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उत्‍तराखंड से है कीमती Kohinoor का नाता, इसके असली वारिस को अंग्रेजों ने मसूरी में रखा था कैद, पढ़ें खास बातें

Kohinoor Diamond Connection From Mussoorie कीमती कोहिनूर का पहाड़ों की रानी मसूरी से गहरा नाता है। महाराजा दलीप सिंह को अल्पायु में ही अंग्रेज 1852 में मसूरी लेकर आ गये थे। उनको अंग्रेज डॉक्टर दंपति की देखरेख में रखा गया था।

By Nirmala BohraEdited By: Published: Tue, 20 Sep 2022 01:33 PM (IST)Updated: Tue, 20 Sep 2022 01:33 PM (IST)
उत्‍तराखंड से है कीमती Kohinoor का नाता, इसके असली वारिस को अंग्रेजों ने मसूरी में रखा था कैद, पढ़ें खास बातें
Kohinoor Diamond Connection From Mussoorie : कीमती कोहिनूर का पहाड़ों की रानी मसूरी से नाता। File Photo

जागरण कार्यालय, मसूरी : Kohinoor Diamond Connection From Mussoorie : इंग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत के बाद देश भर से कोहिनूर हीरे को वापस लेने के लिये इंग्लैण्ड से मांग की जाने लगी है। बता दें कि कीमती कोहिनूर का पहाड़ों की रानी मसूरी से गहरा नाता है।

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अंग्रेज 1852 में महाराजा दलीप सिंह को लेकर आये थे मसूरी

तत्कालीन पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के बाद कोहिनूर हीरे के असली वारिस तथा उनके अल्पवयस्क पुत्र महाराजा दलीप सिंह को अल्पायु में ही अंग्रेज 1852 में मसूरी लेकर आ गये थे।

ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनके अल्पवयस्क पुत्र दलीप सिंह की ताजपोशी हो गयी थी। लेकिन अंग्रेज उनको 1852 में मसूरी लेकर आ गये थे और यहां पर उनको एक अंग्रेज डॉक्टर दंपति की देखरेख में रखा गया था।

सेना के चिकित्सक थे डॉक्‍टर जॉन लॉगिन

इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि अंग्रेजों ने महाराजा दलीप सिंह को बार्लोगंज के ह्वाइटबैंक कैसल नामक भवन में रखा था। जहां पर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी डाक्‍टर जॉन लॉगिन व उनकी पत्नी लेना लॉगिन को सौंपी गई थी। डॉक्‍टर जॉन लॉगिन सेना के चिकित्सक थे।

1854 में अंग्रेज महाराजा दलीप सिंह को मसूरी से इंग्लैण्ड ले गये थे। 1854 में इंग्लैण्ड ले जाने के दौरान दलीप सिंह को कोहिनूर हीरा दिखाया गया था और कुछ देर देखने के बाद इसे इंग्लैण्ड की महारानी को सौंप दिया गया था।

महाराजा दलीप सिंह को था क्रिक्रेट खेलने का शौक

इतिहासकार गोपाल भारद्वाज का कहना है कि महाराजा दलीप सिंह को क्रिक्रेट खेलने का बहुत शौक था और उनके लिये बार्लोगंज के मनोर हाउस में एक मैदान विकसित किया गया था। जहां पर वह क्रिकेट खेला करते थे। मनोर हाउस के स्थान पर आज सेंटजॉर्ज कॉलेज स्थापित है।

मसूरी के अन्य दो इतिहासकारों प्रोफेसर गणेश शैली एवं जयप्रकाश उत्तराखण्डी का कहना है कि महाराजा दलीप सिंह को अंग्रेजों द्वारा लंढौर के कैसल हिल एस्टेट में रखा गया था। कैसल हिल एस्टेट आज सर्वे ऑफ इंडिया के स्वामित्व में है।

महाराजा दलीप सिंह को था शिकार का शौक

प्रोफेसर गणेश शैली बताते हैं कि महाराजा वर्तमान सर्वे मैदान में मसूरी सेमिनरी स्कूल के बच्चों के साथ क्रिकेट खेला करते थे और बाद में बार्लोगंज के मनोर हाउस में निर्मित मैदान में खेलने जाते थे। उन्होंने बताया कि महाराजा दलीप सिंह को शिकार का शौक था और उनकी यह आदत अंग्रेजों ने छुड़ायी।


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