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जिम कॉर्बेट की बाघिन को पसंद आई राजाजी की आबोहवा

जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) से राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) में शिफ्ट की गई बाघिन को मोतीचूर की आबोहवा पसंद आई है। यही वजह है कि उसका व्यवहार सामान्य है। बाघिन पर रेडियो कॉलर लगा है। वन कर्मियों की टीम जीपीएस के माध्यम से उसको लगातार ट्रेस कर रही है।

By Sunil Singh NegiEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 09:19 AM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 09:19 AM (IST)
जिम कॉर्बेट की बाघिन को पसंद आई राजाजी की आबोहवा
राजाजी पार्क की मोतीचूर रेंज में बाड़े को छोड़कर जंगल में जाती शिफ्ट की गई बाघिन।

संवाद सूत्र, रायवाला। जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) से राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) में शिफ्ट की गई बाघिन को मोतीचूर की आबोहवा पसंद आई है। यही वजह है कि उसका व्यवहार सामान्य है। बाघिन पर रेडियो कॉलर लगा है। वन कर्मियों की टीम जीपीएस के माध्यम से उसको लगातार ट्रेस कर रही है। देर रात उसकी लोकेशन पनियाली के पास मिली है।

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शुक्रवार को करीब तीन बजे उसको बाड़े से मुक्त कर जंगल में स्वछंद छोड़ दिया गया। बाघिन तेजी से जंगल की तरफ भागी। इस दौरान आस-पास वाहनों में मौजूद वन कर्मियों ने उसकी गतिविधियों को कैमरे में भी कैद किया। पार्क निदेशक डीके सिंह ने बताया कि बाघिन का व्यवहार सामान्य है। हालांकि, गुरुवार को होश में आने के बाद बाघिन कुछ विचलित रही। तब उसका व्यवहार भी असामान्य था। वह तेजी से भागकर झाड़ियों की तरफ चली गई। बाड़े में शिशु भैंस को भी छोड़ा गया था, लेकिन बाघिन ने उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया। वन कर्मियों की टीम बाघिन पर लगातार नजर रखे हुए है। वहीं इससे पूर्व शिफ्टिंग को लेकर राजाजी व कार्बेट पार्क प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए थे। प्रोजेक्ट टीम में तैनात वन कर्मियों सतर्क हैं। मोतीचूर व कांसरों रेंज को अलर्ट पर रखा गया।

रिहायशी क्षेत्र में भी बढ़ाई सतर्कता

बाघिन को बाड़े से छोड़ने के बाद उसके रिहायशी क्षेत्र की तरफ जाने की आशंका को देखते हुए पार्क प्रशासन ने चौकसी बढ़ा दी है। मोतीचूर रेंज से सटे रिहायशी क्षेत्र के ग्रामीणों को सतर्क रहने को कहा गया है। इको विकास समितियों को भी सूचित किया गया है। अन्य रेंजों को भी अलर्ट पर रखा गया है।

हाथियों की मदद से रखी जा रही नजर

बाघिन की लोकेशन पर नजर रखने को कुल 31 कर्मचारी लगाए गए हैं। जिनमें तीन हाथी सवार टीम व महावत भी शामिल हैं। बाघिन को लाए जाने से लेकर अब तक पार्क के आला अधिकारी व चिकित्सकों की टीम भी मोतीचूर में डेरा डाले हुए हैं। जिनमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के डायरेक्टर जनरल एसपी यादव, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन जेएस सुहाग, पार्क निदेशक डीके सिंह, डीएफओ हरिद्वार नीरज शर्मा, डॉ. अमित ध्यानी, डॉ. दीप्ति अरोड़ा, एके सिंह, वार्डन ललिता प्रसाद टम्टा, मोतीचूर के रेंज अधिकारी महेंद्र गिरि शामिल हैं।

आवोहवा में नहीं है ज्यादा अंतर

कार्बेट और राजाजी दोनों अभ्यारण्य उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में स्थित हैं। लिहाजा भौतिक स्थिति व मौसम के लिहाज से दोनों की आवोहवा में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। हालांकि, बाघिन को राजाजी में अपना कुनबा अब नहीं मिलेगा, जिसे वह कार्बेट में छोड़ आई है। पार्क निदेशक डीके सिंह बताते हैं कि जल्द ही बाघिन पूरे जगंल में घूमकर अपना एरिया तय कर सत्ता कायम कर लेगी। उन्होंने बताया कि राजाजी पार्क में भी कॉर्बेट की तरह हूबहू वातावरण है। वहीं बाड़े को भी इसी ढंग से विकसित किया गया है। उनका कहना है कि वैसे भी राजाजी टाइगर रिजर्व बाघों के रहने के लिए प्राकृतिक रूप से बेहतरीन है निश्चित रूप से बाघिन यहां आराम से एडजस्ट हो जाएगी।

अगले सप्ताह तक होगी दूसरे बाघ की शिफ्टिंग

पहली सफलता से उत्साहित कार्बेट की टीम अब जल्द ही दूसरे बाघ की भी शिफ्टिंग की तैयारी में है। वह अधिकारियों के मुताबिक अगले सप्ताह तक दूसरा बाघ भी राजाजी पार्क लाया सकता है।

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