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नौकरशाहों पर सरकारी आवासों के किराये की लाखों की राशि बकाया

सरकारी आवासों में जमे रहे पूर्व और मौजूदा नौकरशाहों समेत करीब 50 लोगों को अब सरकारी खजाने में किराया जमा कराने के लिए अच्छी-खासी तरह से जेब ढीली करनी पड़ेगी।

By Edited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 11:01 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 11:52 AM (IST)
नौकरशाहों पर सरकारी आवासों के किराये की लाखों की राशि बकाया
नौकरशाहों पर सरकारी आवासों के किराये की लाखों की राशि बकाया

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। सरकारी आवासों में जमे रहे पूर्व और मौजूदा नौकरशाहों समेत करीब 50 लोगों को अब सरकारी खजाने में किराया जमा कराने के लिए अच्छी-खासी तरह से जेब ढीली करनी पड़ेगी। पूर्व मुख्य सचिव समेत नौ आइएएस के साथ ही इन रसूखदार कब्जाधारकों को 20 हजार से लेकर करीब आठ से दस लाख तक किराया भुगतना होगा। 

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इनमें से कई नौकरशाहों ने भेजे गए नोटिस पर जवाब दाखिल कर दिया तो कुछ आला अधिकारियों ने किराया जमा कराने पर हामी भरनी शुरू कर दी है। किराये के रूप में लाखों रुपये की राशि खजाने में जमा होनी तय है। 

उत्तराखंड में हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ ही सरकारी आवासों पर जमे पूर्व और मौजूदा नौकरशाहों के साथ ही विभिन्न महकमों के आला अधिकारियों समेत कुल करीब 50 लोगों को आवास किराये की वसूली के लिए राज्य संपत्ति महकमे की ओर से नोटिस भेजे गए हैं। 

पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास के किराये से राहत देने को सरकार अध्यादेश ला चुकी है। इस अध्यादेश को अब हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इस पर सुनवाई चल रही है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवासों पर उपभोग किए गए बिजली, पानी के बिलों का भुगतान खुद ही करना होगा। अध्यादेश में भी इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत नहीं दी गई है। 

पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बरती गई सख्ती ने नौकरशाहों और सियासी तौर पर रसूखदारों को सरकारी आवास छोड़ने को मजबूर कर दिया है। सरकार से नोटिस मिलने के बाद कई आला अधिकारी आवास छोड़ चुके हैं, लेकिन इन्हें अब तय वक्त से ज्यादा सरकारी आवास पर जमे रहने के कारण किराया जमा कराना होगा। 

सूत्रों के मुताबिक जिन्हें नोटिस दिए गए हैं, उनमें कुछ पूर्व मुख्य सचिव समेत नौ आइएएस शामिल हैं। जिलाधिकारी रहने के बाद या जिलाधिकारी के पदों पर भेजे गए आइएएस अधिकारियों को भी सरकारी आवासों पर दोहरा कब्जा छोड़ना पड़ा है। इन्हें अब आवास किराया जमा कराने को कहा गया है। 

सूत्रों के मुताबिक किराया जमा नहीं कराने की स्थिति में संबंधित लोगों पर पेनल्टी या जबरन कार्रवाई पर भी विचार किया जाएगा। फिलहाल राहत की बात है कि काफी संख्या में लोग आवास खाली कर चुके हैं। नोटिस पाने वाले लोगों को 20 हजार से लेकर आठ से दस लाख तक किराया राशि जमा करनी होगी। 

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एक आइएएस अधिकारी ने जवाब देने के साथ कुछ राशि जमा भी कराई है। संपर्क करने पर राज्य संपत्ति विभाग के सचिव अरविंद ह्यांकी ने कहा कि विभाग आवास में रहने की अवधि के आधार पर किराये का आकलन कर रहा है। विभाग की ओर से सुनवाई में उक्त अधिकारियों की ओर से जवाब दाखिल किए जा रहे हैं।

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