Joshimath Sinking: केंद्र को भेजे जाने वाले राहत पैकेज पर हुई चर्चा, कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा प्रस्ताव
Joshimath Sinking जोशीमठ में जांच कार्य में जुटे संस्थानों की अंतिम रिपोर्ट मिलने के बाद राहत पैकेज के तहत विभिन्न कार्य शुरू किए जाएंगे। आपदाग्रस्त जोशीमठ को लेकर केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले राहत पैकेज का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
टीम जागरण, देहरादून: Joshimath Sinking: आपदाग्रस्त जोशीमठ को लेकर केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले राहत पैकेज का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। यह दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का रहने की संभावना है। कैबिनेट की हरी झंडी के बाद इसे केंद्र को भेजा जाएगा।
जोशीमठ को लेकर शासन स्तर पर गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में भी राहत पैकेज के विभिन्न बिंदुओं को लेकर चर्चा की गई। बताया गया कि जोशीमठ में जांच कार्य में जुटे संस्थानों की अंतिम रिपोर्ट मिलने के बाद राहत पैकेज के तहत विभिन्न कार्य शुरू किए जाएंगे।
जोशीमठ के लिए तैयार किया जा रहा राहत पैकेज का प्रस्ताव जोशीमठ के पुनर्निर्माण, ढलानों का उपचार, स्थिरीकरण, आपदा प्रभावितों के पुनर्वास, पुनर्वास होने तक अस्थायी निर्माण के साथ ही जोशीमठ शहर के समुचित ड्रेनेज प्लान, भू-कटाव की रोकथाम को प्रभावी इंतजाम जैसे विषयों पर केंद्रित होगा।
उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में राहत पैकेज के विभिन्न बिंदुओं पर गहनता से मंथन हुआ। इस बात पर जोर दिया गया कि राहत पैकेज के प्रस्ताव को शीघ्र अंतिम रूप देकर कैबिनेट के समक्ष रखा जाए।
समन्वय व शिकायत निवारण समिति की बैठक जल्द
उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में जोशीमठ को लेकर गढ़वाल मंडल आयुक्त की अध्यक्षता में गठित अंतरविभागीय समन्वय एवं शिकायत निवारण समिति की बैठक जल्द आयोजित करने के निर्देश दिए गए। इसमें जोशीमठ क्षेत्र के निवासियों की शिकायतों के निस्तारण के साथ ही विभिन्न विभागों के समन्वय से होने वाले कार्यों पर चर्चा होगी।
उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष एवं अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बद्र्धन की अध्यक्षता में हुई बैठक में विधायक अनिल नौटियाल व भोपाल राम टम्टा, जोशीमठ के लिए मुख्यमंत्री के विशेष प्रतिनिधि एवं बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत सिन्हा, अपर सचिव सबिन बंसल व आनंद श्रीवास्तव समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। चमोली के डीएम समेत कुछ अधिकारी वर्चुअल माध्यम से बैठक से जुड़े।
भंडारी नहीं हो पाए शामिल
बैठक में बदरीनाथ के विधायक राजेंद्र भंडारी को भी शामिल होना था, लेकिन वह नहीं पहुंच पाए। वह वर्चुअल माध्यम से भी बैठक से नहीं जुड़ पाए।
एनडीएमए ने तय नहीं की समय सीमा
जोशीमठ में जांच कार्य में जुटे आठ संस्थान अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को सौंप चुके हैं। एनडीएमए इसका अध्ययन कर रहा है और फिर वह समग्र रिपोर्ट शासन को भेजेगा। ऐसे में शासन की नजर भी एनडीएमए की रिपोर्ट पर टिकी है। आपदा प्रबंधन सचिव डा सिन्हा के अनुसार एनडीएमए ने समग्र रिपोर्ट देने के लिए समय सीमा तय नहीं की है।
टिहरी झील से प्रभावित गांवों का दौरा करेगी विशेषज्ञ समिति
टिहरी झील से प्रभावित गांवों में जमीनों और मकानों में पड़ रही दरारों से हो रहे नुकसान का जायजा लेने के लिए संयुक्त विशेषज्ञ समिति सोमवार से तीन दिन तक भागीरथी और भिलंगना घाटी के 14 गांवों का दौरा करेगी।
जोशीमठ में भूधंसाव के बाद अब जिला प्रशासन की संयुक्त विशेषज्ञ समिति से इन गांवों का दौरा कराने का निर्णय लिया है। समिति में भूविज्ञानी, पुनर्वास निदेशालय टिहरी, सिंचाई विभाग, टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन (टीएचडीसी) और जिला प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे।
टिहरी झील बनने के बाद वर्ष 2006 से झील के किनारे बसे इन गांवों में खेतों और मकानों में दरारें पड़ रही हैं। समय के साथ यह दरारें गहरी हो रही हैं। इससे कभी भी अनहोनी होने की आशंका है। ऐसे में ग्रामीण लगातार प्रशासन से ग्रामीणों के विस्थापन की मांग कर रहे हैं। जोशीमठ आपदा के बाद प्रशासन ने संयुक्त विशेषज्ञ समिति से इन गांवों का दौरा कराने का फैसला किया है।
विस्थापन की मांग कर रहे हैं ग्रामीण
विशेषज्ञ समिति के सदस्य 30 जनवरी से एक फरवरी तक इन गांवों का दौरा करेंगे। पिछले काफी समय से इन गांवों में रहने वाले ग्रामीण विस्थापन की मांग कर रहे हैं। प्रशासन अभी तक इनका विस्थापन नहीं कर पाया है।
टिहरी बांध झील प्रभावित ग्रामीण शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कि टिहरी बांध की झील के कारण कई गांवों में बेहद खतरनाक हालात हैं। हम काफी समय से संयुक्त विशेषज्ञ समिति से निरीक्षण की मांग कर रहे थे। अगर टिहरी में जोशीमठ जैसे हालत रोकने हैं तो इन सभी गांवों का विस्थापन करना होगा।
पुनर्वास खंड नई टिहरी के अधिशासी अभियंता डीएस नेगी ने बताया कि झील प्रभावित 14 गांवों में तीन दिन तक संयुक्त विशेषज्ञ समिति दौरा करेगी और दरारों से होने वाले नुकसान का आकलन करेगी। रिपोर्ट आने के बाद इसमें आगे की कार्रवाई होगी।