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नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने खारिज किया हरीश रावत का सुझाव

कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत के अगले चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करने के सुझाव ने पार्टी के भीतर खींचतान बढ़ा दी है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डा इंदिरा हृदयेश ने हरीश रावत के इस सुझाव को खारिज कर उन्हें पार्टी की परंपरा याद दिला दी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 07:05 AM (IST)
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने खारिज किया हरीश रावत का सुझाव
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने खारिज हरीश रावत का सुझाव किया। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत के अगले चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करने के सुझाव ने पार्टी के भीतर खींचतान बढ़ा दी है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डा इंदिरा हृदयेश ने हरीश रावत के इस सुझाव को खारिज कर उन्हें पार्टी की परंपरा याद दिला दी। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि आगामी चुनाव को लेकर पार्टी का रुख स्पष्ट कर चुके हैं। इस पर देर शाम हरीश रावत ने भी प्रतिक्रिया दी कि पार्टी में चुनाव से पहले नेता तय करने की परंपरा बदली गई है। उसके अधिकतर अच्छे नतीजे भी रहे। उत्तराखंड में इस समय भाजपा के विरोध में हमें अपना चेहरा घोषित करना चाहिए।

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प्रदेश में कांग्रेस के भीतर चुनाव से पहले चेहरा घोषित करने के मुद्दे पर सियासत गर्मा गई है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और राज्य में पार्टी विधानमंडल दल की नेता इंदिरा हृदयेश ने रावत के बयान पर पलटवार में देर नहीं लगाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनाव में बहुमत आने के बाद ही चेहरा तय करती रही है। मुख्यमंत्री का नाम पहले तय नहीं किया जाता। पार्टी ने दूसरे राज्यों में बहुमत आने के बाद चेहरा तय किया है। हरीश रावत पार्टी की इस परंपरा को खुद अच्छी तरह जानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस वक्त पार्टी के कप्तान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव चुनाव में सामूहिक नेतृत्व की नीति जाहिर कर चुके हैं। वर्ष 2002 से 2012 तक हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी इसी नीति पर आगे बढ़ी है। 2022 में यही परंपरा रहेगी। उन्होंने कहा कि आवश्यकता हुई तो प्रदेश संगठन भी हाईकमान तक अपना संदेश पहुंचा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि हरीश रावत पार्टी के राष्ट्रीय नेता हैं, उन्हें अपनी राय रखने का हक है।

इंदिरा हृदयेश की टिप्पणी पर हरीश रावत चुप नहीं बैठे। इंदिरा का नाम लिए बगैर उन्होंने अपने रुख को और साफ करते हुए कहा कि चुनाव के वक्त कोई असमंजस नहीं होना चाहिए। एक नाम आगे कर हम सब उसके साथ चलें। पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, केरल व दिल्ली और कई राज्यों में पार्टी ने स्पष्ट चेहरा घोषित किया और चुनाव लड़े। परंपरा हमारी बनाई हुई हैं। स्थितियों को देखकर इसमें बदलाव ला सकते हैं और लाना चाहिए। भाजपा ने चुनाव को राजनैतिक घटना के स्थान पर महायुद्ध में बदल दिया है। इसलिए कमांड लाइन बिल्कुल स्पष्ट होनी आवश्यक है। इससे मतदाता अपना मन बना सकेंगे।

प्रदेश संगठन को निशाने पर लिया

मीडिया के सवाल के जवाब में हरीश रावत ने प्रदेश संगठन को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि जिन कार्यकत्र्ताओं की निष्ठाएं केवल कांग्रेस के साथ रहीं, उन्हें किसी तरह अलग किया गया या निष्कासित कर दिया गया। दरअसल नेता प्रतिपक्ष के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी आगामी चुनाव में सामूहिक नेतृत्व और चुनाव से पहले किसी चेहरा विशेष को सामने लाने के पक्ष में नहीं रहे हैं। गाहे-बगाहे खुलकर उन्होंने अपना रवैया साफ किया है।

'सिसोदिया ने दिल्ली में अच्छा काम किया'

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के प्रदेश के सरकारी स्कूलों की दशा को निशाने के सवाल पर हरीश रावत ने कहा कि दिल्ली वालों ने उनका कांसेप्ट लिया है। उनकी सरकार ने 600 मॉडल स्कूल और अभिनव स्कूल बनाए थे। सिसोदिया ने दिल्ली में अच्छा काम किया है। वहां के स्कूल अच्छे हैं। भविष्य में उनकी सरकार बनी तो शिक्षा मंत्री को दिल्ली की तुलना में बेहतर तरीके से काम करने को कहेंगे।

'करो या मरो' सरीखा है अगला चुनाव

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पार्टी हाईकमान को दिए गए इस सुझाव के सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। अगले चुनाव कांग्रेस के साथ हरीश रावत के लिए भी करो या मरो सरीखे माने जा रहे हैं। उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत प्राप्त कर चुकी भाजपा इसवक्त कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए पार्टी किसी गुट विशेष को तरजीह देने के बजाय सभी को साथ लेकर मजबूती के साथ भाजपा को टक्कर देने की रणनीति पर काम कर रही है। उत्तराखंड का हिमालयी क्षेत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तपस्थली रहा है। इस क्षेत्र से खास लगाव वह जाहिर करते रहे हैं। पार्टी यहां से जीत दर्ज कर पूरे देश में एक संदेश देना चाहती है। फिलहाल पार्टी की इस रणनीति को पहले मोर्चे पर उसके ही कद्दावर नेता से चुनौती मिल रही है।

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