Kedarnath Disaster: केदारनाथ आपदा में लापता हुए चार लोगों के मिले नर कंकाल, यहां चला था सर्च अभियान
Kedarnath Disaster त्रियुगीनारायण से सोनप्रयाग की ओर गई पुलिस टीम को गोमुखड़ा से नीचे गौरी माई खर्क के आसपास के क्षेत्र में खोजबीन के दौरान चार नर कंकाल मिले हैं।
रुद्रप्रयाग, जेएनएन। Kedarnath Disaster केदारनाथ आपदा के दौरान लापता हुए लोगों के नर कंकालों की खोजबीन को चलाया गया अभियान अब खत्म हो गया है। त्रियुगीनारायण से सोनप्रयाग की ओर गई पुलिस टीम को गोमुखड़ा से नीचे गौरी माई खर्क के आसपास के क्षेत्र में चार नर कंकाल मिले, जिन्हेंं बॉडी बैग में रख सोनप्रयाग लाया गया।
साल 2013 की केदारनाथ भीषण आपदा और जलप्रलय में लापता हुए यात्रियों की खोजबीन के लिए न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने चार दिवसीय सर्च अभियान चलाया गया था। नरकंकालों की खोजबीन के लिए रुद्रप्रयाग पुलिस ने 10 टीमों का गठन करते हुए सभी को अलग-अलग मार्गों (ट्रैकों) के लिए रवाना किया। 16 सितंबर से 20 सितंबर तक सघन खोजबीन अभियान चलाया गया।
सर्च ऑपरेशन के दौरान केदारनाथ से गरुड़ चट्टी होते हुए गोमुखड़ा, तोषी, त्रिजुगीनारायण से सोनप्रयाग की ओर गई टीम को गोमुखड़ा से नीचे गौरी माई खर्क के आसपास के क्षेत्र में चार नर-कंकाल (अस्थि-अवशेष) बरामद हुए। मिले नर कंकालों को उपलब्ध कराए गए बॉडी बैग में रखते हुए सोनप्रयाग लाया गया, जहां पर विधिवत पंचायतनामा भरने के बाद डीएनए सैंपलिंग की कार्यवाही की गई। इसके बाद मंदाकिनी और सोन नदी के संगम पर सभी नर-कंकालों का नियम के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया है। नर कंकालों की खोज के लिए चलाया गया ये अभियान खत्म हो गया है।
नौ टीमें लौटीं खाली हाथ
इससे पहले केदारनाथ आपदा में मृत यात्रियों के कंकाल खोजने के लिए सर्च अभियान पर निकली दस में से नौ टीम शनिवार को खाली हाथ लौट आईं। पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि इस टीम का अभियान को एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया था।
बताया कि टीमों ने गौरीकुंड से केदारनाथ तक वर्तमान पैदल मार्ग के आसपास के क्षेत्र, गौरीकुंड से गोऊ मुखड़ा, गौरीकुंड से मुनकटिया के ऊपरी क्षेत्र होते हुए सोनप्रयाग, त्रियुगीनारायण से गरुड़चट्टी होते हुए केदारनाथ, कालीमठ से चौमासी होते हए रामबाड़ा, जंगलचट्टी, रामबाड़ा और केदारनाथ बेस कैंप के ऊपरी क्षेत्र, केदारनाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र, केदारनाथ से चौराबाड़ी समेत आसपास के क्षेत्र और केदारनाथ से वासुकीताल ट्रैक पर सर्च अभियान चलाया गया था।