परमार्थ निकेतन में इस्लामिक धर्मगुरु और विद्वानों ने की गंगा आरती
इस्लामिक विद्वान मुफ्ती वजाहत कासिम, मुख्य मुफ्ती रईस कासिम (उत्तराखंड), अब्दुल बासिद नादवी समेत अन्य इस्लामिक विद्वानों ने परमार्थ निकेतन पहुंचकर गंगा आरती में शिरकत की।
By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 09 Feb 2018 08:27 PM (IST)Updated: Fri, 09 Feb 2018 11:16 PM (IST)
v>ऋषिकेश, [जेएनएन]: इस्लामिक विद्वान मुफ्ती वजाहत कासिम, मुख्य मुफ्ती रईस कासिम (उत्तराखंड), अब्दुल बासिद नादवी समेत अन्य इस्लामिक विद्वानों ने शुक्रवार को परमार्थ निकेतन पहुंचकर गंगा आरती में शिरकत की। इस मौके पर इस्लामिक धर्मगुरु एवं विद्वानों ने पर्यावरण संरक्षण के निमित उत्तराखंड की सभी मस्जिदों के आसपास 500 फलदार पेड़ लगाने का संकल्प भी लिया।
दिल्ली से ऋषिकेश पहुंचे इस्लामिक धर्मगुरु व विद्वानों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज से मुलाकात कर पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा मां गंगा समेत देश की सभी नदियां, पर्यावरण, पेड़ और बादल सब को समान रूप से छाया, जल और फल देते हैं। इसलिए हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि उनके लिए मिलकर कार्य करें। कहा कि गंगा मां है और मां कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती।
मुफ्ती वजाहत कासिम ने कहा कि हम उलेमा व मौलाना साथ मिलकर उत्तराखंड की मस्जिदों के आसपास 500 फलदार पेड़ रोपित करेंगे। कहा कि स्वामी चिदानंद के सानिध्य में सभी उलेमा व अन्य धार्मिक विद्वान साथ मिलकर रिस्पना नदी के पुनरोद्धार को कार्ययोजना तैयार करेंगे। इस मौके पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सभी उलेमाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक रुद्राक्ष व फलदार पौधे भेंट किए। बाद में सभी मुस्लिम विद्वानों ने गंगा के तट पर सांध्यकालीन आरती में शिरकत की।
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