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Solar Eclipse 2019: 26 दिसंबर को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण, जानिए इसके पीछे की मान्यता

इस साल का तीसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को लगने जा रहा है जिसे भारत में भी देखा जा सकेगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 02:29 PM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 08:21 PM (IST)
Solar Eclipse 2019: 26 दिसंबर को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण, जानिए इसके पीछे की मान्यता
Solar Eclipse 2019: 26 दिसंबर को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण, जानिए इसके पीछे की मान्यता

देहरादून, जेएनएन। 26 दिसंबर को इस साल का तीसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा, जिसे भारत में भी देखा जा सकेगा। आचार्य भागवत धर्माचार्य के अनुसार इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य आग से भरी अंगूठी की तरह नजर आएगा। इसे वैज्ञानिकों की भाषा में वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है। 

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आचार्य भागवत धर्माचार्य के अनुसार 26 दिसंबर में साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। इससे पहले इसी वर्ष छह जनवरी और दो जुलाई को भी सूर्य ग्रहण था। उन्होंने ये भी बताया कि सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले ही 25 दिसंबर को शाम पांच बजकर 32 मिनट से सूतक लगेगा और ग्रहण खत्म होने पर समाप्त होगा। सूतक काल को शुभ कार्य के लिए उचित नहीं माना जाता है। बताया जा रहा है कि आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह आठ बजकर चार मिनट से शुरू होगा। सुबह नौ बजकर 24 मिनट पर चंद्रमा सूर्य के किनारे को ढकना शुरू कर देगा। इसके बाद सुबह नौ बजकर 26 मिनट तक पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा और ग्यारह बजकर 5 मिनट पर सूर्य ग्रहण समाप्त हो जाएगा। कुल मिलाकर पूर्ण सूर्य ग्रहण की अवधि 3.12 मिनट रहेगी। 

यह भी है मान्यता 

पौराणिक कथानुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और दानवों के बीच अमृत पान के लिए विवाद हुआ तो इसको सुलझाने के लिए मोहनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। जब भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग बैठा दिया। लेकिन असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान कर लिया। देवों की लाइन में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने राहू को ऐसा करते हुए देख लिया। 

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इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहू का सर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन राहू ने अमृत पान किया हुआ था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। इसी कारण राहू और केतू सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं। जिस वजह से यह ग्रहण लगता है। 

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