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नए साल में कानून व्यवस्था होगी और भी मजबूत, जानिए पिछले साल कहां रह गई चूक

महिला सुरक्षा के लिहाज से नया साल उम्मीदों से भरा होगा। कानून व्यवस्था में हुई तब्दीलियों का असर भी नजर आएगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 04:02 PM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 04:02 PM (IST)
नए साल में कानून व्यवस्था होगी और भी मजबूत, जानिए पिछले साल कहां रह गई चूक
नए साल में कानून व्यवस्था होगी और भी मजबूत, जानिए पिछले साल कहां रह गई चूक

देहरादून, संतोष तिवारी। साल 2020 महिला सुरक्षा के लिहाज से उम्मीदों से भरा होगा। उम्मीद घर की दहलीज से बाहर सुरक्षित माहौल देने और विकृत मानसिकता वालों को सलाखों के पीछे करने की है, जिस पर उत्तराखंड पुलिस कई अहम फैसलों की पृष्ठभूमि तैयार कर चुकी है, कामकाजी महिलाओं और छात्राओं की बहुलता वाले क्षेत्र सेलाकुई को विशेष थाना बनाना इसी कड़ी का हिस्सा है। साथ ही देहरादून में महिला थाना खोलने, कुमाऊं परिक्षेत्र में साइबर थाना खोलने के साथ दूरस्थ और सीमांत क्षेत्रों में पुलिस की पहुंच बनाने के लिए गाड़ियों और अन्य संसाधनों का बंदोबस्त करने की दिशा में पुलिस आधुनिकीकरण के जरिए मंथन चल रहा है। वहीं, बीते साल साइबर अपराधियों की बढ़ती धमक और किटी कमेटी के जरिए लोगों की गाढ़ी कमाई डकारने वालों पर शिकंजा कसने की दिशा में भी पुलिस शिद्दत से जुटी है। 

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देवभूमि में नहीं होगी महिला अपराध की जगह 

साल 2019 ने आपराधिक वारदातों के लिहाज से कई बड़ी चुनौतियां पेश की, लेकिन सुकून की बात यह रही कि पुलिस ने हर बार उनका करारा जवाब दिया। कई बड़े अपराधी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिए गए। मगर, हैदराबाद और उन्नाव कांड ने महिला अपराध और सुरक्षा को लेकर जो नई बहस छेड़ी, जिससे उत्तराखंड भी अछूता नहीं रहा। शिक्षानगरी होने की वजह से तमाम राज्यों की लड़कियां यहां अकेले रहकर पढ़ाई कर रही हैं, जिनकी सुरक्षा को लेकर उत्तराखंड पुलिस ने नए सिरे मंथन शुरू किया और कई बड़े कदम उठाते हुए उनमें उम्मीद जगाई कि वह देवभूमि में हैं तो उनकी सुरक्षा हम पर है और इस भरोसे को पूरा करने के लिए नए साल 2020 में पुलिस और उसके काम करने के तौर-तरीकों में भी नयापन नजर आएगा। 

पीसीआर वैन से घर छोड़ने की पहल को मिली सराहना 

हैदराबाद कांड के बाद रात में घरों से निकलने वाले कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा को उत्तराखंड पुलिस ने देहरादून से एक नई पहल शुरू की, जिसे देश के कई अन्य राज्यों ने भी अपनाया। यह पहल रात के समय अकेली महिला को पीसीआर वैन से घर छोड़ने की थी। देहरादून के एसएसपी अरुण मोहन जोशी की पहल को सूबे के अन्य जिलों की पुलिस ने अपनाया। इसकी सामाजिक संगठनों ने मुक्त कंठ से सराहना भी की। 

हर जिले में बनेगा महिला काउंसलिंग सेल 

महिलाओं से जुड़े अपराध को लेकर अब तक जो बंदोबस्त किए गए हैं, उसमें कहीं न कहीं बिखराव देखने को मिलेगा। महिला हेल्पलाइन अलग काम कर रहा है तो जिलों में गठित महिला सहायता प्रकोष्ठ अलग काम करती है। वहीं, काउंसलिंग को लेकर भी सबकुछ पुराने ढर्रे पर ही चला आ रहा है। मगर पुलिस मुख्यालय ने तय किया है कि अब हर जिले में महिला काउंसलिंग सेल बनेगा। जहां हर माध्यम से आने वाली महिला संबंधी शिकायतों के निस्तारण की कोशिश होगी। ऐसा नहीं कि यहां मामले महीनों लटके रहेंगे। 

पुलिस महानिदेशक अपराध और कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने सख्त निर्देश दिए हैं यहां आने वाले मामले हर हाल में दो महीने के भीतर ही निपटाने होंगे। सेल से सीनियर सिटीजन सेल को भी जोड़ा जाएगा। इसकी मॉनीटरिंग के लिए हर जिले में एक राजपत्रित अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। 

