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उत्‍तराखंड में गरमाया हुआ सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा

प्रदेश में फिलहाल सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सालों से चल रहा विवाद सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक जा चुका है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 12:41 PM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 12:41 PM (IST)
उत्‍तराखंड में गरमाया हुआ सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा
उत्‍तराखंड में गरमाया हुआ सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा

देहरादून, आयुष शर्मा। देश के संविधान में सभी को समानता का अधिकार दिया गया है। सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान भी है। लेकिन आरक्षण लागू होने के बाद से ही इस पर विवाद होता रहा है। प्रदेश में फिलहाल सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सालों से चल रहा विवाद सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण को मूल अधिकार नहीं मानने का फैसला भी सुना दिया। बावजूद इसके पदोन्नति में आरक्षण के पक्षधर इसके खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पदोन्नति में आरक्षण का विरोध कर रहे कर्मचारियों में उत्साह है। लेकिन विडंबना यह भी है कि जिनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी वह आज भी उपेक्षित हैं, सक्षम लोग इस आरक्षण व्यवस्था का लाभ उठा आगे बढ़ रहे हैं।

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शिक्षा पर चर्चा शुभ संकेत

शिक्षा किसी का कर्ज नहीं रखती, ना पढ़ाई करने वालों का और ना ही उसकी पैरवी करने वालों का। इसका हालिया उदाहरण दिल्ली में शिक्षा सहित विकास को मुद्दा बनाकर फिर से सत्ता में लौटी आम आदमी पार्टी की सरकार है। दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाली आम आदमी पार्टी को जनता का अपार समर्थन मिला, जिससे वह दोबारा सत्ता में लौटी है। इसलिए इस विधानसभा चुनाव और उसके मुद्दों की सोशल मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। प्रदेश में भी दिल्ली सरकार से प्रेरित होकर सरकारी स्कूलों में आनंदम पाठ्यचर्या लागू की गई है। स्कूलों में इसकी मॉनीटरिंग कर रहे अधिकारी भी इसे फायदेमंद बता रहे हैं। पाठ्यचर्या के असल परिणाम तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल गर्त में पड़े सरकारी स्कूलों और शिक्षा की गुणवत्ता पर चर्चा होना शुभ संकेत है। उम्मीद है कि यह चर्चा अपने सार्थक परिणाम तक पहुंचेगी।

शिक्षा में फर्जीवाड़ा सबसे घातक

इंकलाबी कवि अवतार सिंह संधू पाश  की कविता 'सबसे खतरनाक होता है  हमारे सपनों का मर जाना' कई मंचों से अक्सर गायी जाती है। पाश की यह कविता हर मायने में समाज पर फिट बैठती है। वर्तमान में पाश अगर कविता लिखते तो शायद वह लचर शिक्षा व्यवस्था पर केंद्रित होती। वर्तमान दौर में एक ओर व्यवसाय में तब्दील हो रही शिक्षा और दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में मिल रहे फर्जी शिक्षक सबसे बड़ी चिंता के विषय हैं। शिक्षा देने वाले शिक्षक ही अगर फर्जी निकलें तो चिंता होनी स्वाभाविक है। एसआइटी इस तरह के कई शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है और ऐसे कई शिक्षक अभी उसकी रडार पर हैं, जिन पर जल्द ही कार्रवाई संभव है। सवाल यह है फर्जी प्रमाण पत्र से शिक्षक बन बच्चों को पढ़ाने वाले इन फर्जी शिक्षकों ने क्या शिक्षा दी होगी और ऐसी शिक्षा से क्या बच्चों का भविष्य उज्जवल हो पाएगा।

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स्कूलों में अग्नि सुरक्षा व्यवस्था

स्कूल में अग्नि सुरक्षा की अनदेखी करने वाले स्कूलों पर पुलिस मुकदमा दर्ज करेगी। पुलिस के इस सार्थक कदम की प्रशंसा की जानी चाहिए। उत्तराखंड बिल्डिंग बायलॉज को लेकर स्कूल संचालकों के लिए गाइड लाइन तैयार की गई है। जिसमें उन्हें स्कूल में अग्नि सुरक्षा के उपाय कर अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। इस आदेश के क्रियान्वयन के लिए पुलिस ऐसे स्कूल को चिह्नित करेगी जिन्होंने अग्नि सुरक्षा के उपाय नहीं किए हैं उसके बाद उन्हें व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाएगा। अगर इसके बाद भी स्कूल प्रबंधन ने अग्नि सुरक्षा में लापरवाही बरती तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। क्योंकि देखने में आया है कि स्कूलों में अग्नि सुरक्षा के लिए काफी पुराने उपकरण रखे गए हैं जो किसी हादसे में काम नहीं आते। ऐसा प्रबंधन ने केवल नियमों की खानापूर्ति के लिए किया है। इसलिए पुलिस ने सख्ती की है।

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