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जेब में कागज से लिपटी रोटी, आंखों में क्रिकेट का जुनून; जानिए किस महिला क्रिकेटर की है ये कहानी

र्ष 2016 में श्रीलंका के खिलाफ आखिरी बार नीली जर्सी पहनने वाली 27-वर्षीय स्नेह राणा ने ब्रिस्टल के मैदान पर 195 मिनट में वह हासिल कर लिया जो कई क्रिकेटर पूरी जिंदगी में हासिल नहीं कर पाते हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 03:51 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 09:30 AM (IST)
जेब में कागज से लिपटी रोटी, आंखों में क्रिकेट का जुनून; जानिए किस महिला क्रिकेटर की है ये कहानी
जेब में कागज से लिपटी रोटी, आंखों में क्रिकेट का जुनून।

हिमांशु जोशी, देहरादून। वर्ष 2016 में श्रीलंका के खिलाफ आखिरी बार नीली जर्सी पहनने वाली 27-वर्षीय स्नेह राणा ने ब्रिस्टल के मैदान पर 195 मिनट में वह हासिल कर लिया, जो कई क्रिकेटर पूरी जिंदगी में हासिल नहीं कर पाते हैं। स्नेह ने पांच साल बाद क्रिकेट में वापसी करते हुए पहले ही मैच में अपने हुनर का डंका बजा दिया। देहरादून के सिनौला गांव (मालसी) में किसान परिवार में जन्मीं स्नेह ने महज चार साल की उम्र में ही क्रिकेट से दोस्ती कर ली थी। बचपन में गांव के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने से शुरू हुआ यह शौक आज स्नेह की पहचान बन गया है। कोच नरेंद्र शाह और किरण शाह के कहने पर पिता भगवान सिंह राणा ने नौ साल की उम्र में देहरादून के लिटिल मास्टर क्रिकेट क्लब में स्नेह को प्रवेश दिला दिया। यहां से कोच नरेंद्र शाह के निर्देशन में स्नेह के प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने की शुरुआत हुई।

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जेब में रखकर लाती थी रोटी

कोच नरेंद्र शाह कहते हैं कि स्नेह का क्रिकेट का प्रति जुनून इस कदर था कि प्रेक्टिस के लिए एकेडमी आने में देर न हो, इसलिए वह जेब में रोटी रखकर लाती थी। वह याद करते हुए कहते हैं, 'एक बार मैं एकेडमी में बच्चों को अभ्यास करा रहा था, देखा कि स्नेह की जेब में कुछ रखा हुआ है। मैने उसे अपने पास बुलाया और पूछा तो पता चला कि स्नेह की जेब में कागज से लिपटी रोटी और आलू की सब्जी थी। मैने स्नेह से इसका कारण पूछा तो वह बोली, 'शाम को स्कूल से लौटने के बाद एकेडमी आने में देर न हो जाए, इसलिए मैं जेब में रोटी रखकर लाती हूं, ताकि जब भी समय मिले उसे खा लूं।' क्रिकेट के प्रति स्नेह का यही जुनून है, जो आज वह इस मुकाम पर पहुंची है।

बचपन से ही आलराउंडर की भूमिका में रहीं स्नेह

स्नेह के कोच नरेंद्र शाह और बहन रुचि राणा कहते हैं, 'आलराउंडर की खूबी तो स्नेह में बचपन से ही थी। स्नेह पढ़ाई और खेल दोनों में ही अव्वल रही है। क्रिकेट, फुटबाल, बैडमिंटन या टेबल टेनिस हो अथवा पेंटिंग व ट्रैकिंग, हर क्षेत्र में वह आगे रहती थी।' कोच नरेंद्र शाह बताते हैं कि स्नेह जितना खेल में ध्यान लगाती थीं, उतना ही वह पढ़ाई में भी ध्यान देती थीं। बहन रुचि राणा व कोच नरेंद्र शाह कहते हैं कि स्नेह ने कभी मेहनत से जी नहीं चुराया, शायद यही कारण भी है कि पांच साल क्रिकेट से दूर रहने के बाद उसने इतनी जबरदस्त वापसी की। एकेडमी की ही कोच किरण शाह ने बताया कि उनकी अकादमी में लड़कियों को बड़े लड़कों के खिलाफ तेज गेंदबाजी का सामना करना पड़ता है। इससे उसके क्रिकेट स्किल में काफी निखार आया।

