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Dehradun News : 20 हजार श्रद्धालुओं ने रात्रि जागरण और लोक नृत्य से की देवता की स्तुति

Dehradun News मंगलवार शाम तीन बजे से ही महासू मंदिर हनोल में देवता के दर्शन को श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी। बुधवार को देवता का शाही स्नान के उपरांत देव चिह्नों को गाजे-बाजे के साथ गर्भगृह में स्थापित किया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 01 Sep 2022 10:53 AM (IST)Updated: Thu, 01 Sep 2022 10:53 AM (IST)
Dehradun News : 20 हजार श्रद्धालुओं ने रात्रि जागरण और लोक नृत्य से की देवता की स्तुति
महासू मंदिर हनोल के जागरा मेले में जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़। जागरण

संवाद सूत्र, त्यूणी : जौनसार-बावर के सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल में राजकीय जागरा मेला धूमधाम के साथ मनाया गया। मेले में विभिन्न क्षेत्रों से आए करीब 20 हजार श्रद्धालुओं ने हनोल मंदिर में रात्रि जागरण कर लोक नृत्य की प्रस्तुति से आराध्य देवता की स्तुति की। बुधवार को देवता का शाही स्नान के उपरांत देव चिह्नों को गाजे-बाजे के साथ वापस गर्भगृह में स्थापित किया गया।

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कोरोना महामारी के दो साल बाद राजकीय जागरा मेला-2022 बड़े उत्साह के साथ श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के सबसे बड़े लोक पर्व जागरा मेले को भव्य एवं दिव्य बनाने के लिए मंदिर प्रबंधन समिति हनोल की ओर से भरसक प्रयास किए।

श्रद्धालु रात्रि जागरण को मंदिर पहुंचे

मंगलवार रात्रि को हरियाली तीज पर महासू मंदिर हनोल में खुशहाली के प्रतीक जागरा मेले का जश्न मनाने को जौनसार-बावर, बंगाण क्षेत्र, यमुना घाटी, रवांई-जौनपुर हिमाचल के शिमला-सिरमौर जनपद के अलावा अन्य क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालु रात्रि जागरण के लिए हनोल मंदिर पहुंचे।

श्रद्धालुओं की मनोकामना होती है पूर्ण

इस बार सरकार की ओर से राजकीय मेला घोषित जागरा पर्व में श्रद्धालु उमड़ पड़े। लोक मान्यता के अनुसार जागरा मेले में देवता के दरबार में रात्रि जागरण करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है। मेले में सूबे के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज, उत्तराखंड जनजाति आयोग के अध्यक्ष मूरतराम शर्मा, भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री अजय सिंह, पुरोला विधायक दुर्गेश लाल समेत कई जनप्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।

रात्रि में भंडारे की व्यवस्था की

पहली बार जागरा मेले का लाइव प्रसारण होने से देश-विदेश में रहने वाले श्रद्धालुओं ने महासू देवता के दर्शन किए। मानव उत्थान सेवा समिति के सहयोग से श्री महासू देवता मंदिर प्रबंधन समिति हनोल की ओर से जागरा मेले का जश्न मनाने आए करीब 20 हजार श्रद्धालुओं के लिए रात्रि में भंडारे की व्यवस्था की गई।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और राज्य एसटी आयोग के अध्यक्ष मूरतराम शर्मा ने कहा कि जागरा मेला जनजातीय समाज जौनसार-बावर की लोक संस्कृति व देव परंपरा की महत्ता को दर्शाता है। राजकीय मेला घोषित होने से लोक पर्व की महत्ता देश-दुनिया में बढ़ गई। जिससे यहां देश-विदेश से पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

मेले में आए श्रद्धालुओं ने महासू देवता के दरबार में मत्था टेक अपने घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष उत्तरकाशी दीपक बिजल्वाण, सचिव पर्यटन हरिशचंद्र सेमवाल, मंदिर समिति के अध्यक्ष एसडीएम चकराता सौरभ असवाल, अध्यक्ष नगर पालिका पुरोला हरिमोहन, तहसीलदार चमन सिंह, बजीर जयपाल सिंह पंवार, मंदिर समिति के मोहनलाल सेमवाल, राजाराम शर्मा, जितेंद्र सिंह चौहान, चंदराम राजगुरु, प्रल्हाद जोशी, राजेंद्र सिंह चौहान, प्रधान हरीश राजगुरु, पुजारी हरिश्चंद्र नौटियाल, जयलाल डोभाल, नरेंद्र राणा, रजनेश पंवार, एसडीओ अशोक कुमार, सीओ विकासनगर संदीप नेगी, अपर सहायक अभियंता विनोद शर्मा, थानाध्यक्ष आशीष रवियान, एसडीओ एसएस नेगी, सुरेशचंद जिनाटा, श्याम सिंह तोमर आदि मौजूद रहे।

देवता के दर्शन को सुबह से रात तक जुटी भारी भीड़

जौनसार-बावर के सबसे बड़े लोक पर्व जागरा मेले में देवता के दर्शन को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी। मंगलवार शाम तीन बजे से महासू मंदिर हनोल में देवता के दर्शन को लगी श्रद्धालुओं की लंबी लाइन बुधवार रात चार बजे तक जारी रही। हजारों की संख्या में जुटे श्रद्धालुओं को देवता के दरबार में मत्था टेकने के लिए घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और पुरोला विधायक दुर्गेश लाल ने भी ग्रामीणों के साथ लोकगीत पर तांदी नृत्य की प्रस्तुति से महासू देवता की आराधना की।

परंपरागत तरीके से हुआ देवता का शाही स्नान

मंगलवार शाम को रात्रि जागरण के उपरांत सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल में गणेश चतुर्थी के दिन देवता का शाही स्नान परंपरागत रूप से हुआ। मंदिर की पूजा-पाठ व्यवस्था से जुड़े कारसेवकों ने देव चिह्नों को गाजे-बाजे के साथ मंदिर के गर्भगृह से बाहर निकाल शाही स्नान कराया। इसके उपरांत देव चिह्नों को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ मंदिर परिसर में कुछ देर रखा गया। गौर हो कि सालभर में एक बार जागरा मेले में ही देवता का शाही स्नान होता है।

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