नेपाल के पीएम ओली के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट को लिखा पत्र, जानिए क्या है मांग
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भारत विरोधी बयानों से भारत में रह रहे प्रवासी नेपाली-गोरखा समुदाय में आक्रोश है।
मसूरी, जेएनएन। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भारत विरोधी बयानों से भारत में रह रहे प्रवासी नेपाली-गोरखा समुदाय में आक्रोश है। गोरखा इंटरनेशनल सोसायटी कल्चर फाउंडेशन की मसूरी शाखा ने इस मामले में हेग (नीदरलैंड) स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को पत्र भेजा है। जिसमें भारत का विरोध रोकने और नेपाल के 11 गांवों को चीन के कब्जे से मुक्त कराने की मांग की गई है।
गोरखा इंटरनेशनल सोसायटी कल्चर फाउंडेशन की मसूरी शाखा के अध्यक्ष ज्योति प्रसाद बिष्ट ने कहा, पत्र के जरिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को बताया गया है कि नेपाल के प्रधानमंत्री लगातार बयानबाजी कर भारत-नेपाल के संबंधों में दरार डाल रहे हैं। उन्होंने केपी ओली पर आरोप लगाया है कि वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर नेपाल को चीन के हाथों सौंपने का षड्यंत्र रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के साथ नेपाल का सदियों से रोटी-बेटी का नाता है। भारत में रह रहे गोरखाली समुदाय के 80 लाख से अधिक लोग इस मामले में भारत के साथ हैं।
कोर्ट में पैरवी को अधिवक्ता की मांग
ज्योति प्रसाद बिष्ट ने इस मामले में भारत सरकार से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पैरवी के लिए निश्शुल्क अधिवक्ता उपलब्ध करवाने की भी मांग की है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से मांग की है कि नेपाली प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दे। पत्र की प्रति भारत, नेपाल, अमेरिका, रूस, नीदरलैंड के दूतावास सहित भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी भेजी गई है।