जोड़ों में है दिक्कत तो बरसात में रखें खास ख्याल, पढ़िए पूरी खबर
आयुर्वेद में जोड़ों के दर्द का कारण आमवात संधिवात या वातरक्त की स्थिति मानी जाती है जिसका मुख्य लक्षण जोड़ों का दर्द होता है। सामान्यत वर्षा ऋतु वात दोष के प्रकोप का समय है।
देहरादून, जेएनएन। सावन माह, जब प्रकृति खुद व्यक्ति और ईश्वर को मिला रही होती है। वर्षा की बूंदें प्रकृति के रंग-रूप को बदलने के साथ-साथ जीवन में आनंद की बौछार करती हैं, लेकिन आसमान पर छाई बदरी गठिया या वात रोगियों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है।
इस संबंध में डॉ. दीपचंद्र पांडे (कन्सलटेंट, उत्तराखंड आयुर्वेद विवि) ने बताया कि आयुर्वेद में जोड़ों के दर्द का कारण आमवात, संधिवात या वातरक्त की स्थिति मानी जाती है, जिसका मुख्य लक्षण जोड़ों का दर्द होता है। सामान्यत: वर्षा ऋतु वात दोष के प्रकोप का समय है और यदि व्यक्ति इस मौसम में खट्टे या अम्लीय पदार्थों का सेवन अधिक करता है तो स्वस्थ होने पर उसकेवात रोगों से पीड़ित होने सहित यदि पूर्व से ही रोगी होने पर भी लक्षणों में वृद्धि हो जाती है।
ये हैं लक्षण
- जोड़ों में दर्द, जोड़ों में लालिमा, सूजन, सुबह की जकड़न आदि।
कैसे करें बचाव
- वात रोग 80 प्रकार के बताए गए हैं, लेकिन वर्षा ऋतु में दिनचर्या एवं ऋतुचर्या में कुछ साधारण से परिवर्तन लाकर हम इस परेशानी से बचे रह सकते हैं।
क्या करें
- वर्षा ऋतु में हम अक्सर सुबह की सैर से परहेज करते हैं, लेकिन बेहतर है कि आप घर के अंदर ही चहलकदमी कर अपने इस नियमित रूटीन को बरकरार रख सकते हैं।
- नियमित रूप से व्यायाम जिनमें सूक्ष्म व्यायाम विशेष रूप से योग आसन एवं प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
- खानपान में खट्टे, चटपटे, मसालेदार भोजन को लेने से बचना चाहिए।
- यदि वात रोग या गठिया से पीड़ित हों तो प्रभावित स्थान को पूरे अंग के कपड़े पहन अच्छी प्रकार से ढककर रखें।
- जोड़ों के दर्द में विशेष रूप से आयुर्वेद की मर्म चिकित्सा कुशल चिकित्सक के निर्देशन में लिया जाना हितकारी है।
क्या न करें
- अत्यधिक तेजी से सीढी चढ़ना।
- अत्यधिक तनाव लेने से बचें।
- अत्यधिक पैदल चलना भी जोड़ों के दर्द को बढ़ा सकता है।
- देर रात तक जगना एवं सुबह देर से उठना भी जोड़ों के दर्द को बढ़ा सकता है।
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