अब जीवनशैली से जुड़े रोगों के निदान में मिलेगी मदद, दून अस्पताल में शुरू होगा लाइफस्टाइल क्लीनिक
देहरादून के दून अस्पताल में लाइफस्टाइल क्लीनिक शुरू होगी। इससे अब जीवन शैली से जुड़े रोगों के प्रबंधन और निदान में मदद मिलेगी। इस क्लीनिक में जनरल मेडिसिन कम्युनिटी मेडिसिन न्यूट्रीशियन व पीएमआर विभाग साझा अपनी सेवाएं देंगे।
जागरण संवाददाता, देहरादून: शारीरिक श्रम का अभाव, गलत खानपान, देर रात तक जागना, धूमपान व शराब आदि का सेवन यह सब कारण मिलकर लोग को रोगी बना रहे हैं। यही कारण है कि आज तेजी से हाईपरटेंशन, मधुमेह, मोटोपा, कोलेस्ट्राल का बढ़ना और विभिन्न गैर-सचारी रोगों के रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
जीवनशैली से जुड़े रोगों से लोग हो रहे प्रभावित
जीवनशैली से जुड़े रोग न केवल सामान्य बात हो गए हैं, बल्कि इससे बड़ी संख्या में युवा वर्ग भी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में दून मेडिकल कालेज प्रबंधन ने एक नई पहल की है।
मेडिकल कालेज अस्पताल में अब लाइफस्टाइल क्लिनिक संचालित किया जाएगा। जिसका मकसद रोग प्रबंधन के साथ-साथ लोग को प्रिवेंटिव हेल्थ की ओर प्रेरित करना है।
लाइफस्टाइल क्लिनिक का संचालन होगा ओपीडी के द्वितीय तल पर
प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने बताया कि लाइफस्टाइल क्लिनिक का संचालन ओपीडी के द्वितीय तल पर पीएमआर (फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेबिलिटेशन) विभाग के साथ होगा।
पीएमआर के इंचार्ज डा. अभिषेक चौधरी ही इसकी व्यवस्था देखेंगे।
जनरल मेडिसिन, कम्युनिटी मेडिसिन, न्यूट्रीशियन व पीएमआर विभाग के चिकित्सक व स्टाफ इसमें अपनी सेवा देंगे। कम्युनिटी मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दीनदयाल वर्मा व डायटीशियन रिचा कुकरेती को इस बाबत निर्देशित कर दिया है।
स्वास्थ खानपान व संयमित रखें दिनचर्या
डा. सयाना के अनुसार जीवनशैली में बदलाव कर कई बीमारियों से बचा जा सकता है। हाईपरटेंशन, मधुमेह सहित अन्य गैर संचारी रोग के प्रबंधन में स्वास्थ खानपान व संयमित व संतुलित दिनचर्या का महत्वपूर्ण योगदान है।
बीमारी की दशा में क्या रखें अपना खानपान
इससे बीमारी के प्रबंधन में मदद मिलती है। लाइफस्टाइल क्लीनिक में व्यायाम, आहार आदि की भूमिका पर भी बात होगी। डायटीशियन मरीज को बताएगी कि बीमारी की दशा में वह अपना खानपान क्या रखे। ताकि उसे पर्याप्त पोषण मिले और बीमारी की रोकथाम में भी मदद मिले।
कम्युनिटी मेडिसिन का काम गैर-सचारी रोगों के प्रति जागरुकता लाना और मरीज की काउंसलिंग करना होगा। मसक्यूलोस्केलेटल डिस्आर्डर में स्थिति का मूल्यांकन, प्रबंधन व निदान पीएमआर विभाग करेगा। दवा आदि का पक्ष मेडिसिन विभाग देखेगा। यह सामूहिक प्रयास से एक सहायक पद्धति की तरह काम करेगा।