नींद से जागी मशीनरी, नदी-नालों की जमीन के आवंटन की जांच शुरू
हाई कोर्ट के आदेश पर भी नदी श्रेणी की भूमि पर किए गए आवंटन और अवैध कब्जों पर सुस्त पड़ी प्रशासन की मशीनरी अब नींद से जागती दिख रही है। इस संबंध में डीएम ने ब्योरा तलब किया है।
देहरादून, जेएनएन। हाई कोर्ट के आदेश पर भी नदी श्रेणी की भूमि पर किए गए आवंटन और अवैध कब्जों पर सुस्त पड़ी प्रशासन की मशीनरी अब नींद से जागती दिख रही है। जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने अधिकारियों की बैठक लेकर नदी श्रेणी की जमीनों पर किए गए आवंटन आदि का ब्योरा तलब किया है।
हाई कोर्ट ने 10 अगस्त के आदेश में स्पष्ट किया था कि नदी श्रेणी (नाले-खाले, तालाब आदि भी) की भूमि पर जो भी आवंटन किए गए हैं, उन्हें निरस्त किया जाए। इसका आशय यह है कि यदि कोई भूमि नदी खाते में दर्ज थी और बाद में उस पर भूमिधरी आधिकार दे दिए गए हैं, तो उसका आवंटन भी निरस्त किया जाना है।
आदेश के अनुपालन में राजस्व सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को इस पर कार्रवाई करने को कहा था। देहरादून के जिलाधिकारी ने भी 15 सितंबर को सभी उपजिलाधिकारियों को आदेश का अनुपालन कराने को कहा था। इसके बाद 10 अक्टूबर को अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अरविंद पांडेय ने भी उपजिलाधिकारियों को रिमाइंडर भेजा।
हालांकि, इसके बाद अब तक भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी। इसको लेकर दैनिक जागरण ने प्रशासन की हालिया जांच के हवाले से बताया था कि सचिवालय आवासीय सहकारी समिति की भारूवाला ग्रांट क्षेत्र में प्रस्तावित कॉलोनी में नदी श्रेणी की भूमि है।
साथ ही प्रशासन की एक और जांच के मुताबिक बताया था कि जिलाधिकारी कोर्ट में भी यहां का मामला गतिमान है। बावजूद इसके अधिकारी नदी श्रेणी की भूमि पर कोर्ट के आदेश के क्रम में कार्रवाई से बच रहे हैं।
खबर का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने अधिकारियों की बैठक लेकर नदी श्रेणी की भूमि पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा। अब इस मामले में उपजिलाधिकारी सदर प्रत्यूष सिंह संबंधित अधिकारियों की बैठक लेंगे।
उपजिलाधिकारी प्रत्यूष सिंह ने बताया कि बैठक में सदर क्षेत्र में नदी भूमि समेत तालाब, नाले-खाले आदि के आवंटन का नए सिरे से सर्वे किया जाएगा। इसके लिए बाकायदा कमेटी गठित कर काम किया जाएगा।
विकासनगर ने तैयार की सूची
विकासनगर के उपजिलाधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि नदी श्रेणी की भूमि पर आवंटन की सूची लगभग तैयार कर दी गई है। इसे जल्द जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेज दिया जाएगा।
गजब: बिंदाल नदी पाट रहे प्रॉपर्टी डीलर
बिंदाल नदी में चानचक पुल के पास नदी की भूमि को पाटने का मामला सामने आया है। इसके साथ ही यहां पर प्लॉटिंग की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। प्रशासन के अधिकारियों के इस तरफ ध्यान न देने के बाद अब एमडीडीए उपाध्यक्ष ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
चान चक पुल के पास बिंदाल नदी के एक किनारे पर मिट्टी भरी जा रही है। बताया जा रहा है कि कुछ प्रॉपर्टी डीलर यहां पर प्लॉटिंग की तैयारी कर रहे हैं। इस संबंध में जिलाधिकारी व एमडीडीए उपाध्यक्ष से भी शिकायत की गई थी। एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि प्रकरण के संज्ञान में आने के बाद इस पर शीघ्र आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
फिर जगी रिस्पना-बिंदाल की सूरत संवरने की आस
रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत रिस्पना व बिंदाल नदी की सूरत संवारने की पक्की तैयारी शुरू की जा चुकी है। जिस साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एसआरएफडीसीएल) ने साबरमती नदी की सूरत बदल दी, उसी के माध्यम से गंदगी से मरणासन्न हालत में पहुंच चुकी रिस्पना व बिंदाल नदी का कायाकल्प किया जाएगा। इसको लेकर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की उपस्थित में एमडीडीए व एसआरएफडीसीएल के बीच एमओयू किया गया।
एमओयू पर एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव व एसआरएफडीसीएल के अधिशासी निदेशक आरके मेहता ने हस्ताक्षर किए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि लंबे समय से इस योजना पर काम करने के प्रयास किए जा रहे थे। अब एमओयू के बाद एसआरएफडीसीएल के तकनीकी सहयोग ने दोनों नदियों को दो साल के भीतर पुनर्जीवित किया जा सकेगा।
इसमें साफ पानी का प्रवाह निरंतर रहेगा और दोनों किनारों को बेहतर बनाकर आवासीय व व्यावसायिक संरचनाओं का विकास किया जाएगा। वहीं, एसआरएफडीसीएल के अध्यक्ष केशव वर्मा ने कहा कि साबरमती परियोजना में 1100 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जबकि इससे आज 3500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है।
इसी तरह दून में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट योजना के परवान चढ़ने के बाद नदियों की सूरत बदल जाएगी। पर्यटन के लिहाज से भी दून को नई पहचान मिल सकेगी। इस अवसर पर एमडीडीए सचिव पीसी दुम्का आदि उपस्थित रहे। निर्माण कार्य एनबीसीसी करेगी एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि एसआरएफडीसीएल सिर्फ तकनीकी सहयोग करेगी, जबकि पूर्व में चयनित नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) ही निर्माण संबंधी कार्य करेगी।
वैसे तो दोनों नदियों का कुल हिस्सा करीब 36 किलोमीटर है, मगर अभी 3.7 किलोमीटर भाग का विकास किया जा रहा है। प्रोजेक्ट की आरंभिक लागत करीब 750 करोड़ रुपये आकी गई है। वहीं, एसआरएफडीसीएल को तकनीकी सहयोग के लिए कुल लागत का 0.35 फीसद बजट का भुगतान किया जाएगा।
रिस्पना-बिंदाल के इस हिस्से पर होगा काम
रिस्पना नदी: धोरण पुल से बाला सुंदरी मंदिर तक 1.2 किलोमीटर भाग। बिंदाल नदी: हरिद्वार बाईपास रोड के पुल क्षेत्र में 2.5 किलोमीटर का भाग। प्रोजेक्ट में ये काम प्रस्तावित
हरियाली क्षेत्र, सड़कों का निर्माण, साइकल ट्रैक, फुटपाथ, रिटेनिंग वॉल, चेक डैम, वर्षा जल निकासी की व्यवस्था, आवासीय परियोजना, कमर्शियल और मिश्रित परियोजना, पुल निर्माण, मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, थीम पार्क।
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