नए स्वरूप में नजर आएगा डायल 112 

अपराध और अपराधियों की आधारभूत इकाई थानों के आधुनिकीकरण पर भी नए साल में फोकस रहेगा। इसमें सबसे ऊपर डायल 112 को रखा गया है। पूरे देश में एकीकृत आपातकालीन सेवा डायल 112 से 108, महिला हेल्पलाइन 1090 समेत तमाम हेल्पलाइन नंबरों को जोड़ने की तैयारी अंतिम चरण में है। डायल 112 में महिला स्टाफ की बढ़ोत्तरी के साथ अन्य संसाधन बढ़ाने की दिशा में भी प्रयास शुरू कर दिया गया है। इसके साल 2020 के मध्य तक पूरा होने की उम्मीद है। वहीं, थानों में गश्त के लिए गाड़ियों की संख्या बढ़ाने की दिशा में प्रस्ताव तैयार हो चुका है। 

हर जिले में खुलेगा महिला थाना 

महिला अपराध पर अंकुश लगाने और महिला संबंधी अपराधों के त्वरित निस्तारण के लिए हर जिले में महिला थाना खोलने की जरूरत महसूस की जाने लगी है। हाल ही में सहसपुर थाने की सेलाकुई चौकी को विशेष थाने का दर्जा दिया गया है। विशेष इस लिहाज से कि यहां महिला इंस्पेक्टर की तैनाती की गई है। सेलाकुई की औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले महिलाओं की सुरक्षा और संस्थानों में पढ़ने वाली छात्राओं को अपना दर्द बयां करने के लिए कहीं भी भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और अन्य जिलों में महिला थाना खोलने की तैयारी है, जिस पर नए साल में सरकार में निर्णय ले सकती है। 

कुमाऊं में खुलेगा साइबर थाना 

उत्तराखंड में फिलवक्त राजधानी देहरादून में ही साइबर थाना है। कुमाऊं परिक्षेत्र के जिलों से सैकड़ों किलोमीटर दूरी होने की वजह से नैनीताल, ऊधमसिंहनगर, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर के लोगों को साइबर थाने तक आने में काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। किसी तरह यहां आकर अपनी शिकायत दर्ज करा भी दी तो बाद में कानूनी प्रक्रिया के दौरान बयान आदि देने में उन्हें कई बार सोचना पड़ता है। ऐसे में कुमाऊं परिक्षेत्र के किसी जिले में नए साल में उत्तराखंड के दूसरे साइबर थाने के अस्तित्व में आने की उम्मीद काफी बढ़ गई है। 

साइबर क्राइम के बदले ट्रेंड ने पेश की चुनौतियां 

हथियारों के दम पर किसी को लूटने की मोड्स ऑपरेंडी (अपराध के तरीके) को पीछे छोड़ अपराध जगत में कदम रख रही नई पीढ़ी ने साइबर तकनीक को हथियार बनाकर साल 2019 में बड़ी चुनौतियां पेश कीं। साइबर अपराधियों ने ऐसे लोगों को अपना शिकार बनाया जो भी इंटरनेट और अन्य अत्याधुनिक तकनीकी को उपयोग करना शुरू तो कर दिया, लेकिन वह उसकी सुरक्षा को लेकर या तो गंभीर नहीं थे या कहें कि उन्हें सुरक्षा की तकनीक के बारे में पता ही नहीं है। अकेले देहरादून में साइबर ठगी की 28 बड़ी घटनाएं हुईं, जिसमें लोगों ने जीवन भर की गाढ़ी कमाई एक झटके में गवां दी। वहीं, पूरे राज्य पर नजर डालें तो साइबर अपराध का आंकड़ा तीन सौ से ऊपर है। 

पुलिस को बदलना पड़ा नियम 

बढ़ते साइबर अपराध के दायरे ने उत्तराखंड पुलिस को आइटी एक्ट के मामलों की विवेचना इंस्पेक्टर से ही कराने के नियम में बदलाव करना पड़ा। इसके लिए जिलों के अलग-अलग थानों में तैनात दारोगाओं को भी साइबर अपराध की विवेचना के तौर-तरीकों से परिचित कराया गया। मौजूदा वक्त में सूबे के पांच सौ से अधिक दारोगा साइबर अपराध की विवेचना के लिए प्रशिक्षित किए जा चुके हैं। 

