Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन को लेकर कंफ्यूजन हुआ दूर, बहनें बिना चिंता इस शुभ मुहूर्त पर बांधें राखी
Raksha Bandhan 2022 रक्षाबंधन को लेकर कंफ्यूज दूर हो गया है। पूर्णिमा तिथि गुरुवार सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर शुरू होकर शुक्रवार सुबह सात बजकर पांच मिनट पर समाप्त होगी। पाताल लोक की भद्रा होने से इसका प्रभाव नहीं रहेगा।
जागरण संवाददाता देहरादून: Raksha Bandhan 2022: भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन गुरुवार को मनाया जाएगा। सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर पूर्णिमा तिथि शुरू होने के बाद बहन भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं।
इस बार पाताल लोक की भद्रा (Bhadra) होने के कारण किसी भी तरह का प्रभाव नहीं रहेगा। जो बहन किसी कारणवश गुरुवार को राखी नहीं बांध पाए वह शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि समाप्त यानी सुबह सात बजकर पांच मिनट तक बांध सकती हैं।
पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाने की परंपरा
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को राखी का त्योहार यानी रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) मनाए जाने की परंपरा है। इस दिन बहन भाई की लंबी उम्र की कामना कर कलाई पर स्नेह और प्रेम का सूत्र बांधती हैं।
- इस बार पूर्णिमा गुरुवार सुबह से कल सुबह तक यानी दो दिन पड़ रही है। जिस वजह से बहनें इस बात से असमंजस में थी कि राखी कब बांधे।
- आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक रक्षाबंधन पूर्णिमा पर ही मनाया जाता है,जो गुरुवार सुबह 10 बजकर 38 मिनट से शुक्रवार को सुबह सात बजकर पांच मिनट पर समाप्त होगी, इसके बाद प्रतिपदा लग जाएगी।
- रक्षाबंधन पूर्णिमा में मनाने की परंपरा को देखते हुए यह पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। शुक्रवा सुबह पूर्णिमा तिथि समाप्त होने से पहले भी बहन राखी बांध सकती हैं।
- भद्रा को लेकर इस बार असमंजस ना हों क्योंकि इस बार जो भद्रा लग रही है वह पृथ्वीलोक पर न होकर पतलालोक की है। ऐसे में इसका रक्षाबंधन पर कोई प्रभाव नहीं रहेगा।
पूर्णमासी के दिन ही मनाना चाहिए रक्षाबंधन
आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं के अनुसार, 12 अगस्त यानी शुक्रवार को भले ही उदया तिथि में पूर्णिमा है लेकिन इस दिन सुबह सात बजकर पांच मिनट के बाद ही प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। दूसरी बात ये है कि गुरुवार को पूर्णिमा का रात्रिकालीन चांद भी दिखेगा, पूर्णमासी के दिन ही रक्षाबंधन मनाना चाहिए। इन सारी वजहों से आज ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा।
इस तरह करें रक्षाबंधन में पूजा
स्नान के बाद भगवान की आराधना कर अपने ईष्टदेव को रक्षासूत्र बांधें। पूजा के बाद बहन राखी की थाली में रोली, अक्षत, कुमकुम, राखी, दिया और मिठाई रखें। मुहूर्त में बहन भाई के माथे पर चंदन रोली और अक्षत का तिलक लगाएं। अब भाई के दायें हाथ की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे और मिठाई खिलाएं। अंत में भाई की आरती करते हुए अपने ईष्टदेव का स्मरण करते हुए दीर्घायु और सुख समृद्धि की कामना करें।
देर रात तक बाजार में चहल पहल
भाई की कलाई पर सजाने को बहनों ने देर रात तक बाजार में राखियां खरीदी। वहीं बहन के लिए आकर्षक गिफ्ट देने के लिए गिफ्ट सेंटर में भाइयों की भीड़ उमड़ी रही। रक्षाबंधन को लेकर बाजार में जगह-जगह स्टाल सजाए गए हैं।
जिसमें धागा राखी, कुंदन राखी, स्टोन राखी, ब्रेसलेट राखी, भाभी के लिए भी लटकन राखी, छोटे बच्चों के लिए डोरेमोन,मोटू-पतलू, छोटा भीम, सिनचैन, स्पाइडर मैन, छुटकी, चिंगम सर कैरेक्टर की राखियों की खूब खरीदारी हुई। वहीं ज्वेलरी बाजार में भी चांदी के ब्रेसलेट की मांग अधिक रही।
मेहंदी लगवाने के लिए करना पड़ा इंतजार
रक्षाबंधन पर बहनें मेहंदी लगवाती हैं। रक्षाबंधन की पूर्व संध्या मेहंदी लगवाने के लिए पलटन बाजार, झंडा बाजार, पटेलनगर, प्रेमनगर समेत कई स्थानों पर लगे स्टाल पर महिलाओं को इंतजार करना पड़ा। शाम को भीड़ ज्यादा हुई तो पर्चियों के माध्यम से मिले नंबर पर मेहंदी लगवाई। इसके अलावा मिठाई और चाकलेट के लिए खरीदारों की भीड़ उमड़ी रही। अच्छे कारोबार से दुकानदारों के चेहरे खिल उठे।