केदारनाथ रोपवे लेगा जल्द आकार, 40 मिनट में तय होगा गौरीकुंड से केदारनाथ तक का सफर
केदारनाथ के लिए लंबे समय से रोपवे की कसरत चल रही थी लेकिन पूर्व में विभिन्न कारणों से यह मसला लटक रहा था। पूर्व में केदारनाथ यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड से केदारनाथ तक 12 किमी लंबे रोपवे को सरकार ने मंजूरी दी थी।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। कोशिशें परवान चढ़ी तो निकट भविष्य में गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक का सफर सिर्फ 40 मिनट में तय होगा और वह भी हवा में। इस दौरान श्रद्धालु उच्च हिमालयी क्षेत्र के मनोरम नजारों से भी रोमांचित होंगे। इसके लिए केदारनाथ यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड से धाम तक प्रस्तावित रोपवे परियोजना की कवायद शुरू हो गई है। 750 करोड़ रुपये की लागत वाली 12 किमी लंबी इस परियोजना में निजी कंपनियों के रुचि दिखाने के बाद अब इसकी डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) बनाने की तैयारी है।
समुद्रतल से साढ़े ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का केंद्र है। हर साल ही यात्रा सीजन में बड़ी तादाद में देश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु और सैलानी यहां पहुंचते हैं। वर्तमान में गौरीकुंड से केदारनाथ पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। इसमें तकरीबन छह से सात घंटे का वक्त लग जाता है। हालांकि, केदारनाथ के लिए हेली सेवाएं भी हैं, लेकिन यह अपेक्षाकृत महंगी हैं।
इस सबको देखते हुए पूर्व में गौरीकुंड से केदारनाथ तक रोपवे परियोजना का खाका खींचा गया, ताकि सभी आयु वर्ग के लोग आसानी से बाबा केदार के दर्शनों को पहुंच सकें। परियोजना के लिए अध्ययन रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार ने इसकी मंजूरी भी दे दी थी। केदारनाथ रोपवे उन सात रोपवे परियोजनाओं में शामिल है, जिसके लिए प्रदेश सरकार केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ अनुबंध कर चुकी है। यह परियोजना पीपीपी मोड में तैयार होनी है। पूर्व में परियोजना की अधिक लागत को देखते हुए निजी कंपनियों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। नतीजतन यह मसला लटका हुआ था।
अब इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर कसरत शुरू की गई है। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर के अनुसार केदारनाथ रोपवे परियोजना में कुछ निजी कंपनियों ने रुचि ली है। इसे देखते हुए डीपीआर बनाने की तैयारी है। फिर अगले चरण में कंपनी का चयन, टेंडर आदि प्रक्रिया पूरी की जाएंगी। सरकार का प्रयास है कि यह परियोजना जल्द से जल्द आकार ले। इससे श्रद्धालुओं का समय तो बचेगा ही और उन्हें सुविधा भी मिलेगी।