Move to Jagran APP

पुल ढहने का मामला में कंस्ट्रक्शन कंपनी और ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा

ऋषिकेश बदरीनाथ मार्ग पर गूलर के समीप हुए पुल हादसे के मामले में पुलिस ने निर्माण कर रही कंपनी के खिलाफ लापरवाही बरतने सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। रविवार देर शाम करीब छह सवा बजे गूलर के समीप निर्माणाधीन टू लेन पुल ढह गया था।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 03:52 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 11:21 PM (IST)
पुल ढहने का मामला में कंस्ट्रक्शन कंपनी और ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा
रविवार शाम ऋषिकेश बदरीनाथ मार्ग पर गूलर के समीप ढहा निर्माणाधीन पुल।

ऋषिकेश, जेएनएन। ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत शिवपुरी के निकट निर्माणाधीन पुल ढहने के मामले में कंस्ट्रक्शन कंपनी की बड़ी लापरवाही सामने आई है। निर्माण स्थल पर न तो कंपनी के इंजीनियर मौजूद थे और न ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। यहां तक कि पर्याप्त रोशनी का प्रबंध भी नहीं था। मुनिकीरेती थाने की पुलिस ने इस सिलसिले में गाजियाबाद की राजा श्याम कंस्ट्रक्शन कंपनी और ठेकेदार देवेंद्र चौधरी के खिलाफ लापरवाही बरतने का मुकदमा दर्ज किया है। विभागीय स्तर पर भी प्रकरण की जांच की जा रही है। 

loksabha election banner

रविवार शाम हुआ था हादसा

ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर शिवपुरी में गूलर के पास बन रहे पुल का 45 मीटर हिस्सा रविवार शाम ढह गया था। इस हिस्से में लेंटर डाला जा रहा था। इस दौरान सेटरिंग टूट गई थी और वहां काम कर रहे 14 मजदूर गहरी खाई में गिर गए थे। हादसे में एक श्रमिक की मौत हो गई थी, जबकि 13 अन्य का एम्स ऋषिकेश में उपचार चल रहा है। 

कंपनी की लापरवाही आई सामने

यद्यपि पुलिस और विभाग की अभी प्रारंभिक जांच ही पूरी हुई है, लेकिन इसी में हैरान करने खामियां सामने आई हैं। हालांकि जांच एजेंसियों की तरफ से अभी हादसे की कोई ठोस वजह आधिकारिक रूप से नहीं बताई गई, लेकिन कंस्ट्रक्शन कंपनी के स्तर से निर्माण स्थल पर जरूरी बुनियादी इंतजाम तक नहीं किया जाना सामने आया है। 

मुनिकीरेती थाने के प्रभारी निरीक्षक आरके सकलानी ने बताया कि प्राथमिक जांच में निर्माण करा रही कंपनी के स्तर पर लापरवाही बरते जाने की बात सामने आई है। थाना प्रभारी ने बताया कि हादसे के वक्त कंपनी का कोई भी इंजीनियर मौके पर नहीं था। मौके पर लाइट का इंतजाम भी नहीं था। मजदूर अंधेरे में काम कर रहे थे।  यही नहीं, श्रमिकों के पास हेलमेट तक नहीं थे। निर्माण नदी तल से 22 मीटर ऊंचाई पर हो रहा था, लेकिन इस लिहाज से सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए थे। विभाग के स्तर पर प्रकरण की जांच जारी है। लेकिन, आपराधिक कृत्य के लिहाज से पुलिस भी अपने स्तर पर जांच करेगी। जांच में यदि अन्य भी जिम्मेदार पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। 

जांच के लिए पहुंचे चीफ इंजीनियर

मुख्यमंत्री के आदेश पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर शरद कुमार ने सोमवार सुबह घटनास्थल पहुंचकर जांच की। उन्होंने आसपास के लोगों से भी जानकारी हासिल की। कहा कि, मामले की पूरी जिम्मेदारी ठेकेदार की है। मुख्य अभियंता ने बताया कि प्रकरण की सभी पहलुओं से जांच की जा रही है, जल्द विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुल का निर्माण कार्य नहीं रुकेगा। वहां से मलबा हटाने का काम शुरू करा दिया गया है।

प्रशासन की टीम ने भी लिया जायजा

टिहरी जिला प्रशासन की टीम ने भी दोपहर घटना का जायजा लिया। डीएम ईवा श्रीवास्तव के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी शिवचरण द्विवेदी नरेंद्रनगर की उप जिलाधिकारी युक्ता मिश्रा के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने सेटरिंग के भार वहन न कर पाने की वजह से हादसा होने की आशंका जताई।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड: अवैध शराब मामले में सजा बढ़ाने के लिए एक्ट में संशोधन की तैयारी

नब्ब  मीटर लंबे पुल पर सिर्फ एक पिलर 

90 मीटर लंबे दो लेन पुल का निर्माण दो चरणों में किया जा रहा है। पुल का आधा हिस्सा तैयार हो चुका है, जबकि आधा यानी 45 मीटर बनना बाकी है। इतने लंबे पुल के सपोर्ट के लिए इसके मध्य में केवल एक पिलर बनाया गया है। तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि 90 मीटर लंबे पुल की मजबूती के लिए कम से कम तीन सपोर्टिंग पिलर जरूरी हैं।

यह भी पढ़ें: तो क्या केंद्र सरकार की एजेंसी नहीं कर रही थी निगरानी, निर्माणाधीन पुल ढहने के मामले में उठने लगे सवाल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.