मंत्री की नाराजगी के बाद शासन ने बदला जांच अधिकारी, जानिए पूरा मामला
वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत की सहमति के बाद प्रकरण की जांच की जिम्मेदारी मुख्य वन संरक्षक सुरेंद्र मेहरा को सौंपी गई है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज के दूधिया ब्लॉक में इस साल 22 मार्च को हुई गुलदार की खाल और बाघ के मांस बरामदगी प्रकरण में नित नए मोड़ आ रहे हैं। अपर मुख्य सचिव वन डॉ. रणवीर सिंह की ओर से सात दिसंबर को अचानक जांच अधिकारी बदल दिए जाने पर वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के कड़े ऐतराज के बाद अब शासन ने यह आदेश निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही मंत्री की सहमति के बाद प्रकरण की जांच की जिम्मेदारी मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव प्रशासन एवं आसूचना) सुरेंद्र मेहरा को सौंपी गई है। इस प्रकरण में वह पांचवें जांच अधिकारी होंगे।
दूधिया ब्लॉक में वन मुख्यालय की टीम द्वारा की गई बरामदगी के बाद से यह प्रकरण लगातार सुर्खियों में है। पहले इसे लेकर वन मुख्यालय और राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन के बीच चली तनातनी और फिर जांच अधिकारी बदले जाने को लेकर। प्रकरण की जांच पहले राजाजी टाइगर रिजर्व के वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह को सौंपी गई थी। इसके बाद तेजतर्रार आइएफएस संजीव चतुर्वेदी को जांच सौंपने के आदेश हुए, लेकिन फिर यह आदेश निरस्त कर दिए गए और आइएफएस मनोज चंद्रन को जांच सौंप दी गई।
इस बीच सात दिसंबर को तब नया मोड़ आया, जब अपर मुख्य सचिव वन डॉ. रणवीर सिंह ने चंद्रन से जांच हटाकर राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक सनातन को जांच अधिकारी बनाने के आदेश निर्गत कर दिए। इसे लेकर वन मंत्री डॉ. रावत ने कड़ा एतराज जताया। उनका कहना था कि सरकार के संज्ञान में लाए बिना ही जांच अधिकारी बदलना गलत है।
इसके बाद वन मंत्री के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव के आदेश को स्थगित कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में अपर मुख्य सचिव ने वन मंत्री के समक्ष अपना पक्ष रखा। इसके बाद बीच का रास्ता निकाला गया और फिर मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव प्रशासन सुरेंद्र मेहरा को जांच अधिकारी बनाने पर सहमति बनी। इसके बाद सोमवार को शासन ने अपर मुख्य सचिव के आदेश को निरस्त करते हुए अब सुरेंद्र मेहरा को जांच अधिकारी बनाने के आदेश निर्गत कर दिए हैं।
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