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Joshimath Crisis: आपदा के माहभर बाद भी कंटूर मैपिंग चुनौती, धरातलीय संरचनाओं की स्थिति नहीं हो पा रही स्पष्ट

Joshimath Crisis जोशीमठ में भूधंसाव का अध्ययन करने के बाद भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) समेत अन्य वैज्ञानिक एजेंसियों ने लार्ज स्केल कंटूर मैप की मांग की थी। आपदा (भूधंसाव) को एक माह हो चुका है और अभी तक भी लार्ज स्केल कंटूर मैपिंग चुनौती बना है।

By Suman semwalEdited By: Nirmala BohraPublished: Sun, 05 Feb 2023 09:37 AM (IST)Updated: Sun, 05 Feb 2023 09:37 AM (IST)
Joshimath Crisis: आपदा के माहभर बाद भी कंटूर मैपिंग चुनौती, धरातलीय संरचनाओं की स्थिति नहीं हो पा रही स्पष्ट
Joshimath Crisis: आपदा को एक माह हो चुका है और अभी तक भी लार्ज स्केल कंटूर मैपिंग चुनौती बना है।

सुमन सेमवाल, देहरादून: Joshimath Crisis: जोशीमठ आपदा (भूधंसाव) को एक माह हो चुका है और अभी तक भी लार्ज स्केल कंटूर मैपिंग चुनौती बना है। स्थिति यह है कि इंफार्मेशन टेक्नोलाजी डेवलपमेंट एजेंसी (आइटीडीए) ने अथक प्रयास के बाद जो कंटूर मैप तैयार किए थे, उन्हें अनुपयुक्त पाया गया है।

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जोशीमठ में भूधंसाव का अध्ययन करने के बाद भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) समेत अन्य वैज्ञानिक एजेंसियों ने लार्ज स्केल कंटूर मैप की मांग की थी।

ऐसा मैप जिसमें पहाड़ियों व अन्य धरातलीय संरचनाओं की स्थिति स्पष्ट ऊंचाई दो मीटर के कंटूर इंटरवल के साथ दर्शाई जा सके। यही कंटूर मैप की खासियत भी होती है।

आइटीडीए को सौंपा था मैप को तैयार करने का काम

इस मैप को तैयार करने का काम राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने आइटीडीए को सौंपा था। आइटीडीए ने इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग, सर्वे ऑफ इंडिया आदि एजेंसियों से सहयोग लेकर अथक प्रयास से मैप तैयार किया।

इसे आपदा प्रबंधन विभाग को भी सौंप दिया गया था। हालांकि, शनिवार को आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने तैयार किए गए कंटूर मैप की समीक्षा बैठक में इसे अनुपयुक्त करार दे दिया।

उन्होंने कहा कि की इस मैप के माध्यम में प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। मैप तैयार करने के लिए ड्रोन के माध्यम से किए गए सर्वे की तस्वीरों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए गए।

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा के अनुसार, कंटूर मैप को लेकर सोमवार को जीएसआइ के अधिकारियों को बुलाया गया है। उनके साथ विचार विमर्श के बाद ही मौजूदा मैप को लेकर स्थिति स्पष्ट की जाएगी।

लिडार तकनीक पर आगे बढ़ने के संकेत

आइटीडीए ने ड्रोन से सर्वे कर कंटूर मैपिंग की है। आइटीडीए निदेशक नितिका खंडेलवाल के अनुसार, जोशीमठ रेड जोन में आता है। ऐसे में ड्रोन को अधिक ऊंचाई से उड़ाया गया।

ऐसे में संभव है कि तस्वीरें उतनी स्पष्ट न मिलें। वहीं, आपदा प्रबंधन सचिव की बैठक में यह बात भी सामने आई कि लार्ज स्केल कंटूर मैपिंग के लिए लिडार तकनीक से सर्वे किया जाएगा। यह काम सर्वे ऑफ इंडिया या किसी निजी एजेंसी को दिया जा सकता है।

यह है लिडार तकनीक

लिडार लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग तकनीक है। इससे पर्वतीय या संबंधित क्षेत्रों में भूतल से सिर्फ एक किलोमीटर की ऊंचाई पर लो लाइन एयरक्राफ्ट या उच्च क्षमता के ड्रोन से सर्वे किया जाता है।

लिडार सिस्टम के लिए लेजर, स्कैनर व जीपीएस का प्रयोग किया जाता है। लेजर से अतिसूक्ष्म वेबलेंथ से जमीन या पहाड़ी की ऊंचाई का शुद्ध माप लिया जा सकता है। उदाहरण के लिए जमीन की बनावट, समुद्र तल से ऊंचाई, पेड़-पौधों के फैलाव समेत विभिन्न संरचनाओं का स्पष्ट आकलन किया जा सकता है।


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