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इस पुस्तैनी परंपरा को बचाए हुए है यहां का समाज, जानकर रहेंगे हैरान

जौनसार क्षेत्र आज भी संयुक्त परिवार की परंपरा को लेकर आगे बढ़ रहा है। यहां ऐसे परिवार हैं जहां सदस्य संख्या 30 से 90 के बीच है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 14 May 2018 08:47 PM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 05:10 PM (IST)
इस पुस्तैनी परंपरा को बचाए हुए है यहां का समाज, जानकर रहेंगे हैरान
इस पुस्तैनी परंपरा को बचाए हुए है यहां का समाज, जानकर रहेंगे हैरान

त्यूणी, देहरादून [चंदराम राजगुरु]: एकल परिवार की अवधारणा समाज में तेजी से पनप रही है। संयुक्त परिवार की परंपरा टूट रही है, यहां तक की मां-पिता को भी उनके हाल पर छोड़ने प्रवृति बढ़ रही है। लेकिन इस सबके बीच जौनसार बावर समाज संयुक्त परिवार की पुश्तैनी परंपरा को न केवल बचाए हुए है, बल्कि इससे नई पीढ़ी को संस्कारित बना रहे हैं। ऐसा नहीं कि यहां लोग जमाने के साथ कदम ताल नहीं कर रहे हैं, बल्कि इस सबके बीच सांझे चूल्हे की परंपरा को भी जौनसारी समाज की संस्कृति का हिस्सा बनाए हुए हैं।

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आंकड़े बताते हैं कि 365 राजस्व ग्राम वाले जौनसार बावर क्षेत्र में करीब बीस हजार संयुक्त परिवार हैं। इन परिवारों में सदस्य संख्या 30 से 90 के बीच है। सभी लोग एक ही छत के नीचे अपने सुख-दुख बांटते हैं। कई परिवारों में तीन से चार पीढ़ियां एक साथ अपने अनुभव साझा करती हैं। ऐसे में नई पीढ़ी को संस्कृति व संस्कार दोनों विरासत में मिल रहे हैं। 

इक्कीसवीं सदी में समय के साथ-साथ समाज में तमाम बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। खासकर, ऐसे में परिवारों की मानो परिभाषा ही बदल गई है। संयुक्त परिवारों की परंपरा गुम सी हो गई है। महानगरों से लेकर कस्बों तक में यह स्थिति देखने को मिल रही है। लेकिन देहरादून का सीमावर्ती जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर इसका अपवाद है। आधुनिकता की चकाचौंध यहां के संयुक्त परिवारों की मजबूत और 'ऊंची' दीवारों को नहीं लांघ पाई। सांझा चूल्हा अब भी यहां की पहचान बना हुआ है। अनूठी संस्कृति के लिए देश दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाले जौनसारी समाज के लोग इसे रुतबे से जोड़कर देखते हैं। 

460 वर्ग मील में फैला है यह क्षेत्र

460 वर्ग मील में फैले इस क्षेत्र को त्यूणी, चकराता व कालसी तहसीलों और चकराता व कालसी दो ब्लाकों में बांटा गया है। 365 राजस्व गांवों और 300 के करीब तोक-मजरे हैं। 

एक ही परिवार में हैं 90 सदस्य

त्यूणी तहसील क्षेत्र के चिल्हाड़ गांव निवासी जयदत्त बिजल्वाण के संयुक्त परिवार में सदस्यों की संख्या 90 है। सभी लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। परिवार में घर के मुखिया का फैसला सर्वमान्य होता है। बिजल्वाण परिवार के सदस्यों में जिला जज चंडी प्रसाद बिजल्वाण व कई अन्य अधिकारी शामिल हैं। 

परिवार में हैं 45 सदस्य, रहते हैं एक ही छत के नीचे 

चकराता क्षेत्र के टुंगरा निवासी रंगकर्मी नंद लाल भारती के संयुक्त परिवार में सदस्यों की संख्या 45 है। जिसमें दादा, पिता, चाचा, चाची, भाई, भतीजे मिलजुलकर एक दूसरे का सुख दुख बांटते हैं। विख्यात रंगकर्मी जौनसारी संस्कृति को देश विदेश में पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। कई राष्ट्रीय पुरस्कार अब तक उन्हें मिल चुके हैं। 

एक छत के नीचे 40 से ज्यादा सदस्य 

जौनसार बावर के मोहना निवासी स्याणा महेंद्र सिंह चौहान के संयुक्त परिवार में सदस्यों की संख्या 40 से ज्यादा है। सभी लोग कृषि, बागवानी व अन्य कार्य मिल जुलकर करते हैं। परिवार में घर का मुखिया सभी को एक सूत्र में बांधकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।

60 सदस्यों को एकसाथ लेकर चलता है ये परिवार 

कुल्हा निवासी सूपाराम शर्मा के संयुक्त परिवार में सदस्यों की संख्या 60 है। इनमें तहसीलदार और शिक्षा विभाग के ब्लाक संकुल समन्वयक व अन्य अधिकारी शामिल हैं। पूरा परिवार एक छत के नीचे खुशहाल जीवन गुजार रहा है। परिवार के बुजुर्ग सूपाराम शर्मा का निर्णय पूरे परिवार के लिए पत्थर की लकीर है। 

एक संयुक्त परिवार के मुखिया जयदत्त बिजल्वाण का कहना है कि जितना बड़ा परिवार होगा, समाज में उसका रुतबा भी उतना ही ज्यादा होगा। परिवार में बड़ों का सम्मान व आदर सत्कार जौनसारी परंपरा का हिस्सा है।

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