केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य : चालू यात्रा सीजन की समाप्ति तक काम पूरे करने का लक्ष्य, अन्य जिलों से आएंगे 500 घोड़ा-खच्चर
Kedarnath Reconstruction प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ में तीन चरणों में पुनर्निर्माण कार्य होने हैं। वर्तमान में घोड़ा-खच्चर संचालक तीर्थ यात्रियों को ले जाने में ही ज्यादा रुचि ले रहे हैं। नतीजा निर्माण सामग्री समय से केदारनाथ नहीं पहुंच पा रही।
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: Kedarnath Reconstruction : केदारनाथ धाम में चल रहे द्वितीय चरण के पुनर्निर्माण कार्य घोड़ा-खच्चर की कमी पडऩे से बाधित हो रहे हैं। वर्तमान में घोड़ा-खच्चर संचालक तीर्थ यात्रियों को ले जाने में ही ज्यादा रुचि ले रहे हैं। नतीजा, निर्माण सामग्री समय से केदारनाथ नहीं पहुंच पा रही। इसी को देखते हुए अब रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने घोड़ा-खच्चर के लिए दूसरे जिलों से संपर्क साधा है। ताकि पर्याप्त मात्रा में निर्माण सामग्री पहुंचने से कार्य समय सीमा के भीतर पूरे किए जा सकें।
केदारनाथ में तीन चरणों में होने हैं पुनर्निर्माण कार्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ में तीन चरणों में पुनर्निर्माण कार्य होने हैं। प्रथम चरण में 125 करोड़ की लागत से 90 प्रतिशत कार्य पूरे किए जा चुके हैं। जबकि, द्वितीय चरण में 130 करोड़ की लागत से कार्य हो रहे हैं। इनमें से 40 प्रतिशत कार्य पूरे भी हो चुके हैं।
इन दिनों निर्माण सामग्री पहुंचाने में हो रहा है विलंब
प्रशासन का लक्ष्य है कि चालू यात्रा सीजन की समाप्ति तक सभी कार्य पूरे कर लिए जाएं। इनमें तीर्थ पुरोहितों के घर, मंदिर समिति कार्यालय व आवास, मुख्य पुजारी का आवास, पुलिस स्टेशन, चिकित्सालय, आस्था पथ, सुरक्षा दीवार आदि कार्य शामिल हैं। लेकिन, घोड़ा-खच्चर की कमी से इन दिनों निर्माण सामग्री पहुंचाने में विलंब हो रहा है।
वर्तमान में 250 के आसपास घोड़ा-खच्चर ही उपलब्ध
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की लोनिवि शाखा के अधिशासी अभियंता प्रवीन कर्णवाल कहते हैं कि निर्माण सामग्री ले जाने के लिए वर्तमान में 250 के आसपास घोड़ा-खच्चर ही उपलब्ध हैं। जबकि, शेष कार्य तय समय पर पूरे करने के लिए प्रतिदिन 500 घोड़ा-खच्चर की जरूरत है। इसी को देखते हुए रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने चमोली, उत्तरकाशी, पौड़ी गढ़वाल व टिहरी जिलों के प्रशासन से संपर्क साधा गया है। उम्मीद है कि जल्द घोड़ा-खच्चर उपलब्ध हो जाएंगे।