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चमक बिखेर रहे ताऊजी के तराशे हीरे

देहरादून जिले की ग्रामसभा गजियावाला निवासी जीतेंद्र सिंह राणा ग्रामीण नौनिहालों को अपने खर्चे पर बैडमिंटन जैसे महंगे खेल का प्रशिक्षण दे रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 22 Apr 2018 11:31 AM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 05:13 PM (IST)
चमक बिखेर रहे ताऊजी के तराशे हीरे
चमक बिखेर रहे ताऊजी के तराशे हीरे

देहरादून, [अनुपम सकलानी]: ऐसा शख्स, जिसने ग्रामीण नौनिहालों की प्रतिभा को तराशना ही जीवन का ध्येय बना लिया। लेकिन, प्रचार-प्रसार की कभी चाह नहीं रखी। देहरादून जिले की ग्रामसभा गजियावाला निवासी इस शख्स का नाम है जीतेंद्र सिंह राणा। लेकिन, बच्चे उन्हें 'ताऊजी' कहकर पुकारते हैं। 80 के दशक में मेरठ विश्वविद्यालय की फुटबाल टीम का हिस्सा रहे ताऊजी बीते डेढ़ दशक से ग्रामीण नौनिहालों को अपने खर्चे पर बैडमिंटन जैसे महंगे खेल का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसके लिए उन्होंने देहरादून शहर से दस किमी दूर स्थित अपने गांव में बैडमिंटन कोर्ट भी बना रखा है। उनके तराशे 12 हीरे तो राष्ट्रीय फलक पर भी चमक बिखेर चुके हैं।

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65 वर्षीय ताऊजी का बचपन से ही खेलों के प्रति रुझान रहा। वर्ष 1971 से लेकर 74 तक वह मेरठ विश्वविद्यालय की फुटबाल टीम का हिस्सा रहे। इस दौरान एक साल उन्होंने टीम की कप्तानी भी की। लेकिन, फिर परिवारिक कारणों से खेल को आगे नहीं बढ़ा पाए और गांव लौट गए। हालांकि, खेलों के प्रति उनके मन में आकर्षण फिर भी बना रहा। बकौल ताऊजी, 'जब मैं गांव के बच्चों को खेतों में खेलते हुए देखता था तो पांव ठिठक जाते और घंटों उन्हें देखते ही रहता। एक बार मन में ख्याल आया कि क्यों न इन प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए कुछ किया जाए। बस! यहीं से शुरुआत हुई नए जीवन की।'

आड़े आया मैदान का अभाव

ताऊजी बताते हैं, पहले सोचा कि फुटबाल में बच्चों को निखारा जाए, लेकिन मैदान का अभाव आड़े आ गया। तब काफी सोच-विचार कर बैडमिंटन के क्षेत्र में इन प्रतिभाओं को तराशने का निर्णय लिया। इसके लिए अपनी ही जमीन पर बैडमिंटन कोर्ट का निर्माण किया। साथ ही बच्चों को इस खेल के प्रति आकर्षित करने के लिए उनके बीच मैच कराकर छोटे-छोटे पुरस्कार देने शुरू किए। यह क्रम आज भी जारी है। 

नेशनल खेल चुके 12 बच्चे

अपनी सामथ्र्य के अनुसार ताऊजी बच्चों को रोजाना सुबह-शाम दो-दो घंटे बैडमिंटन का प्रशिक्षण देते हैं। हर रविवार प्रतियोगिता आयोजित कर बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है, ताकि उनमें प्रतिस्पद्र्धा की भावना बनी रहे। बताते हैं, अब तक 40 बच्चों में खेल प्रतिभा को निखार चुका हूं। इनमें से 12 तो नेशनल भी खेल चुके हैं।

अब बैडमिंटन कोर्ट बनाने की तैयारी 

गजियावाला के प्रधान राकेश शर्मा  बताते हैं कि बारिश के मौसम में बच्चों की प्रैक्टिस नहीं हो पाती और धूप में भी काफी दिक्कत होती है। इसे देखते हुए राणाजी ने क्षेत्रीय विधायक गणेश जोशी को गांव में ही एक इंडोर बैडमिंटन कोर्ट बनाने का प्रस्ताव दिया है। ग्रामसभा की ओर से इसके लिए भूमि भी दे दी गई है। उम्मीद है कि सरकार उनकी भावना को समझेगी। 

गांव वालों की जिद पर बने प्रधान

ताऊजी वर्ष 2000 से पूर्व ग्रामसभा गजियावाला के प्रधान भी रहे। कहते हैं, मैं राजनीति में नहीं पड़ता चाहता था, लेकिन लोगों की जिद पर यह जिम्मेदारी संभाली। प्रधान रहते तमाम सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने का मौका भी मिला।

खुद उठाते हैं बच्चों का सारा खर्चा

बच्चों के प्रशिक्षण पर महीने में 25 से 30 हजार रुपये का खर्चा आ जाता है। इसके अलावा ताऊजी बाहर खेलने जाने वाले बच्चों का खर्चा भी खुद वहन करते हैं। 

रंजीत यादव (दून स्कूल में कोच एवं नेशनल प्रतिभागी) का कहना है कि ताऊजी के कारण ही मैं ऑल इंडिया रैंकिंग बैडमिंटन प्रतियोगिता और इंटर यूनिवर्सिटी में प्रतिभाग कर सका। मैं आज जहां हूं, यहां तक पहुंचाने का श्रेय ताऊजी को ही जाता है।

सिद्धांत ममगाईं (होपटॉउन गर्ल्‍स स्कूल में कोच, नेशनल प्रतिभागी) का कहना है कि बैडमिंटन खेलने की ललक ताऊजी ने ही जगाई। नेशनल खेलने का मौका मिला और आगे की तैयारी जारी है। ताऊजी की देख-रेख में ही प्रशिक्षण ले रहा हूं।

शुभम हमाल, पाइका (पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान) नेशनल प्रतिभागी का कहना है कि स्कूल नेशनल में प्रतिभाग कर चुका हूं और आगे का सफर भी ताऊजी के निर्देशन में जारी है। रोजाना कोर्ट में प्रैक्टिस करता हूं और अपनी कमियों को दूर करने में ताऊजी की मदद लेता हूं।

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