...और डरकर पेड़ के पीछे छिप गई स्नेह

स्नेह के कोच नरेंद्र शाह बताते हैं कि स्नेह तब नौ या दस साल की रही होगी, हम सिनौला गांव गए थे। वहां पता चला कि गांव में एक लड़की बहुत अच्छा क्रिकेट खेलती है। हमने जब स्नेह को खेलते हुआ देखा तो वह हमें देखकर पेड़ के पीछे छिपे गई। बाद में एकेडमी की कोच किरण शाह ने उसे काफी समझाया तब वह खेलने के लिए मैदान में आई। कोस्को की बाल से स्नेह ने काफी अच्छे शॉट लगाए थे। यहीं से हमने उससे देहरादून आकर एकेडमी ज्वाइन करने को कहा था। वह प्रतिभा की धनी है।

स्पिन गेंदबाजी की दी सलाह 

कोच नरेंद्र शाह बताते हैं कि लिटिल मास्टर क्लब में आने के बाद स्नेह तेज गेंदबाजी करने लगी थी। उसकी गेंद अंदर की तरफ आती थी, यह देखकर उन्होंने उसे स्पिन गेंदबाजी करने की सलाह दी। स्नेह ने भी सलाह मानी और इस क्षेत्र में मेहनत की। इसके बाद से वह आफ स्पिन गेंदबाजी करने लगी।

पिता को याद कर भावुक हो गई थी स्नेह

टीम में चयन होने से करीब दो माह पहले पिता भगवान सिंह राणा का निधन हो गया था। बहन रुचि राणा ने बताया कि पिता के निधन ने स्नेह को अंदर से पूरी तरह तोड़ दिया, लेकिन उसने ट्रेनिंग नहीं छोड़ी। जब 2016 में खेल के दौरान स्नेह के घुटने में चोट लगी तो उसकी लंबे समय तक क्रिकेट से दूरी हो गई थी। इस दौरान पिता ने उसे प्रोत्साहित किया। पिता रोजाना स्नेह को 12 किमी दूर एकेडमी में अभ्यास के लिए ले जाते थे। पापा चाहते थे कि स्नेह टीम में दोबारा वापसी करे, लेकिन जब स्नेह का चयन इंग्लैंड दौरे में जाने वाली भारतीय टीम में हुआ तो उस दौरान पापा उसके साथ नहीं थे। स्नेह पापा की याद में भावुक हो गई। हालांकि, उसे पापा का यह सपना सच होने की खुशी थी। स्नेह ने चार विकेट लेने और 80 रन की नाबाद पारी खेलने का बाद इस मैच को पिता को समर्पित किया। स्नेह ने कहा कि वह क्रिकेट में जो कुछ भी करेंगी, उसे पिता को समर्पित करेंगी।

स्नेह ने ब्रिस्टल में तोड़ा 1986 का रिकार्ड

ब्रिस्टल के मैदान में स्नेह राणा और तानिया भाटिया ने नवें विकेट के लिए 90 रन की रिकार्ड साझेदारी को पीछे छोड़ दिया। इससे पहले शुभांगी कुलकर्णी और मणिमाला सिंघल ने 1986 में इंग्लैंड के खिलाफ नवें विकेट के लिए 90 रन की साझेदारी की थी। स्नेह और तानिया ने नवें विकेट के लिए रिकार्ड 104 रन की साझेदारी की। 2014 में पहली बार टीम इंडिया में जगह बनाने वाली स्नेह रेलवे के लिए चयन से पहले हरियाणा और पंजाब की ओर से अंडर-19 में खेल चुकी हैं। स्नेह ने अब तक सात वनडे और पांच टी-20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं।

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