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कांवड़ यात्री छोड़ गए 16 हजार मीट्रिक टन कूड़ा, अब प्रशासन के छूट रहे पसीने

कांवड़ यात्री अपने पीछे करीब 16 हजार मीट्रिक टन कूड़े का अंबार छोड़ गए हैं जो प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 01:53 PM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 01:53 PM (IST)
कांवड़ यात्री छोड़ गए 16 हजार मीट्रिक टन कूड़ा, अब प्रशासन के छूट रहे पसीने
कांवड़ यात्री छोड़ गए 16 हजार मीट्रिक टन कूड़ा, अब प्रशासन के छूट रहे पसीने

देहरादून, जेएनएन। हरिद्वार में कांवड़ यात्री अपने पीछे करीब 16 हजार मीट्रिक टन कूड़े का अंबार छोड़ गए हैं, जो प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। हरकी पैड़ी क्षेत्र से लेकर आसपास का पूरा इलाका गंदगी से अटा पड़ा है। शहर से लेकर देहात तक गंगा किनारे बनाई गई अस्थायी पार्किंग में फैली मल-मूत्र की गंदगी को साफ करने में प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। 

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17 जुलाई से 30 जुलाई तक चले कांवड़ मेले में करीब सवा चार करोड़ कांवड़ यात्री हरिद्वार पहुंचे। नगर निगम की गणना के अनुसार इस दौरान हरिद्वार पहुंचने वाले हर तीर्थ यात्री ने कम से कम 400 ग्राम कूड़ा हरिद्वार खासकर गंगा घाटों पर छोड़ा। प्रशासन के आंकड़ों और नगर निगम की गणना के अनुसार शहरी क्षेत्र से रोजाना निकलने वाले करीब ढाई सौ मीट्रिक टन कूड़े से इतर इस दौरान शहर खासकर हरकी पैड़ी क्षेत्र में 16 हजार मीट्रिक टन से अधिक कूड़ा एकत्र हुआ। 

इसमें गंगा किनारे से लेकर देहात तक बनाई गई अस्थायी पार्किंग में फैला कूड़ा शामिल नहीं है। इन पार्किंग में कांवड़ यात्रियों के मल-मूत्र की गंदगी इस कदर फैली है कि उसे साफ करना किसी भी चुनौती से कम नहीं है। नगर निगम के पास फिलहाल अपनी कोई सफाई की व्यवस्था नहीं है। उसने यह काम निजी कंपनी केआरएल को सौंपा है। केआरएल अपने सीमित संसाधनों से शहरी क्षेत्र के 50 वार्ड से निकलने वाले कूड़े का निस्तारण ही पूरी तरह नहीं कर पा रहा है। तो ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इतना कूड़ा किस तरह और कितने दिनों में साफ होगा। इसका जवाब किसी के पास नहीं। 

हवा हो गए एनजीटी और हाईकोर्ट के आदेश 

कांवड़ मेला यात्रा के दौरान केवल प्रशासनिक व्यवस्था ही धड़ाम नहीं हुई, बल्कि गंगा की निर्मलता और पवित्रता को लेकर दिए गए एनजीटी और हाइकोर्ट के आदेश भी हवा हो गए। मेले के दौरान और मेले के बाद भी गंगा को गंदा किया जा रहा है। गंगा किनारे बनाई गई अस्थायी पार्किंग, गंगा किनारे कांवड़ पटरी मार्ग पर रोजाना लाखों कांवड़ यात्रियों के मल-मूत्र त्यागने और छोड़ी गई गंदगी ने गंगा को न सिर्फ गंदा किया, बल्कि प्रदूषित भी किया। कांवड़ यात्रा के दौरान पॉलीथिन और प्लास्टिक की खुलेआम बिक्री और इस्तेमाल होता रहा।

हरकी पैड़ी गंगा क्षेत्र से लेकर हर तरफ फैले कूड़े में बहुतायत में शामिल पॉलीथिन इस बात की गवाह है कि धर्मनगरी में चार वर्ष पूर्व पॉलीथिन की बिक्री और इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने वाले एनजीटी और हाइकोर्ट के आदेश को कोई नहीं मानता। 

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि कांवड़ मेले के बाद हरिद्वार और हरकी पैड़ी क्षेत्र के आसपास फैले कूड़े के निस्तारण के लिए नगर निगम और स्थानीय प्रशासन को युद्धस्तर पर काम करने को कहा गया है। इस बार करीब 16 हजार मीट्रिक टन कूड़ा कांवड़ यात्री छोड़ गए हैं। प्रशासन को तीन दिन के अंदर इसके निस्तारण को कहा गया है। सराय गांव स्थित कंपोस्ट प्लांट में कूड़े को डंप किया जाएगा। 

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