Move to Jagran APP

सिलेंडर की खराब हालत से हुआ क्लोरीन गैस का रिसाव!

गुरुवार रात को वाटर वक्र्स में क्लोरीन गैस के जिस सिलेंडर में रिसाव हुआ, उसके तले में एक सूक्ष्म छेद पाया गया। इसी छेद के चलते गैस सिलेंडर से रिसने लगी थी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 19 Aug 2017 05:31 PM (IST)Updated: Sat, 19 Aug 2017 10:54 PM (IST)
सिलेंडर की खराब हालत से हुआ क्लोरीन गैस का रिसाव!
सिलेंडर की खराब हालत से हुआ क्लोरीन गैस का रिसाव!

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: गुरुवार रात को वाटर वक्र्स में क्लोरीन गैस के जिस सिलेंडर में रिसाव हुआ, उसके तले में एक सूक्ष्म छेद पाया गया। इसी छेद के चलते गैस सिलेंडर से रिसने लगी थी। हालांकि जिस कारण इस छेद के होने की बात सामने आ रही है, वह न सिर्फ गंभीर है, बल्कि जल संस्थान की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। 

loksabha election banner

सिलेंडर के तले पर पूरी तरह जंग लगा मिला और इससे तला काफी कमजोर भी हो गया था। जांच टीम के प्रमुख महाप्रबंधक सुधीर शर्मा के प्रारंभिक आकलन में भी सिलेंडर की खराब स्थिति की बात सामने आई है। हालांकि विस्तृत जांच के लिए सिलेंडर को सील कर दिया गया है और पूरी तस्वीर जांच समाप्त होने के बाद ही सामने आ पाएगी।

 अब बड़ा सवाल यह है कि क्लोरीन जैसी जहरीली गैस वाले सिलेंडर की स्थिति को लेकर जल संस्थान के अधिकारी अब तक आंखें मूंदे क्यों बैठे रहे। ऐसा भी नहीं है कि सिलेंडर की उम्र पूरी हो चुकी थी, क्योंकि जांच टीम के प्रमुख सुधीर शर्मा के मुताबिक सिलेंडर की खरीद दो साल पहले ही की गई थी और एक सिलेंडर की उम्र करीब पांच साल होती है। 

तो क्या जल संस्थान को खराब सिलेंडर की ही आपूर्ति की गई थी या रखरखाव में बरती गई हीलाहवाली के चलते सिलेंडर को जंग ने जकड़ लिया। बड़ा सवाल यह भी कि सिलेंडर खरीद की अवधि के बाद उसे कई बार रीफिल (पुन: भरना) भी किया गया और उस दौरान भी किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। जांच टीम के प्रमुख सुधीर शर्मा का कहना है कि सिलेंडर की स्थिति के साथ ही रखरखाव में बरती गई खामी आदि को लेकर भी जांच की जा रही है। जल्द तस्वीर स्पष्ट कर दी जाएगी।

 सिलेंडर में मानक तार-तार

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग ने गैस सिलेंडरों के रखरखाव के लिए तमाम मानक तय किए हैं। इस आधार पर वाटर वक्र्स में क्लोरीन के रिसाव वाले सिलेंडर की स्थिति देखें तो तमाम मानक तार-तार पाए गए। नियमों में स्पष्ट किया गया है कि सिलेंडर को लाने-ले जाने में किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। जबकि इस सिलेंडर का निचला हिस्सा पूरी तरह पिचका हुआ था। यही नहीं सिलेंडर का रंग उड़ चुका था और किसी तरह की तारीख या जानकारी भी उस पर अंकित नहीं थी।

 सिलेंडर के मानक जो पूरे नहीं थे

ज्वलनशील नहीं, लेकिन जहरीली प्रकृति वाले क्लोरीन गैस जैसे सिलेंडरों का खोल सफेद रंग का होना चाहिए। इसके साथ ही सिलेंडर के गर्दन वाले हिस्से पर पीला रंग लगा होना चाहिए। गैस भरने वाले प्रतिष्ठान/व्यक्ति की जानकारी भी सिलेंडर पर अंकित करने का नियम है। इनमें से कोई भी मानक पूरा नहीं था।

 यह भी पढ़ें: आधी रात को जल संस्थान में धमाका, क्लोरीन गैस लीक; दस बेहोश

यह भी पढ़ें: अलकनंदा नदी के उफान में फंसा परिवार, पुलिस ने रेस्क्यू कर बचाया

यह भी पढ़ें: पिथौरागढ़ में बादल फटा, 17 की मौत; सेना के पांच जवान सहित 30 लापता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.