों से कर राजस्व बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों का ब्योरा तलब किया गया है।
प्रदेश में वर्तमान में 92 नगर निकाय हैं। निकायों की खुद की माली हालत बेहद खस्ता है। हालत ये है कि सभी निकाय अपने कार्मिकों के वेतन के साथ ही तमाम विकास कार्यों के लिए अनुदान के भरोसे हैं। चतुर्थ वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्य में निकायों को मिलने वाली धनराशि पर उनकी निर्भरता का अंदाजा इससे लग सकता है कि बगैर सरकार के अनुदान के गलियों-मुहल्लों में विकास कार्यों से लेकर साफ-सफाई की व्यवस्था ठप होने में देर नहीं लगेगी। वे अपने कार्मिकों के वेतन का खर्च उठाने की कुव्वत नहीं रखते।
हालांकि, आयोग ने निकायों को दिए जाने वाले अनुदान के साथ उनकी ओर से कर आमदनी बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए हैं। अब सभी निकायों को अनिवार्य रूप से अपनी कर आमदनी में दस फीसद की वृद्धि करनी होगी। ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें बढ़ा हुआ अनुदान नहीं मिल सकेगा।
दरअसल, शहरी निकायों में कर आमदनी बढ़ाने को लेकर उत्साह नजर नहीं आता। यह उदासीनता आगे जारी रहना उनके लिए मुश्किलों का सबब बन सकता है। वित्त सचिव अमित नेगी के मुताबिक नगर निकायों को लगातार कर राजस्व बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अब उन्हें करों में दस फीसद वृद्धि के लिए किए गए उपायों का ब्योरा शासन को देना होगा। इस संबंध में निकायों को निर्देश जारी किए गए हैं।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने चतुर्थ वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 92 निकायों को पहली तिमाही किस्त के रूप में 154.80 करोड़ की राशि जारी की है। त्रिस्तरीय पंचायतों को भी 296.57 करोड़ धनराशि दी गई है।
वित्त सचिव ने बताया कि निकायों को आगामी 30 जून तक उक्त धनराशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र देना होगा। साथ ही शहरी निकायों को करों में वृद्धि का ब्योरा भी निदेशालय को उपलब्ध कराना होगा। इसके बाद उन्हें बढ़ा अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा।
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