कौशल विकास कार्यक्रम : उत्तराखंड के डिग्री कालेजों में निखारा जाएगा छात्र-छात्राओं का कौशल
शल विकास कार्यक्रम के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्र से प्रेरणा लेकर हर कालेज को विकसित किया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग ने इसे 100 दिन के एजेंडे का हिस्सा भी बनाया है। मंत्री डा धन सिंह रावत ने ऐसे कार्यक्रमों को पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून : प्रदेश में सरकारी डिग्री कालेजों में उच्च शिक्षा के साथ छात्र-छात्राओं के कौशल को निखार कर उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रेरित किया जाएगा। कौशल विकास कार्यक्रम के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्र से प्रेरणा लेकर हर कालेज को विकसित किया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग ने इसे 100 दिन के एजेंडे का हिस्सा भी बनाया है। उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने स्वरोजगार से जुड़े ऐसे कार्यक्रमों को नए बनाए जा रहे पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री नवाचार योजना के अंतर्गत प्रत्येक सरकारी डिग्री कालेज में कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। राज्य की भौगोलिक परिस्थिति को ध्यान में रखकर संबंधित पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। दरअसल प्रदेश सरकार ने बीते वर्ष स्वरोजगारपरक एक वर्षीय डिप्लोमा और छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ करने का निर्णय लिया था। कालेज की स्थानीय आवश्यकता और संसाधन को ध्यान में रखकर ऐसे कोर्स तैयार किए गए। इन्हें 44 कालेजों में लागू किया गया। कालेजों की मांग पर योग में डिप्लोमा पाठ्यक्रम को भी अनुमति दी गई।
अब स्वरोजगार पाठ्यक्रम को कौशल विकास का अंग बनाया जाएगा, ताकि छात्र-छात्राएं उद्यमिता के गुर सीख सकें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में उच्च शिक्षा में स्वरोजगारपरक और कौशल विकास कार्यक्रमों को सम्मिलित करने पर जोर दिया गया है। उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत का कहना है कि 45 से लेकर 75 विषयों के पाठ्यक्रम एनईपी के अंतर्गत तैयार किए जा रहे हैं। इसमें पढ़ाई के साथ कौशल विकास के अवसर भी मिलेंगे।
डा रावत ने कहा कि नवाचार, वैदिक गणित, गढ़वाली व कुमाऊंनी समेत राज्य की विभिन्न संस्कृति को केंद्र में रखने के साथ ही ईको-टूरिज्म, सगंध व औषधीय पौध उत्पादन, जीएसटी, योग, आपदा प्रबंधन, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन से संबंधित पाठ्यक्रमों को डिग्री कालेजों में अनिवार्य रूप से प्रारंभ किया जाएगा। डिग्री कालेजों को यह स्वतंत्रता दी जाएगी कि वे क्षेत्रीय आवश्यकता को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम का चयन करें। उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे युवाओं को हुनरमंद बनाया जाएगा।