संक्रमित की मौत के शव को छूने से इन्कार, कोविड श्मशान घाटों से वीडियो कॉल पर हो रहे अंतिम दर्शन
कोरोना वायरस ने मानवीय संवेदनाओं को किस तरह छलनी कर दिया है यह किसी से छुपा नहीं है। बीते कुछ समय में कई ऐसे मामले सामने आए जहां कोरोना के चलते संक्रमित की मौत होने के बाद अपनों ने ही शव को छूने तक से इन्कार कर दिया।
आयुष शर्मा, देहरादून : कोरोना वायरस ने मानवीय संवेदनाओं को किस तरह छलनी कर दिया है यह किसी से छुपा नहीं है। बीते कुछ समय में कई ऐसे मामले सामने आए, जहां कोरोना के चलते संक्रमित की मौत होने के बाद अपनों ने ही शव को छूने तक से इन्कार कर दिया। अब संक्रमण का खतरनाक दौर सामने आने के बाद दहशत इस हद तक बढ़ गई है कि स्वजनों ने मृत देह के अंतिम दर्शन तक में आना छोड़ दिया है। दून के कोविड श्मशान घाटों में ऐसे भी मामले आ रहे हैं, जहां शव के अंतिम दर्शन भी वीडियो कॉल से हो रहे हैं।
बीते सवा साल में कोरोना हमें बहुत कुछ दिखा चुका है। बढ़ते संक्रमण के साथ जीवन को लेकर संघर्ष बढ़ता जा रहा है। पहले अस्पतालों में एक अदद बेड के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। फिर संक्रमण के चलते मौत हो गई तो मोक्ष के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है। इन दिनों जो हो रहा है वह शायद ही कभी हुआ हो। मानो महामारी ने इंसानी संवेदनाओं को भी निचोड़ कर रख दिया है। आलम यह है कि अब संक्रमण से मौत होने पर मृत देह के अंतिम दर्शन और संस्कार के लिए भी अपने नहीं आ रहे हैं।
केस- एक
एंबुलेंस चालक मोहित ने बताया कि बीते मंगलवार को शास्त्री नगर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज की मृत्यु हो गई थी। अस्पताल में मरीज के कुछ स्वजन मौजूद थे। वह डर के मारे पीपीई किट में रखे शव को एंबुलेंस में रखने तक का साहस नहीं जुटा पाए। मैं शव को लेकर रायपुर स्थित कोविड श्मशान घाट पहुंचा, तो यहां पर कोई भी स्वजन नहीं पहुंचे। कुछ समय बाद उन्होंने फोन करके कह दिया कि हम लोग आने में असमर्थ हैं, आपको वीडियो कॉल कर रहे हैं। आप ही अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी कर लीजिए, हम आपको इसके बदले पैसे दे देंगे।
केस- दो
एंबुलेंस चालक सोनू ने बताया कि बीते रोज शुक्रवार को ही रिस्पना पुल के समीप एक निजी अस्पताल में कोरोना से एक व्यक्ति की मौत हो गई। सुबह साढ़े आठ बजे उन्हें अस्पताल से फोन आया। यहां मरीज के स्वजन ने उन्हें कह दिया कि वह श्मशान घाट नहीं आ सकेंगे। उन्होंने कहा कि आप ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी कर दें। श्मशान घाट पर पहुंच कर वीडियो कॉल कर दें। वीडियो कॉल से ही अंतिम दर्शन कर लेंगे।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में सालभर सक्रिय रहेंगे माडल क्रू-स्टेशन, ये सुविधाएं रहेंगी उपलब्ध
तेहरवीं पर भी वीडियो कॉल से हो रहे शामिल
कोरोना महामारी के बीच अंतिम संस्कार ही नहीं बल्कि उसके बाद होने वाले हवन, गायत्री मंत्र, तेहरवीं समेत अन्य धार्मिक आयोजन भी ऑनलाइन हो रहे हैं। इसके कई कारण हैं। कई परिवार में मृत व्यक्ति के अलावा दूसरे लोग भी कोरोना से संक्रमित हैं। परिवार या समाज में दूसरे लोग को संक्रमण न फैले इसके लिए भी लोग दूसरों को तेहरवीं समेत दूसरे धार्मिक आयोजनों का न्योता नहीं दे रहे हैं। दूसरा कारण है डर। कोरोना के चलते किसी की मृत्यु होने पर परिवार एवं समाज के लोग में संक्रमण का डर बना है। ऐसे में लोग खुद भी ऐसे परिवार के आयोजनों में जाने से बच रहे हैं, लेकिन रस्म पूरी करने के लिए लोग वीडियो कॉल के जरिये तेहरवीं में शामिल हो रहे हैं।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: फार्मा उद्योग को चीन ने दिया झटका, कच्चे माल की कीमत बढ़ने से दवा उत्पादन 30 फीसद तक गिरा
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें