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जोशीमठ भूधंसाव: वैज्ञानिकों ने NDMA को सौंपी अपनी रिपोर्ट, इसी के आधार पर उत्तराखंड सरकार उठाएंगे कदम

राष्ट्रीय भूभौतिकीय संस्थान (एनजीआरआइ) के भी 10 विज्ञानियों की टीम क्षेत्र में जियो फिजिकल व जियो टेक्निकल सर्व कर रही है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) भूगर्भीय दृष्टि से जोशीमठ का अध्ययन कर रहा है। आइआइटी रुड़की के विज्ञानियों की टीम जियो टेक्निकल सर्वे कर रही है।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaPublished: Thu, 26 Jan 2023 07:56 AM (IST)Updated: Thu, 26 Jan 2023 07:56 AM (IST)
जोशीमठ भूधंसाव: वैज्ञानिकों ने NDMA को सौंपी अपनी रिपोर्ट, इसी के आधार पर उत्तराखंड सरकार उठाएंगे कदम
जोशीमठ के लिए CBRI को लीड एजेंसी नामित किया गया है। जागरण

 राज्य ब्यूरो, देहरादून: जोशीमठ में भूधंसाव के कारणों की तह तक पहुंचने के लिए अध्ययन में जुटे आठ विज्ञानिक संंस्थानों ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को सौंप दी है। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा ने जोशीमठ में चल रहे राहत कार्यों की सचिवालय में हुई प्रेस ब्रीफिंग में इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि अब प्राधिकरण इसका गहनता से अध्ययन कर प्रदेश शासन को रिपोर्ट सौंपेगा। फिर इसके आधार पर कदम उठाए जाएंगे।

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जोशीमठ के लिए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) को लीड एजेंसी नामित किया गया है, जो प्रभावितों का पुनर्वास होने तक वहां कार्य करेगी। उसी के माध्यम से एनडीएमए को हर प्रकार की रिपोर्ट भेजी जाएंगी। संस्थान के 10 विज्ञानी जोशीमठ में तैनात हैं। ये दरार वाले भवनों की निगरानी रखने के साथ ही क्षति का आकलन और निर्माण की गाइडलाइन से संबंधित रिपोर्ट तैयार करेंगे।

राष्ट्रीय भूभौतिकीय संस्थान (एनजीआरआइ) के भी 10 विज्ञानियों की टीम क्षेत्र में जियो फिजिकल व जियो टेक्निकल सर्व कर रही है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) भूगर्भीय दृष्टि से जोशीमठ का अध्ययन कर रहा है। आइआइटी रुड़की के विज्ञानियों की टीम जियो टेक्निकल सर्वे कर रही है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानी भूकंपीय दृष्टि से जमीन के भीतर की हलचल समेत अन्य बिंदुओं पर काम कर रहे हैं।

केंद्रीय भूजल बोर्ड के विज्ञानी भूजल की स्थिति व जल रिसाव के स्रोत को लेकर अध्ययन कर रहे हैं। आइआइआरएस को जोशीमठ की सेटेलाइट इमेजरी का कार्य सौंपा गया है, जबकि राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के विज्ञानी हाइड्रोलाजिकल सर्वे में जुटे हैं। बीती 17 जनवरी को इन सभी संस्थानों के लिए जांच की समय सीमा तय की गई थी। इसी कड़ी में सभी संस्थानों ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट एनडीएमए को भेजी है।


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