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आइटीआइ कार्मिकों ने रखा उपवास, लंबित मांगें पूरी करवाने के लिए खोला मोर्चा

औद्योगिक प्रशिक्षण कर्मचारी संघ के सदस्यों ने अपनी लंबित छह सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को उपवास रखा और सर्वे चौक स्थित महिला आइटीआइ और कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग के सचिव के कैंप कार्यालय में दिनभर धरने पर बैठे रहे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 05:30 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 05:30 PM (IST)
आइटीआइ कार्मिकों ने रखा उपवास, लंबित मांगें पूरी करवाने के लिए खोला मोर्चा
आइटीआइ कार्मिकों ने रखा उपवास, लंबित मांगें पूरी करवाने के लिए खोला मोर्चा।

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण कर्मचारी संघ के सदस्यों ने अपनी लंबित छह सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को उपवास रखा और सर्वे चौक स्थित महिला आइटीआइ और कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग के सचिव के कैंप कार्यालय में दिनभर धरने पर बैठे रहे। प्रदर्शन की जानकारी मिलने पर कौशल विकास एवं सेवायोजन सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए आमंत्रित किया। हालांकि, देर रात तक वार्ता में कोई समाधान नहीं निकल पाया था।

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प्रदर्शन में संगठन के देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, चमोली, टिहरी और उत्तरकाशी जनपद से 150 पदाधिकारी शामिल हुए। इस दौरान संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद जोशी ने कहा कि कोविड-19 की आड़ में विभाग कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात कर रहा है। करीब तीन माह से कर्मचारियों को प्रशासन से केवल मांगों पर उचित कार्रवाई का आश्वासन ही मिल रहा है। इससे उनमें आक्रोश पनप रहा है।

उन्होंने बताया कि प्रदेशभर के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के कर्मचारी बीती 27 अगस्त से सांकेतिक विरोध कर रहे हैं। कौशल विकास और सेवायोजन विभाग के निदेशक के समक्ष कई बार मांगों को उठाया जा चुका है, मगर सुनवाई नहीं हो रही। असहयोग आंदोलन शुरू करने से पहले संघ ने विभाग के निदेशक डॉ. राजेश कुमार को ज्ञापन भी सौंपा था। तब निदेशक ने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन सुनवाई आज तक नहीं हुई। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रहलाद सिंह और कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडे ने भी उपवास स्थल पर पहुंचकर कर्मचारियों को अपना समर्थन दिया।

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उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी जाएगी। कर्मचारी संघ के कोषाध्यक्ष पीके जोशी ने कहा कि आइटीआइ कर्मचारियों के सेवा हितों पर शासन स्तर से समीक्षा हो। विभाग के कार्यों में बड़े अधिकारी अनावश्यक हस्तक्षेप न करें। विभाग के फैसले सीधे शासन स्तर पर न लिए जाएं। कार्यदेशक के रिक्त पदों पर अतिशीघ्र पदोन्नति की जाए। कर्मचारियों को विभाग की वार्षकि गोपनीय चरित्र प्रविष्ठि (एसीआर) मान्य नहीं है। कर्मचारियों को सत्रंत लाभ दिया जाए। विभाग में मृतक आश्रित को नौकरी दी जाए। दैनिक कार्यों के संबंध में गूगल शीट भरे जाने के आदेश को वापस लिया जाए।

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