अनुपयोगी कानून होंगे समाप्त
राज्य विधि आयोग की गुरुवार को आयोजित बैठक में उत्तराखंड में निष्प्रयोज्य हो चुके उत्तरप्रदेश के जमाने के दस कानूनों को निरसित (समाप्त) करने पर विचार किया गया।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
राज्य विधि आयोग की गुरुवार को आयोजित बैठक में उत्तराखंड में निष्प्रयोज्य हो चुके उत्तरप्रदेश के जमाने के दस कानूनों को निरसित (समाप्त) करने पर विचार किया गया। यह तय किया गया कि ऐसे अधिनियमों को समाप्त किए जाने के संबंध में कार्रवाई को संबंधित विभागों की ओर से प्रस्ताव आयोग को भेजे जाएंगे।
आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजेश टंडन की अध्यक्षता में आयोग की गुरुवार को विधानसभा स्थित सभाकक्ष में आयोजित बैठक में राज्य में गैर जरूरी अधिनियमों के संबंध में विभागीय अधिकारियों ने विचार और सुझाव रखे। चिकित्सा शिक्षा अनुसचिव शिवशंकर मिश्रा ने बताया कि उत्तरप्रदेश भारतीय चिकित्सा संस्था अधिनियम, 1982 आयुर्वेद यूनानी से संबंधित है। यह नियम उत्तराखंड में अब भी प्रभावी है। यह तय किया गया कि यदि कोई अन्य संबंधित एक्ट उत्तराखंड में लागू है तो इसकी सूचना 16 अक्टूबर तक आयोग को दी जाएगी।
बैठक में बताया गया कि उत्तरप्रदेश अधिकतम सीमा अधिनियम 1972 अब कालातीत हो चुका है। इसे खत्म किया जाए। दूधी, राबर्ट गंज (जिला मिर्जापुर) कृषक ऋण अधिनियम 1951 के संबंध में उप निदेशक कृषि डीके सिंह ने बताया कि उक्त अधिनियम मिर्जापुर के लिए बनाया गया था। इसे समाप्त किया जाना चाहिए। संयुक्त प्रांत गोरखपुर गोरइत अधिनियम, 1919 का अध्ययन करके इस संबंध में आयोग की अगली बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा। उत्तराखंड में इसकी आवश्यकता नहीं है।
इसी तरह उत्तरप्रदेश सरकारी आस्थान ठेकेदारी निवास अधिनियम का अध्ययन कर इस संबंध में अगली बैठक में प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा। उत्तरप्रदेश होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय (प्रबंध ग्रहण) अधिनियम 1979, 23 अक्टूबर की बैठक के लिए आयुष विभाग को नोटिस जारी किया जाएगा। उत्तरप्रदेश भूमि विकास कर (निरसन) अधिनियम, 1972 को समाप्त करने के संबंध में जिलाधिकारी से रिपोर्ट मंगाकर उसे अगली बैठक में प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया। इसीतरह उत्तरप्रदेश स्थानीय निकाय (प्रशासक की नियुक्ति) अधिनियम 1982, उत्तरप्रदेश विलीन रियासतों की विधियों को लागू करने का अधिनियम 1950 के बारे में अगली बैठक में विचार किया जाएगा। उत्तरप्रदेश तेंदु पत्ता (व्यापार अधिनियम) 1972 बुंदेलखंड से संबंधित है, इसका उत्तराखंड से संबंध नहीं है। बैठक में अपर सचिव वन एवं पर्यावरण सुभाष चंद्रा, पुलिस महानिरीक्षक दीपम सेठ, अपर सचिव सहकारिता धीरेंद्र दत्ताल, उप राजस्व आयुक्त (प्रमुख सचिव) बीएस नेगी, अनुसचिव अनिल पांडे, एनके पंत मौजूद थे।