सचिवालय समिति के भूखंडों की खरीद में स्टांप चोरी पर विधिक राय लेगा रेरा
कारगी के पास भारूवाला ग्रांट में करीब 350 बीघा पर प्रस्तावित सचिवालय आवासीय सहकारी समिति के भूखंडों के मामले में रेरा ने विधिक राय लेने का निर्णय लिया है।
देहरादून, जेएनएन। कारगी के पास भारूवाला ग्रांट में करीब 350 बीघा पर प्रस्तावित सचिवालय आवासीय सहकारी समिति के भूखंडों के मामले में रेरा ने विधिक राय लेने का निर्णय लिया है। प्रशासन की जांच कमेटी की रिपोर्ट में उठाए गए तमाम बिंदुओं के बाद रेरा ने यह कदम उठाया है।
हाल में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) बीर सिंह बुदियाल की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि भूखंडों की खरीद-फरोख्त में सीधे तौर पर 85 लाख रुपये की स्टांप ड्यूटी की चोरी की गई है। यह राशि एक करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है।
इस मामले में प्रशासन अपने स्तर पर सब रजिस्ट्रारों के माध्यम से विस्तृत जांच बैठा चुका है। जबकि ले-आउट पास करने में किए गए खेल, नदी श्रेणी की भूमि भी जद में आने, एनजीटी के नियमों की अनदेखी, रेरा के नियमों का अनुपालन न करने, सहकारी समिति की वैधता पर उठे सवाल आदि को लेकर संबंधित विभागों के माध्यम से जांच कराने का सुझाव दिया गया है।
वहीं, समिति की प्रस्तावित कॉलोनी में प्लॉटिंग की अनुमति रेरा स्तर पर लंबित है और यह जांच रिपोर्ट रेरा को भी भेजी जा चुकी है। ऐसे में रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने पहले उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) के मुख्य अभियंता एनएस रावत को मामले के परीक्षण के लिए कहा था।
हालांकि, अब प्रकरण की जटिलता और निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए रेरा अध्यक्ष ने मामले की विधिक राय लेने के निर्देश उड़ा को दिए हैं। इसकी वजह यह कि बड़ी संख्या में सरकारी कार्मिकों ने यहां प्लॉट खरीदने को निवेश किया है। ऐसे में बिना उचित जांच-पड़ताल के भूखंडों में प्लॉटिंग को हरी झंडी देने से कार्मिकों की धनराशि फंस सकती है। क्योंकि अभी भी बड़ी संख्या में कार्मिकों ने पूरी धनराशि अदा नहीं की है।
यहां फंसता दिख रहा मामला
- प्रशासन की जांच में आया है कि परियोजना की जद में नदी श्रेणी की भूमि भी आ रही है और हाईकोर्ट ने ऐसी भूमि का आवंटन निरस्त करने के आदेश दिए हैं। इसी भूखंड से जुड़ा यह मामला जिलाधिकारी देहरादून की कोर्ट में भी लंबित है।
- एमडीडीए के जिस प्रस्तावित मार्ग को दिखाकर समिति ने क्लेमनटाउन कैंट बोर्ड से ले-आउट पास कराया है, उसके निकट भविष्य में बनने की स्थिति स्पष्ट नहीं है। ऐसे में यदि प्लॉटिंग पास भी कर दी जाती है तो तब तक कार्मिक अपने घर नहीं बना पाएंगे, जब तक मार्ग की स्थिति स्पष्ट न कर दी जाए। लिहाजा, रेरा को इस मामले में एमडीडीए व कैंट बोर्ड से भी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ेगी।
- सहकारी समिति की वैधता को लेकर की गई जांच में इसके अस्तित्व पर ही सवाल उठाए गए हैं। ऐसे में जिस हैसियत से समिति ने प्लॉटिंग की अनुमति मांगी है, उसकी भी स्थिति साफ नहीं।
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