सेना के भरोसे का किया इस्तेमाल 

एटीएम कार्ड की डिटेल लेकर या क्लोनिंग कर या फिर लॉटरी-ईनाम का झांसा देकर ठगी करने के शुरूआत तरीकों के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ी तो साइबर अपराधियों ने नया ट्रेंड इस्तेमाल किया। साल 2019 में साइबर ठगी के डेढ़ दर्जन ऐसे मामले सामने आए, जिसमें लोगों को सेना के नाम पर ठगा गया था। दरअसल, ठग ओएलएक्स जैसी ऑनलाइन मर्चेंट वेबसाइट पर फौजी बनकर ऐसी गाड़ियों को बेचने का विज्ञापन पोस्ट करने लगे, जो या तो चोरी की थी या फिर किसी थाने में खड़ी थीं। महंगी गाडिय़ों की कम कीमत लगाकर लोगों को आकर्षित करते और फिर उन्हें झांसे में लेकर ठगते और फिर गायब हो जाते। एसटीएफ ने साल 2019 में ऐसे तीन गैंग को पकड़ कर सलाखों के पीछे भी किया। 

किटी-कमेटी ने उड़ाई लोगों की नींद 

बीते साल में किटी कमेटी के जरिए देहरादून में ठगी के करीब 36 मामलों ने हजारों की संख्या में लोगों को कंगाल बना दिया। हालांकि ठगी के शिकार लोगों ने छोटी बचत कर सपना देखा था कि आने वाले दिनों में उन्हें अच्छा मुनाफा होगा, लेकिन जब किटी कमेटी संचालकों ने धोखा देना शुरू किया तो उनके होश उड़ गए। पुलिस ने भी इन पर शिकंजा कसा, लेकिन जिन लोगों के पैसे डूबे, वह अभी रकम वापस पाने को दर-दर भटक रहे हैं। 

इस साल की चर्चित घटनाएं 

19 जनवरी: अभिनेत्री अमृता सिंह मामा के निधन पर संपत्ति विवाद को लेकर देहरादून पहुंचीं। 

15 फरवरी: पुलवामा हमले के बाद कश्मीरी छात्रों की टिप्पणी से सूबे में स्थिति तनावपूर्ण हो गई। देहरादून, हरिद्वार, रुड़की समेत कुमाऊं के कई जिलों में प्रदर्शन हुए। 

10 अप्रैल: आइजी गाड़ी से प्रापर्टी डीलर से लूट की सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया। इसमें आरोपित पुलिसकर्मी ही थे। 

सात मई: कैनाल रोड पर बुटीक संचालिका समर जहां को मुजफ्फरनगर के शूटरों ने सरेराह गोलियों से भूनकर हत्या कर दी। 

11 जुलाई: शिमला बाईपास पर डंपर ने छात्रा को कुचल दिया। इस घटना ने पूरे प्रदेश में डंपरों पर शिकंजा कसने की दिशा में सरकार को सोचने पर विवश कर दिया। 

14 जुलाई: शहर में स्कूटी सवार बदमाशों ने सात चेन लूट की वारदातों को अंजाम देकर सनसनी फैला दी। 

30 अगस्त: देहरादून के धर्मपुर में बुटीक संचालिका कामना रोहिला की हत्या। पति ने इस वारदात से आठ महीने पहले अपनी बुआ के लड़के रिंकू को भी मौत के घाट उतारा था। 

20 सितंबर: राजधानी की पथरिया पीर बस्ती में जहरीली शराब से सात लोगों की मौत हो गई। 

22 सितंबर: अभिमन्यु क्रिकेट ऐकेडमी के संचालक और क्रिकेटर अभिमन्यु ईश्वरन के पिता आरपी ईश्वरन को बंधक बनाकर दिल्ली के बदमाशों ने डकैती डाली। 

22 सितंबर: ऋषिकेश के चिल्ड्रेन होम में छात्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। 

30 दिसंबर: सहसपुर थाने के हवालात में अवैध तरीके से हिरासत में रखे गए पोक्सो के आरोपित ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। 

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पुलिस महानिदेशक अपराध और कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि साल 2019 में हर अपराध के बाद अपराधियों को शिकंजा और तेजी से कसा गया। देवभूमि में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है। सभी जिलों को निर्देशित किया गया है कि वह अपराधियों पर नकेल कसने के लिए हरसंभव कदम उठाएं। इसके साथ महिला सुरक्षा को प्राथमिकता पर रखते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, जिसका असर नए साल में देखने को मिलेगा।

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साल 2019 में घटित अपराध 

अपराध, वर्ष 2019, वर्ष 2018 

लूट, 122, 125 

वाहन लूट, 16, 24 

चेन लूट, 41, 36 

नकबजनी, 349, 270 

वाहन चोरी, 838, 922 

चोरी, 838, 1049 

हत्या, 175, 189 

महिला अपहरण, 273, 263 

अन्य अपहरण, 66, 157 

दहेज हत्या, 52, 62 

दुष्कर्म, 499, 505 

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