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जॉन अब्राहम ने अचानक मांगी 100 काली भेड़, कार के करने पड़े दो टुकड़े

अभिनेता जॉन अब्राहम की फिल्म परमाणु की मसूरी में हुई शूटिंग के दौरान सौ काली भेड़ की डिमांड कर डाली। वहीं दृष्यों को फिलमाने में काफी मुश्किलों की सामना करना पड़ा।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 11:24 AM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 05:34 PM (IST)
जॉन अब्राहम ने अचानक मांगी 100 काली भेड़, कार के करने पड़े दो टुकड़े
जॉन अब्राहम ने अचानक मांगी 100 काली भेड़, कार के करने पड़े दो टुकड़े

देहरादून, [हिमांशु जोशी]: अभिनेता जॉन अब्राहम की फिल्म 'परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण' की शूटिंग राजस्थान के साथ-साथ दून और मसूरी में भी हुई है। फिल्म में जॉन अब्राहम का घर मसूरी में ही दिखाया गया है।

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इस फिल्म के जरिये लंबे समय बाद अभिनेता जॉन अब्राहम बड़े पर्दे पर वापसी कर रहे हैं। उनकी फिल्म परमाणु का काफी लंबे समय से लोगों को इंतजार है। मसूरी और देहरादून में फिल्म परमाणु की शूटिंग में अहम योगदान देने वाले इंम्प्रेशन ग्रुप के मयंक तिवारी ने बताया कि शूटिंग के दौरान कई ऐसे दृश्य थे, जिन्हें फिल्माने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। 

उन्होंने बताया कि एक सीन था जिसमें जॉन को डिप्रेशन में दिखाया गया था। इसकी शूटिंग जार्ज एवरेस्ट में होनी थी। शूटिंग से एक दिन पहले अचानक जॉन ने कहा कि दृश्य के लिए 100 काली भेड़ चाहिए। अब अचानक से काली भेड़ कहां से लाई जाएं। 

फिर पता चला कि विकासनगर में किसी के घर में काली भेड़ हैं। वहां से बड़ी मुश्किल से रात तीन बजे गाड़ियों में भरकर भेड़ों को मसूरी लाया गया। तब जाकर फिल्म की शूटिंग शुरू हुई। शूटिंग के दौरान पुलकित ग्रोवर और मयंक सिंह का भी काफी योगदान रहा। 

उन्होंने बताया कि इसके अलावा एक सीन था जिसमें दिखाया जाना था कि जॉन रोडवेज की बस में कहीं जा रहे हैं। ऐसे में यह सीन 1998 का था तो उस समय उत्तराखंड बना नहीं था, ऐसे में हमे उत्तर प्रदेश रोडवेज की दो बसें चाहिए थी। तब यह दृश्य शूट करने के लिए उत्तराखंड की बस को पेंट कर यूपी रोडवेज की बस का रूप दिया गया। 

जब नई एंबेसडर के करने पड़े दो टुकड़े

फिल्म में मसूरी में जॉन अब्राहम का घर बनाया गया था। अतुल पैन्यूली बताते हैं कि घर में शूटिंग के दौरान भी कई मजेदार घटनाएं हुईं। उन्होंने बताया कि एक सीन था, जिसमें जॉन घर से कहीं जा रहे हैं और उन्हें अपने एंबेसडर की डिग्गी में सामान रखना है। 

अब मुश्किल यह थी कि जहां उनका घर बनाया गया था, वह इतनी संकरी जगह पर था कि वहां साइकिल भी नहीं जा सकती थी। ऐसे में वहां एंबेसडर पहुंचना बहुत मुश्किल था। काफी सोचने के बाद नई एंबेसडर को बीच से काटा गया। जिसके बाद 10-12 मजदूरों की मदद से आधी एंबेसडर को मसूरी जॉन के घर ले जाया गया। वहां दृश्य कुछ इस तरह फिल्माया गया कि यह नहीं लगे कि यह आधी एंबेसडर है।

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