Joshimath: विज्ञानियों ने जुटाए भूधंसाव के आंकड़े, जांच एजेंसियों की इस मांग के बाद अब हाथ-पैर मार रही सरकार
Joshimath जोशीमठ में भूधंसाव की स्थिति को लेकर भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) समेत विभिन्न वैज्ञानिक एजेंसियां आंकड़े जुटा चुकी हैं। लेकिन अब इन आंकड़ों को प्लाट (दर्ज) करने के लिए लार्ज स्केल कंटूर मैप की जरूरत है।
सुमन सेमवाल, देहरादून: Joshimath Crisis: जोशीमठ में भूधंसाव की स्थिति को लेकर भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) समेत विभिन्न वैज्ञानिक एजेंसियां आंकड़े जुटा चुकी हैं। हालांकि, इन आंकड़ों को प्लाट (दर्ज) करने के लिए लार्ज स्केल कंटूर मैप की जरूरत होती है। यह ऐसा मैप होता है, जिसमें आकृतियों को उनकी स्पष्ट ऊंचाई के साथ दर्शाया जाता है।
वैज्ञानिक संस्थाओं की ओर से ऐसे मैप की मांग किए जाने के बाद राज्य सरकार की मशीनरी हरकत में आई। भारतीय सर्वेक्षण विभाग के नक्शे टटोले गए तो पता चला कि पूर्व के मैप बहुत छोटे स्केल जैसे 1:50000 पर बने हैं। ऐसे मैप को विज्ञानियों ने खारिज कर दिया।
लार्ज स्केल मैप के बिना नहीं हो पाएगी भविष्य की प्लानिंग
लार्ज स्केल मैप के बिना वैज्ञानिक संस्थाएं जुटाए गए आंकड़ों को भविष्य की प्लानिंग के हिसाब से उपलब्ध कराने में असमर्थ होती हैं। लिहाजा, इस स्थिति को देखते हुए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इंफार्मेशन टेक्नोलाजी डेवलपमेंट एजेंसी (आइटीडीए) से क्षेत्र का ड्रोन सर्वे कराया।
इसके बाद जो मैप तैयार किया गया, वह उपयुक्त नहीं पाया गया। क्योंकि, वैज्ञानिक संस्थाओं को मैप के दो सेंटीमीटर भाग को धरातल पर अधिकतम दो मीटर तक स्पष्ट करने की जरूरत थी।
इस मैप में धरातल की स्थिति स्पष्ट करने के लिए टेरेन माडलिंग व एलिवेशन माडलिंग की जरूरत थी। राज्य में इस तरह के कंटूर मैप बनाने के विशेषज्ञ न खोज पाने के बाद अधिकारी भारतीय सर्वेक्षण विभाग की शरण में पहुंचे। जिसके बाद भारतीय सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों ने राज्य के मानचित्रीकरण के तकनीकी कार्मिकों को प्रशिक्षित किया।
अब जाकर लार्ज स्केल कंटूर मैप पर तस्वीर साफ हो पाई है। बताया जा रहा है कि सोमवार तक निर्धारित मानक का कंटूर मैप जीएसआइ व अन्य एजेंसियों के सुपुर्द कर दिया जाएगा। ताकि वह जुटाए गए आंकड़ों को मैप में प्लाट कर रिपोर्ट सरकार को सौंप सकें।
इसलिए जरूरी होता है लार्ज स्केल कंटूर मैप
सबसे पहले बात करते हैं लार्ज स्केल मैप की। दो सेंटीमीटर कंटूर इंटरवल वाले मैप में नक्शे के दो सेंटीमीटर भाग में धरातल की दो मीटर तक आकार वाली वस्तु को स्पष्ट दर्शाया जा सकता है। ऐसे मैप कंटूर श्रेणी के हों तो उसमें धरातल की चट्टानों, पहाड़ियों की ऊंचाई भी दर्शित की जा सकती है।
भूधंसाव कि स्थिति किस धरातल पर कैसी है, यह जानने व उसकी गंभीरता के लिए कंटूर मैप की जरूरत पड़ती है। इसी आधार पर सरकारी एजेंसियां व अन्य तकनीकी एजेंसियां यह तय कर पाएंगी कि जोशीमठ क्षेत्र में भविष्य की कैसी प्लानिंग जरूरी है।
प्रभावितों के लिए मुआवजा निर्धारण पर कल लगेगी मुहर
आपदा प्रभावितों के लिए मुआवजे के निर्धारण पर शासन सोमवार को मुहर लगा सकता है। जोशीमठ को लेकर शासन स्तर पर गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सोमवार को होने वाली बैठक में चमोली जिला प्रशासन द्वारा भेजे गए मुआवजा निर्धारण से संबंधित प्रस्ताव पर विमर्श होगा।
इसके अलावा जोशीमठ के पुनर्निर्माण, आपदा प्रभावितों के पुनर्वास, राहत कार्य समेत अन्य विषयों को लेकर केंद्र को भेजे जाने वाले राहत पैकेज पर चर्चा होगी। यह पैकेज दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का रहने की संभावना है।
226 आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास को भूमि की तलाश
चमोली जिले की शीमठ आपदा से सबक लेते हुए शासन ने अब राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों के प्रभावितों के पुनर्वास की मुहिम तेज करने की ठानी है।
इस कड़ी में उत्तराखंड के नौ जिलों के 32 गांवों के 226 आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास को सात करोड़ रुपये से अधिक का प्रस्ताव तैयार किया गया है। बावजूद इसके भूमि की अड़चन आड़े रही है। इसे देखते हुए शासन ने संबंधित जिलाधिकारियों को मानसून से पहले अपने-अपने जिलों में भूमि का चयन कर ब्योरा भेजने के निर्देश दिए हैं।
जिलेवार पुनर्वास को चयनित परिवार
- जिला, गांव, परिवार
- बागेश्वर, 01, 58
- चमोली, 05, 54
- रुद्रप्रयाग, 11, 49
- पिथौरागढ़, 03, 21
- टिहरी, 05, 15
- देहरादून, 03, 13
- नैनीताल, 02, 11
- चंपावत, 01, 07
- उत्तरकाशी, 01, 01
आपदा प्रभावितों के पुनर्वास को लेकर हम गंभीरता से कदम बढ़ा रहे हैं। वर्तमान में 226 परिवारों का पुनर्वास किया जाना है, इसके लिए संबंधित जिलों के डीएम से भूमि का चयन कर इसका ब्योरा शासन को भेजने को कहा है। इनके पुनर्वास के बाद इस मुहिम में अन्य गांवों के प्रभावित परिवार लिए जाएंगे।
-डा रंजीत कुमार सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन