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जुबिन नौटियाल दून की नीलम ध्यानी की मदद को आए आगे, एप्लास्टिक एनीमिया से जूझ रही नीलम

दून की नीलम ध्यानी एप्लास्टिक एनीमिया बीमारी से जूझ रही हैं। उनकी मदद को बालीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल ने हाथ आगे बढ़ाया है। साथ ही इंटरनेट मीडिया की मदद से प्रशंसकों से भी मदद की अपील की है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 16 Feb 2022 01:45 PM (IST)Updated: Wed, 16 Feb 2022 01:45 PM (IST)
जुबिन नौटियाल दून की नीलम ध्यानी की मदद को आए आगे, एप्लास्टिक एनीमिया से जूझ रही नीलम
जुबिन नौटियाल दून की नीलम ध्यानी की मदद को आए आगे।

जागरण संवाददाता, देहरादून। प्रख्यात बालीवुड गायक जुबिन नौटियाल अक्सर जरूरतमंदों की मदद को आगे आते हैं। इस बार उन्होंने एप्लास्टिक एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही दून की नीलम ध्यानी की सहायता को हाथ बढ़ाया है। उन्होंने नीलम के उपचार के लिए खुद आर्थिक मदद करने के साथ ही अपने प्रशंसकों से भी मदद की अपील की है। उन्होंने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से नीलम के लिए सहयोग मांगा है।

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देहरादून निवासी नीलम ध्यानी अभी महज 24 वर्ष की हैं और पिछले करीब ढाई साल से एप्लास्टिक एनीमिया से जूझ रही हैं। इस बीमारी में शरीर में खून नहीं बनता और बार-बार मरीज को खून चढ़ाना पड़ता है। नीलम पिछले काफी समय से दिल्ली एम्स में उपचार करवा रही है, लेकिन तमाम दवा लेने से भी उसकी सेहत में सुधार नहीं आ रहा है। अब चिकित्सकों ने उसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट एकमात्र विकल्प बताया है।

दिल्ली एम्स में ट्रांसप्लांट का खर्च 25 लाख रुपये से अधिक बताया है। इस पर नीलम ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से आर्थिक सहयोग की गुहार लगाई। इस पर गायक जुबिन नौटियाल ने नीलम की मदद को हाथ बढ़ाया। उन्होंने नीलम ध्यानी की आर्थिक सहायता करने के साथ ही अपने प्रशंसकों से अधिक से अधिक संख्या में नीलम की मदद करने की अपील की है।

जानिए क्या है एप्लास्टिक एनीमिया

एप्लास्टिक एनीमिया तब होता है, जब अस्थि मज्जा रक्त कोशिकाओं का उत्पादन खत्म हो जाता है। अस्थि मज्जा एक लाल, चित्ती, आतरिक है लाल रक्त कोशिकाओं (एरिथ्रोसाइट्स) है, जो शरीर के सभी भागों, श्वेत रक्त कोशिकाओं (ल्यूकोसाइट्स) कि रोगाणुओं से शरीर की रक्षा और रक्त के थक्के के लिए आवश्यक प्लेटलेट्स के लिए ऑक्सीजन लेकर हड्डी का हिस्सा है और रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है। यह रोग किसी को भी आयु, जाति या लिंग की परवाह किए बिना प्रभावित कर सकते हैं।

एप्लस्टिक एनीमिया पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव में होती है। बहुत दुर्लभ मामलों में एप्लिस्टिक एनीमिया आनुवंशिक हो सकता है। रोग की गंभीरता हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकती है। एप्लास्टिक एनीमिया इस तथ्य के कारण माना जाता है कि रोगी की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली अस्थि मज्जा पर हमला करती है और रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को रोकती है। कुछ मामलों में, ऐप्लिस्टिक एनीमिया दवाओं को लेने का एक अस्थायी दुष्प्रभाव है और अपने सेवन को रोकने के बाद स्वतंत्र रूप से जा सकते हैं।


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