अफसरों का रवैया असंवेदनशील और उदासीन
संसदीय लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों का स्थान अद्वितीय है। विधायी सभा शक्ति का स्रोत है और उसी से शासन-प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों को विधायी शक्ति मिलती है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
संसदीय लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों का स्थान अद्वितीय है। विधायी सभा शक्ति का स्रोत है और उसी से शासन-प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों को विधायी शक्ति मिलती है। विधानसभा की पीठ ने गुरुवार को कांग्रेस विधायक राजकुमार की ओर से जनप्रतिनिधियों को क्षेत्रों में अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा उनकी गरिमा के अनुकूल सम्मान न दिए जाने संबंधी विषय पर चर्चा के दौरान यह टिप्पणी की। पीठ ने यह भी कहा कि अधिकारियों का यह रवैया असंवेदनशील और उदासीनता का प्रतीक है।
विधायक राजकुमार ने कहा कि पीठ से सभी विधायकों को उनकी गरिमा के अनुकूल विभागीय कार्मिकों द्वारा यथोचित सम्मान दिए जाने के लिए दिशा-निर्देश निर्गत किए गए हैं। बावजूद इसके राज्य सरकार के अधिकारी इसकी अवहेलना कर रहे हैं। कई मर्तबा मुख्यमंत्री व मंत्रियों के निर्देशों पर भी अधिकारी जनहित के प्रकरणों का निस्तारण नहीं करते।
उन्होंने इस संबंध में सरकार की ओर से स्पष्ट नीति व नियमावली बनाने के साथ ही पीठ से भी निर्देश निर्गत करने का आग्रह किया। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि राज्य में नियम कानूनों का पालन नहीं हो रहा। पीठ ने इस पर कड़ा रुख अपनाया। साथ ही सरकार को निर्देश दिए कि वह जनप्रतिनिधियों के यथोचित प्रोटोकाल का पालन सुनिश्चित कराए। संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने इसका ब्योरा भी दिया। साथ ही कहा कि इस सिलसिले में दोबारा से दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं।