नैनीताल में जापानी तकनीक से बलिया नाला का उपचार
सरोवरनगरी नैनीताल के लिए खतरे का सबब बने बलिया नाला भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का उपचार जापान की जायका (जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी) के तकनीकी सहयोग से होगा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: सरोवरनगरी नैनीताल के लिए खतरे का सबब बने बलिया नाला भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का उपचार जापान की जायका (जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी) के तकनीकी सहयोग से होगा। इसके लिए सरकार ने उत्तराखंड में चल रही जायका परियोजना के तहत बलिया नाला की डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं। डीपीआर बनने के बाद सिंचाई विभाग वहां जापान के तकनीकी सहयोग से उपचार शुरू करेगा।
नैनीताल में बलिया नाला के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र ने सरकार की पेशानी पर भी बल डाले हुए हैं। यदि जल्द ही उपचारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो नैनीताल के इस क्षेत्र से लगे तमाम घरों के लिए खतरा पैदा हो सकता है। इस सबके मद्देनजर शासन ने गहन मंथन के बाद बलिया नाला में भूस्खलन व भूधंसाव की समस्या से निबटने के लिए जापान की तकनीक का सहारा लेने का निश्चय किया है।
राज्य में जायका परियोजना के तहत कई इलाकों में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का उपचार होना है। बलिया नाला के उपचार के लिए भी उत्तराखंड जायका को डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। उत्तराखंड जायका के मुख्य परियोजना निदेशक अनूप मलिक के अनुसार डीपीआर तैयार करने से पहले बलिया नाला क्षेत्र का टोपोग्राफिक और जियोटेक्निकल सर्वे कराया जाएगा। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर डीपीआर तैयार की जाएगी। उन्होंने बताया कि सर्वे के लिए टेंडर आमंत्रित किए जा चुके हैं।
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विश्व में मशहूर है जापानी तकनीक
वन भूभाग को लेकर जापान और उत्तराखंड में समानता है। जापान का भी अधिकाश भूभाग वन क्षेत्र में आता है। वहां पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार होने वाले भूस्खलन के बाद उसके ट्रीटमेंट के लिए ही जायका की स्थापना की गई। जायका ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का व्यापक ट्रीटमेंट कर दुनिया के सामने अपनी तकनीक की मिसाल पेश की है। उत्तराखंड के साथ जायका अपनी इस तकनीक को साझा कर रहा है।