कश्मीरी हिंदू की हत्या के विरोध में देहरादून में जलाए कैंडल, एकजुट होकर कर्मचारियों का साथ देने का दिया संदेश
सभा के सचिव राजिंदर कुमार गनहार ने कहा कि 12 मई को चाडूरा के तहसील कार्यालय में पीएम पैकेज के तहत नियुक्त राजस्व कार्यालय में तैनात राहुल भट्ट की निर्मम हत्या कर दी गई। सार्वजनिक स्थान में इस तरह की घटना सुरक्षा में चूक भी दर्शाती है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: कश्मीर घाटी के बडग़ाम जिले के चाडूरा में हाल ही में कश्मीरी हिंदू राहुल भट्ट की आतंकियों ने हत्या कर दी गई थी। उक्त घटना पर कश्मीरी सभा देहरादून ने रोष जताया है। घटना के 10वें दिन शनिवार शाम 7:30 बजे सभा के सदस्यों ने एक साथ घरों में कैंडल जलाकर दो मिनट का मौन रखा और राहुल को श्रद्धांजलि दी। साथ ही एकजुट होकर कर्मचारियों का साथ देने का संदेश दिया।
सभा के सचिव राजिंदर कुमार गनहार ने कहा कि 12 मई को चाडूरा के तहसील कार्यालय में पीएम पैकेज के तहत नियुक्त राजस्व कार्यालय में तैनात राहुल भट्ट की निर्मम हत्या कर दी गई। सार्वजनिक स्थान में इस तरह की घटना सुरक्षा में चूक भी दर्शाती है। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद से कश्मीर में कार्यरत पीएम पैकेज के तहत नियुक्त कर्मचारी खुद और परिवार की सुरक्षा के लिए जम्मू या देश के अन्य स्थानों में स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर वे कश्मीर घाटी के विभिन्न जिलोंं में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। सभा के सदस्यों ने कहा कि सरकार को भी इस दिशा में ध्यान देना चाहिए।
एक थी टिहरी में दीये जलाकर सुंदरलाल बहुगुणा को किया याद
देहरादून: पद्म विभूषण सुंदरलाल बहुगुणा की प्रथम पुण्य स्मृति पर वनस्थली बल्लुपुर स्थित पुराने टिहरी शहर की अनुकृति 'एक थी टिहरी' में वक्ताओं ने उनके साथ व्यतीत किए पल का स्मरण कर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उनके भित्ति चित्र पर माल्यार्पण कर उनके द्वारा योगदान को याद किया।
शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में स्व. सुंदरलाल बहुगुणा की कर्मभूमि रही पुराने टिहरी शहर की अनुकृति 'एक थी टिहरी' में दीपांजलि दी गई।
इस दौरान वक्ताओं ने स्व. बहुगुणा के क्या है जंगल के उपकार, मिट्टी पानी और बयार, धार ऐच पाणी-ढाल पर डाला, बिजली बणवा खाला-खाला आदि नारे भी लगाए। टिहरी स्मृति मंच की संयोजक विनोद उनियाल ने कहा कि प्रकृति के सानिध्य में रहकर स्व. बहुगुणा ने पर्यावरण के प्रति भी लोग को जागरूक किया। पहाड़ों में चीड़ की जगह बांज और अखरोट के पौधे लगाने की सलाह देते थे। उनकी सादगी और दया भावना को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस मौके पर शशि बाला रतूड़ी, अजयकांत शर्मा, इंदु कांता बहुगुणा, सुबोध बहुगुणा आदि मौजूद रहे।